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जेडीयू में कोल्ड वॉर शुरू..NDA के नामांकन में नीतीश-ललन पहुंचे लेकिन RCP कहां है?

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Published : May 30, 2022, 5:24 PM IST

जेडीयू में कोल्ड वॉर शुरू
जेडीयू में कोल्ड वॉर शुरू

जेडीयू में कोल्ड वॉर शुरू हो चुका है. भले ही सभी इसे जिम्मेदारी का जामा पहनाकर एक दूसरे का आभार जता रहे हों लेकिन ये तय है कि टीस दोनों तरफ रह गई है. आरसीपी सिंह इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेषाधिकार बताकर पद पर बने रहने का संकेत दे रहे हैं तो वहीं नीतीश भी मामले का यहीं पटाक्षेप चाह रहे हैं. ऐसे में एक तीसरा खेमा भी है जिसकी सियासत सुलग रही है. पढ़ें पूरी खबर-

पटना : बिहार NDA में जातीय जनगणना (Cast Census In Bihar )को लेकर घमासान है, ऐसा कुछ दिन पहले तक दिख रहा था. लेकिन बीजेपी ने अपने समर्थन का कार्ड चलकर सियासत में कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी है. इधर जेडीयू जातीय जनगणना के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुला रही है. लेकिन सवाल पूछा जा रहा है आरसीपी सिंह कहां हैं? (RCP Singh candidature issue in JDU) क्या वो केंद्र में मंत्री बने रहेंगे. प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार (Prime Minister Privilege) है कि 6 महीने तक उन्हें मंत्री की कुर्सी पर बैठाए रख सकते हैं. इसका इशारा खुद आरसीपी सिंह ने भी कर दिया है. यानी अभी खेल खत्म नहीं हुआ है. वॉर शुरू हुआ है, कोल्ड वॉर ! ठीक रूस और यूक्रेन की तर्ज पर?

ये भी पढ़ें- मंत्रिमंडल से इस्तीफे के सवाल पर बोले बोले RCP सिंह- ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार

''ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, हम उनके पास जाएंगे और कहेंगे सर मेरे लिए क्या आदेश है..? वो मंत्री से कभी भी इस्तीफा मांग सकते हैं और हम भी कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं. नरेंद्र मोदी हमारे सर्वमान्य नेता हैं उनसे बात करेंगे सबलोग. हमें पार्टी ने अब तक कोई आदेश नहीं दिया है.''- आरसीपी सिंह, केंद्रीय मंत्री

अब क्या करेंगे आरसीपी? जेडीयू ने आरसीपी सिंह का पत्ता काटकर इस बार खीरू महतो को राज्यसभा का टिकट दिया है. जेडीयू के इस फैसले के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अब पार्टी को आरसीपी सिंह पर ज्यादा भरोसा नहीं रहा है. ऐसे में सवाल है कि आने वाले दिनों में आरसीपी सिंह किस भूमिका में नजर आएंगे. क्या केंद्रीय मंत्री बने रहेंगे? ये मसला उलझ गया है. लेकिन सीएम नीतीश ने इस मुद्दे को बहुत कुछ सुलझा लिया है.

ललन सिंह ने क्या कहा? : आरसीपी सिंह के बदले खीरू महतो को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि यह निर्णय दल के नेता सीएम नीतीश कुमार ने लिया है. पार्टी का निर्णय सभी को स्वीकार करना चाहिए. आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने से नाराजगी के सवाल को ललन सिंह ने सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा कि हम कभी भी नाराज नहीं रहे. केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह जेडीयू के प्रतिनिधि थे. आरसीपी सिंह दो बार राज्यसभा भेजे जा चुके हैं, इस बार पार्टी ने पुराने कर्मठ कार्यकर्ता को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है.

''इस बार पार्टी ने एक जमीनी और समर्पित कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है. खीरू महतो जेडीयू के पुराने साथी हैं. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक रहे हैं. ऐसे में नेतृत्व ने निर्णय लिया कि उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जाए. जहां तक आरसीपी सिंह की बात है उन्हें पार्टी ने काफी सम्मान दिया है. दल ने उन्हें जेडीयू का संगठन प्रभारी व महासचिव और राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी. वे जेडीयू कोटे से मोदी कैबिनेट में मंत्री भी बने. ऐसे में उन्हें सम्मान देने में कोई कमी नहीं की गई.'' - ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू

इधर नीतीश ने मामले को आगे बढ़ने से रोकने के लिए स्टैंड क्लियर कर दिया है. उन्होंने साफ साफ कहा कि आरसीपी सिंह को लेकर पार्टी में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. इसके पहले वह दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. पार्टी के अध्यक्ष भी रहे हैं. इस समय केंद्रीय मंत्री के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं. वह अपना केंद्रीय मंत्री का कार्यकाल पूरा करेंगे. इसमें कोई दिक्कत नहीं है.

''अभी चुनाव समय से पहले हो रहा है. जब तक उनका टेन्योर है तब तक आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने रहेंगे. उसके बाद भी पूरा समय मिलता है. आरसीपी को तुरंत इस्तीफा देने की क्या जरूरत है. वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे. इसमें दिक्कत क्या है.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

यानी एक बात तय है, कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरसीपी सिंह (Chief Minister Nitish RCP Singh) को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहेंगे. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उनसे संगठन का काम कराएंगे और नरेंद्र मोदी उनपर अपने मंत्रीमंडल का बोझ भी बढ़ाएंगे. 7 जून को आरसीपी सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है. ऐसे में आरसीपी सिंह अगले 6 महीने तक मंत्री पद पर बने रह सकते हैं. इसे जारी रखने के लिए उन्हें फिर से चुनकर सदन में आना होगा. ना आ पाने की स्थिति में उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा. डर सिर्फ इस बात का है कि बीच में आरसीपी से इस्तीफा ना मांग लिया जाए. सियासी पंडित कहते हैं कि कोल्ड वॉर का द्वार यहीं से शुरू होता है.


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