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'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में CM ने सुनी 153 फरियादियों की समस्याएं

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Published : Dec 13, 2021, 10:59 PM IST

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को जनता के दरबार में मुख्यमंत्री (Janta Darbar In Patna) कार्यक्रम में शामिल हुए. जिसमें प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से 153 फरियादियों ने सीएम को अपनी समस्यायें सुनायीं. जिसको सुनकर मुख्यमंत्री ने मामलों की जांचकर उचित कार्रवाई का निर्देश दिया.

Janta Ke Darbar Me Mukhyamantri
जनता के दरबार में मुख्यमंत्री

पटना: जनता के दरबार में मुख्यमंत्री (Janta Ke Darbar Me Mukhyamantri) कार्यक्रम में सोमवार को सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar In Janta Darbar) ने विभिन्न जिलों से पहुंचे 153 फरियादियों की समस्याएं सुनीं और संबंधित विभागों के अधिकारियों को समाधान करने का निर्देश दिया. आज जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में सामान्य प्रशासन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, वित्त विभाग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, श्रम संसाधन विभाग तथा आपदा प्रबंधन विभाग के मामलों पर सुनवाई हुई.

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रोहतास से आए एक फरियादी ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा कि मेरी पत्नी आंगनबाड़ी सेविका थी, जिनका सेवाकाल के दौरान ही पिछले साल कोरोना से निधन हो गया. अब तक परिवार को अनुग्रह अनुदान नहीं मिला है. गोपालगंज से आए एक छात्र ने कहा कि उसे स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं, भागलपुर के छात्र ने मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना (माध्यमिक शिक्षा) के अंतर्गत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया है. इस पर मुख्यमंत्री ने जांचकर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

मधुबनी से आए एक आवेदक ने बताया कि सरकारी भवन बनने के बाद भी निजी भवन में आंगनबाड़ी केंद्र चल रहा है. सीतामढ़ी की एक महिला ने डेयरी स्थापना हेतु पशुपालन विभाग की स्वीकृति मिलने के बावजूद उन्हें बैंक द्वारा ऋण स्वीकृत नहीं किया जा रहा है. बांका के एक व्यक्ति ने शिकायत करते हुए कहा कि उनके पिता की मृत्यु बिहार राज्य मदरसा बोर्ड के अंतर्गत कार्य करते हुए हो गई, लेकिन उनके आश्रित को अनुकंपा के आधार पर अब तक नौकरी नहीं मिली. वहीं, भागलपुर के एक युवक ने शिकायत करते हुए कहा कि उसके भाई की मृत्यु नदी में डूब जाने के कारण हो गई थी. जिसकी अनुग्रह राशि का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया.

औरंगाबाद के एक वृद्ध पिता ने शिकायत करते हुए कहा कि वृद्धावस्था में उनकी संतान उनका भरण पोषण नहीं करते और वे बिल्कुल स्वार्थी हो गए हैं. उन्होंने सारी जमीन पर कब्जा कर लिया है. इसलिए उनके भरण पोषण का इंतजाम किया जाए. वहीं, सारण के एक व्यक्ति ने मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलने की शिकायत की. बेगूसराय से आए एक व्यक्ति ने अनुमंडलीय अस्पताल बखरी के भवन निर्माण में विलंब होने की शिकायत की. वहीं, अररिया की एक महिला ने पति की कोविड से मृत्यु के उपरांत अब तक अनुग्रह राशि नहीं मिलने की शिकायत की. सभी मामले में मुख्यमंत्री ने आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

पूर्णिया के एक व्यक्ति ने गंभीर रूप से बीमार अपने पुत्र की चिकित्सा के लिए सहायता दिलाने के संबंध में मांग की. गया से आयी एक लड़की ने अपनी गंभीर बीमारी के उपचार कराए जाने के लिए सहायता की मांग की. नवादा की एक महिला ने शिकायत करते हुए कहा कि उनके पति की हत्या वर्ष 2016 में हो गई थी. एससी-एसटी अधिनियम के तहत उन्हें मिलने वाली मुआवजे की राशि का भुगतान अब तक नहीं हुआ. वहीं, सहरसा की एक महिला ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति क्षेत्रीय कार्यालय सहरसा द्वारा मैट्रिक का प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किए जाने को लेकर शिकायत की. जिसमें मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार सुमन, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल और संबंधित विभागों के आला अधिकारी मौजूद रहे.

मुजफ्फरपुर में एईएस पर जोधरपुर एम्स द्वारा नये रिसर्च से संबंधित सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रिसर्च ठीक नहीं है. आपलोगों को पता है जब 2019 में वहां एईएस से लोग प्रभावित हुए तो हमने वहां जाकर एक-एक काम किया. सीएम ने कहा कि वहां जिले के पांच प्रखण्ड को चयनित किया. जहां अधिकतर लोग इससे प्रभावित थे. वहां कई गांव वे खुद देखने गये थे. अगर कोई आदमी प्रभावित है, उसका घर बना हुआ है कि नहीं, उनके लिये दवा की व्यवस्था हुई है कि नहीं, ऐसे सभी परिवारों का सर्वे कराया गया. एक-एक चीज का सर्वे करवाकर हमलोग सारा काम करवाये हैं.

उन्होंने कहा कि वे तीन साल पहले सोशियो इकोनोमी सर्वे कराकर एक-एक बात का पता किये और पता करने के बाद उन सभी जगहों पर सुविधा दी गयी. उसके बाद से एईएस का असर कम हुआ. इसमें कोई शक नहीं है.

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