नई दिल्ली/पटना: लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने लोजपा के पांचों बागी सांसदों (Rebel MPS) को पार्टी से निकाल दिया है. चिराग ने अपने गुट के कार्यकारिणी के सदस्यों की बैठक बुलायी थी. कई लोग इस बैठक में वर्चुअल माध्यम से भी जुड़े थे. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी बागी सांसद पार्टी से बाहर होंगे.
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पांचों सांसदों को पार्टी से निकाला
चिराग पासवान (Chirag Paswan) के चचेरे भाई और समस्तीपुर से सांसद प्रिंस राज पासवान (Prince Raj Paswan), वैशाली से सांसद वीणा देवी(Veena Devi), खगड़िया से सांसद महबूब अली कैसर (Mehboob Ali Kaiser), नवादा से सांसद चंदन सिंह (Chandan Singh) और पशुपति कुमार पारस (Pashupati Paras) को पार्टी से निकाल दिया गया है.
'असली लोजपा हम हैं. स्वर्गीय राम विलास पासवान की ये पार्टी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान हैं. बागी गुट क्या निर्णय ले रहा है ? किसको अध्यक्ष बना रहा है? इससे हम लोगों को कोई मतलब नहीं है. यह लोग सिर्फ जनता को गुमराह कर रहे हैं. उनके पास कोई पावर नहीं है.'- राजू तिवारी, बिहार लोजपा के कार्यकारी अध्यक्ष
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बागियों ने खोला मोर्चा
बता दें इससे पहले पशुपति कुमार पारस ने अपने गुट के लोगों के साथ आज राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक की. बैठक में सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया और चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया.
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इस बैठक में निर्णय लिया गया कि पटना में जल्द राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी, जिसमें पशुपति कुमार पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा. सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी.
दो खेमों में बंटी लोजपा
बता दें टूट के बाद से लोजपा दो खेमों में बंट गयी है. एक खेमा चिराग पासवान का हो गया है. और एक खेमा पशुपति कुमार पारस का हो गया है. कल लोजपा में बड़ी टूट हुई थी. छह में से पांच सांसद बागी हो गए. चिराग के चाचा एवं सांसद पशुपति कुमार पारस बागी गुट का नेतृत्व कर रहे हैं. उनको चिराग की जगह बागी सांसदों ने संसदीय दल का नेता बना दिया है.
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लंबे वक्त से थी नराजगी
नीतीश विरोधी चिराग के फैसलों में कभी पशुपति कुमार पारस उनके साथ नहीं रहे. अब जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की बात आई है तो जेडीयू सांसद ललन सिंह और महेश्वर हजारी और दूसरी तरफ एलजेपी के वरिष्ठ नेता सूरजभान सिंह ने इस बड़ी टूट की पटकथा तैयार कर दी, जिसमें हनुमान ने लंका की जगह खुद अपनी किष्किंधा में ही आग लगा ली. रामविलास पासवान ने पार्टी और परिवार दोनों को एक सूत्र में बांधकर रखा. एलजेपी में पहली बार रामविलास पासवान के जाने के बाद, 21साल बाद न सिर्फ पार्टी टूटी बल्कि परिवार भी बिखर गया.