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देश के 12 अर्क स्थलों में एक है पटना का ओलार्क सूर्य मंदिर, देश विदेश से छठ पूजा करने पहुंचते हैं लोग

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 17, 2023, 6:54 AM IST

ओलार्क सूर्य मंदिर पटना
ओलार्क सूर्य मंदिर पटना

Olark Sun Temple Patna : पटना के दुल्हिन बाजार का ओलर्क सूर्य मंदिर 12 अर्क स्थलों में एक है. यहां भक्ति व आस्था का पवित्र व ऐतिहासिक केंद्र माना जाता है. यहां छठ पूजा करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर से कई सारी धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है. साथ ही इसका इतिहास भी हजारों साल पुराना बताया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

पटना का ओलार्क सूर्य मंदिर

पटना : लोक आस्था का महापर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में बिहार की राजधानी पटना से 40 किलोमीटर दूर पालीगंज अनुमंडल के दुल्हिनबाजार प्रखण्ड के उलार गांव में स्थित ऐतिहासिक ओलार्क सूर्य मंदिर की महत्ता प्रासंगिक हो जाती है. बताया जाता है कि इस सूर्य मंदिर का संबंध द्वापर युग से है. यहां पहुंचने के लिए दुल्हिन बाजार व पालीगंज के बीचोबीच रकसिया गांव के पास पाली-पटना मुख्य मार्ग से एक पक्की सड़क जाती है. वहीं रकसिया गांव के पास से मात्र 500 मीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है.

काफी पुराना है मंदिर का इतिहास : ओलार्क सूर्य मंदिर हमेशा से सूर्य उपासकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. इस मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं. एक पूरब में व दूसरा पश्चिम दिशा की ओर है. पश्चिमी द्वार पर एक चमत्कारी तालाब है. मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करनेवालों को कुष्ठ व चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है. इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.

ओलार्क सूर्य मंदिर का तालाब
ओलार्क सूर्य मंदिर का तालाब

भगवान कृष्ण के पुत्र से जुड़ी है कहानी : पुरानी मान्यता के अनुसार हिन्दुओं के प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ शाम्ब पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जामवंति पुत्र राजा शाम्ब सुंदर स्त्रियों व युवतियों के साथ सरोवर में स्नान कर रहे थे. उसी समय महर्षि गर्ग सरोवर के नजदीक से गुजर रहे थे. उन्हें देखने के बावजूद भी राजा शाम्ब ने उनका न तो अभिवादन किया, बल्कि युवतियों से अलग तक नहीं हटे. वही राजा शाम्ब ने महर्षि का उपहास भी कर दिया. इससे क्रोधित होकर महर्षि गर्ग ने राजा शाम्ब को कुष्ठ रोग होने का श्राप दे दिया.

भगवान कृष्ण ने कराई थी 12 अर्क स्थलों की स्थापना : कहा जाता है कि इस घटना की जानकारी पाकर भगवान श्रीकृष्ण को बहुत दुख हुआ. उन्होंने राजा शाम्ब को इस श्राप से मुक्ति के लिए शाकद्वीप से वैद्य व सूर्य उपासक ब्राह्मणों को बुलाकर उपचार व भगवान सूर्य की उपासना करवाई. वहीं जिन नदियों व तालाब के किनारे की मिट्टी व जल में गन्धक की मौजूदगी पायी गयी. वहां यज्ञ का आयोजन करवाकर अर्क स्थल के रूप में प्रतिष्ठापित किया. इसमें बारह अर्क स्थल शामिल हैं.

ओलार्क मंदिर का मुख्य द्वार
ओलार्क मंदिर का मुख्य द्वार

देश के 12 अर्क स्थलों में एक है ओलार्क मंदिर : देश के 12 अर्क स्थलों में पर सूर्य मंदिर स्थापित हैं. इसी में से एक उलार का ओलार्क सूर्य मंदिर हैं. 12 अर्कों में उड़ीसा का कोणार्क, देव का देवार्क, पंडारक के पुण्यार्क, अङ्गरी के औंगार्क, काशी के लोलार्क, कन्दाहा सहरसा के मार्केण्डेयार्क, उत्तराखण्ड कटारमल के कटलार्क, बड़गांव के बालार्क, चंद्रभागा नदी किनारे चानार्क, पंजाब के चिनाव नदी किनारे आदित्यार्क और गुजरात के पुष्पावती नदी किनारे मोढेरार्क. तब से आज तक हिन्दू धर्म को माननेवाले लोग इन स्थलों पर पूजा अर्चना कर रोगों से मुक्ति पा रहे है.

औरंगजेब ने तुड़वा दिया था मंदिर : इधर, भारतीय इतिहास के अनुसार मुगल शासक औरंगजेब ने उलार में बने ओलार्क मंदिर को तुड़वा दिया था. इसके बाद भक्तगण जीर्ण शीर्ण मंदिर के ऊपर लगे पीपल के पेड़ व जंगलरूपी स्थान में भगवान सूर्य की प्रतिमा की पूजा करते रहे. अचानक 1948 में पहुंचे सन्त सद्गुरु अलबेला बाबाजी महाराज ने कठिया बाबा के बगीचा में रहनेवाले एक सन्त नारायण दास उर्फ सुखलु दास के आग्रह पर पीपल के पेड़ की पूजा अर्चना किी. इसके प्रभाव से पीपल का पेड़ सूख गया.

मंदिर में स्थापित सूर्य भगवान की मूर्ति
मंदिर में स्थापित सूर्य भगवान की मूर्ति

सैकड़ों साल बाद भक्तों ने दोबारा बनवाया मंदिर : पीपल का पेड़ सूख जाने के बाद अलबेलाजी महाराज ने स्थानीय लोगों व भक्तों के सहयोग से इस स्थान पर सूर्य मंदिर का निर्माण कराया. लोगों का मानना है कि मंदिर के पास बने चमत्कारी सरोवर में स्नान करने से थकावट दूर हो जाती है. साथ ही चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है. इसके जल व आस पास की मिट्टी की जांच में गन्धक की मौजूदगी पायी गयी है. वहीं मंदिर के महंत सह मुख्य पुजारी अवध बिहारी दास महाराज ने बताया कि यह उलार गांव स्थित ओलार्क सूर्य मंदिर देश के 12अर्क स्थलों में शामिल है.

"इसका इतिहास भगवान श्री कृष्ण के पुत्र राजा शांब से जुड़ा है. उनकी श्राप से मुक्ति को लेकर उन्होंने यहां पूजा किया और मंदिर परिसर में बने तालाब में स्नान भी किया था. पुरातत्व विभाग ने जब तालाब की जांच की, तो उसमें कुछ अलग ही दिखा. विभाग ने बताया कि यह पानी आम पानी से काफी अलग है. इस कारण कुष्ठ रोगी या चर्म रोग वाले लोग हर रविवार को यहां पूजा और स्नान करने आते हैं." - अवध बिहारी दास महाराज, मुख्य पुजारी, ओलार्क मंदिर

मंदिर की दीवार पर की गई छठ पूजा की पेंटिंग
मंदिर की दीवार पर की गई छठ पूजा की पेंटिंग

छठ पूजा को लेकर है विशेष तैयारी : चैती छठ हो या कार्तिक छठ पूजा, लाखों की संख्या में लोग देश विदेश से आते है और पूजा करके भगवान भास्कर से मांगते और भगवान उनके मनोकामना पूर्ण भी करते है. वैसे प्रत्येक रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर सरोवर में स्नान कर मंदिर में स्थापित भगवान सूर्य को दूध से अभिषेक कराते हैं. छठ पूजा को लेकर जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारी की जाती है. चारो ओर मधुबनी पेंटिंग की जा रही है, इसमें छठ से जुड़ी तमाम दृश्य दर्शाए जा रहे हैं.

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