बोले CM नीतीश - 'अष्टमी को ही सम्राट अशोक की जयंती मनानी चाहिए'

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Published : Apr 9, 2022, 12:39 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 3:29 PM IST

CM Nitish garlanded the statue of Emperor Ashoka

भाजपा के बाद अब जदयू सम्राट अशोक की जयंती (Birth Anniversary of Emperor Ashoka) राजकीय समारोह के साथ मना रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर में लगे मूर्ति पर माल्यार्पण कर सम्राट अशोक को नमन किया. पहले से कई मुद्दों पर आमने-सामने रही जदयू-बीजेपी अब सम्राट अशोक को लेकर भी एक दूसरे को आंखें दिखाने में लगी है. क्या है इसका कारण पढ़ें इनसाइड स्टोरी..

पटना: सम्राट अशोक (JDU celebrated samrat ashoka jayanti in patna) को लेकर बिहार की राजनीति फिर से गर्म होने लगी है. बीजेपी ने शुक्रवार को पटना के बापू सभागार में सम्राट अशोक की जयंती पर भव्य समारोह का आयोजन किया था. वहीं जदयू आज जयंती समारोह मना रही है. पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर (Samrat Ashok Convention Center) में लगे मूर्ति पर माल्यार्पण कर सम्राट अशोक को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish garlanded the statue of Emperor Ashoka) ने नमन किया. इन सबके बीच मुख्यमंत्री ने सम्राट अशोक की जयंती के मौके पर उन्हें नमन किया और कहा काफी विचार करने के बाद उनकी जयंती आज तय की गई और एक प्रतीक के रूप में उनकी मूर्ति का भी निर्माण किया गया.

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सीएम नीतीश ने सम्राट अशोक की मूर्ति पर किया माल्यार्पण: सीएम (CM Nitish On samrat ashoka jayanti ) ने कहा कि इसका नाम हमने सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र दिया था. उसके लिए सम्राट अशोक की जो लोग चर्चा करते थे, उन्होंने हमसे 2015-16 में मुलाकात की थी. बात हुई कि सम्राट अशोक की जयंती मनायी जानी चाहिए. अशोक का जन्म कब हुआ ये कुछ भी ऑफिशियल नहीं था. फिर हुआ कि उनका अष्टमी से बहुत मतलब था. तय किया गया कि अष्टमी के दिन उनकी जयंती मनायी जाएगी. बहुत से लोग कह रहे थे कि उनके जन्म का तो कुछ पता नहीं है तो हमने जवाब दिया कि अष्टमी के कारण इसी दिन जयंती मनाएंगे. इसके लिए एक्सपर्ट की राय ली गई थी.

"हमलोगों ने सम्राट अशोक की जयंती अष्टमी के दिन मनाने का निर्णय लिया. इसके लिए हमने सरकारी तौर पर एक दिन के अवकाश का प्रावधान कर दिया था. उनकी पहले से कोई तस्वीर भी नहीं है इसलिए एक ऐसी मूर्ति बनवायी गई है. एक्सपर्ट से ये तस्वीर बनवाई गई है इसमें दो स्वरूप दिखते हैं. हम तो हर बार आकर यहां माल्यार्पण करते रहते हैं. सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर में हमने एक मूर्ति सांकेतिक तौर पर स्थापित किया है इसलिए राजकीय समारोह के रूप में आज के दिन को मनाते हुए यहां भी माल्यार्पण किया गया है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

बीजेपी-जदयू का मिशन लव-कुश': एनडीए के दो प्रमुख घटक दल होने के बावजूद बीजेपी और जेडीयू (BJP JDU Kushwaha Vote Bank Politics In Bihar) सम्राट अशोक की जयंती के बहाने कुशवाहा वोट बैंक को लेकर आमने-सामने है. बिहार में कुशवाहा का वोट बैंक 5% के आसपास है. नीतीश कुमार कुर्मी-कुशवाहा वोट बैंक पर शुरू से अपनी दावेदारी करते रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुशवाहा समाज के कई बड़े नेता नीतीश कुमार से अलग हो गए और इसके कारण कुशवाहा वोट बैंक नीतीश कुमार से छिटक गया. 2020 विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने कई कुशवाहा नेताओं को पार्टी में शामिल कराया, जिसमें उपेंद्र कुशवाहा भी शामिल हैं. तो वहीं बीजेपी की नजर भी कुशवाहा वोट बैंक पर शुरू से रही है. शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी को बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल कराया और इस बार मंत्री भी बनाया है. उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी दोनों कुशवाहा समाज से आते हैं और इस वोट बैंक पर पकड़ भी रही है.

कुशवाहा वोट बैंक की सियासत: सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज किया था, लेकिन बीजेपी और जदयू के नेता सम्राट अशोक को कुशवाहा समाज से जोड़ते हैं. सम्राट अशोक की जयंती पर नीतीश सरकार ने छुट्टी भी घोषित कर रखी है और राजधानी पटना में सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर भी बनाया है. तो दूसरी तरफ सम्राट अशोक के नाम पर कुशवाहा वोट बैंक की सियासत भी होती रही है. इस बार पटना में बीजेपी और जेडीयू की तरफ से जयंती पर भव्य कार्यक्रम हो रहे हैं. बीजेपी के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तक शामिल हुए , तो जेडीयू के कार्यक्रम में भी पार्टी के कई दिग्गज शामिल हो रहे हैं. हालांकि दोनों तरफ से सम्राट अशोक को कुशवाहा वोट बैंक से सीधे तौर पर जोड़ने की बात से इंकार किया जा रहा है.

बीजेपी ने खोजी थी सम्राट अशोक की जाति: बीजेपी के राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को अपने भाषण में कहा कि लव और कुश भगवान राम के संतान थे. भाजपा ने भगवान राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनाया है. जो राम के साथ है, लव कुश के वंशज यानी कुशवाहा समाज उनके साथ है. उन्होंने मंच से ऐलान किया कि अगले साल गांधी मैदान में सम्राट अशोक की जयंती मनाई जानी चाहिए. वैसे, अशोक की जयंती मनाने की विधिवत शुरुआत बिहार में सबसे पहले 2014 में बीजेपी के तत्कालीन विधान पार्षद सूरजनंदन कुशवाहा ने की थी. हालांकि, अब सूरजनंदन इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन पहली बार उन्होंने ही पूरे बिहार में अशोक मौर्य के नाम पर यात्रा निकाली थी. उन्होंने मौर्य वंश का हवाला देकर अशोक की जाति भी कोईरी बताई. उसे प्रचारित भी किया था.

बिहार के नेताओं ने सम्राट अशोक को बताया कुशवाहा: जिस सम्राट अशोक की जाति का पता लगाने में देश और दुनिया के इतिहासकार खाक छानकर थक गए, उनकी जाति की खोज बिहार के नेताओं ने की. प्राचीन भारत के इतिहासकारों में इस बात पर सहमति दिखती है कि सम्राट अशोक की जाति अज्ञात है. हालांकि कुछ का कहना है कि अशोक के दादा चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 'मुरा' जाति की महिला से तत्कालीन राजा नंद के शासन काल में हुआ था. तबके वर्ण व्यस्था में 'मुरा' शूद्र जाति थी. मगर बौद्ध ग्रंथों में चंद्रगुप्त को क्षत्रिय वर्ण का बताया गया है. वैसे भी मौर्य वंश तब की बात है, जब जाति का आज जैसा कोई स्वरूप नहीं था. सम्राट अशोक के पिता राजा बिंदुसार थे. इसका मतलब ये हुआ कि अशोक का जीवन राजसी सुख-सुविधा में बीता. मगर बिहार के नेता उनको कुशवाहा समाज का मानकर जयंती मना रहे हैं.

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Last Updated :Apr 9, 2022, 3:29 PM IST
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