सिंगापुर में भी गूंज रहे छठी मईया के गीत, सात समंदर पार आकर भी नहीं भूले अपनी संस्कृति

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Published : Nov 5, 2021, 12:47 PM IST

Chhath Puja 2021

छठ पूजा भगवान सूर्य, उषा, प्रकृति, जल और वायु को समर्पित बिहार का बेहद ही खास पर्व है. इसकी गूंज न सिर्फ देश भर में बल्कि विदेशों में भी देखने को मिलती है. सिंगापुर भी छठ (Chhath Puja In Singapore) के गीतों से गूंज उठा है. पढ़िए पूरी खबर..

पटना: छठ महापर्व (Chhath Puja) की तैयारियां जोरों (Chhath Puja Preparations) पर है. घर से दूर रहने वाले लोग भी छठ (Chhath Puja 2021) में अपने घर लौट आते हैं. लेकिन कई लोग ऐसे भी है जो अपने घर इस बार नहीं आ सके हैं. सिंगापुर में कई अप्रवासी भारतीय को घर न लौट पाने का मलाल है. लेकिन जो जहां है, वहीं से छठी मईया को नमन कर रहा है.ऐसे में सिंगापुर में भी छठ के गीत सुनने को मिल रहे हैं.

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सिंगापुर में रहने वाला अर्चित पूरे भक्ति भाव से छठ के गीत गाता है. अर्चित का कहना है कि इस बार बिहार अपने घर जाना था, लेकिन कोरोना के कारण जाना संभव नहीं हो पाया. अब सिंगापुर में ही छठ मनाने की तैयारी हो रही है. अर्चित ही नहीं बल्कि कई ऐसे परिवार हैं जो घर नहीं लौट पा रहे हैं. नैनसी जो मूल रूप से बिहार की रहने वाली हैं कहती हैं कि अपने घर बिहार जाने को लेकर काफी उत्साहित थे. रोज छठ के गीत गा रहे थे. लेकिन अब महापर्व छठ में अपने घर नहीं जा सकेंगे.

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"मुझे बहुत बुरा लग रहा है. दो साल से छठ में मेरा घर जाना नहीं हो पाया है. कोरोना के कारण लास्ट टाइम जाना संभव नहीं हो पाया था. इस बार लगा था कि घर जा सकेंगे इसलिए मैंने टिकट भी करा लिया था. रोज हम छठ के गीत भी गा रहे थे. लेकिन कोरोना के कारण एक बार फिर से मैं घर नहीं जा पा रही हूं. छठ में अपने घर को मैं बहुत मिस कर रही हूं."- नैनसी, प्रवासी भारतीय

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छठ महापर्व में घर न लौटने का मलाल सिर्फ नैनसी को ही नहीं है बल्कि ऐसे कोई लोग है जो इस पर्व में अपने घर नहीं आ पा रहे हैं. उन्हीं में से एक हैं पूजा. पूजा भी महापर्व छठ में घर न लौट पाने का दर्द बयां कर रही हैं. पूजा कहती हैं कि कोरोना के कारण घर नहीं जा पा रहे हैं. इस साल घर जाने की पूरी तैयारी हो गई थी, टिकट भी करा लिया था. लेकिन सिंगापुर में कोरोना फैला हुआ है,जिसके कारण घर जाना संभव नहीं हो पा रहा है.

"इस बार मैं घर नहीं जा पा रही हूं. कोरोना महामारी की वजह से हालात काफी बदल गए हैं. घर की याद तो हमेशा आती है. दिवाली छठ में ज्यादा याद आती है. मेरा बच्चा काफी छोटा भी है. इन तमाम चीजों को देखते हुए घर नहीं जा पा रही हूं."- पूजा, प्रवासी भारतीय

छठ महापर्व में घर न लौट पाने का दर्द इन लोगों के आंखों से झलक रहा है. कोरोना महामारी, जॉब इस तरह के कई कारण हैं जो लोगों को अपने घर से दूर रहने को मजबूर कर रहे हैं. हालांकि छठ महापर्व में घर से दूर रहने वाले लोग पूरी कोशिश करते हैं कि वे अपने घरों को लौट आयें,और महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें. फिलहाल कई प्रवासी भारतीयों को मलाल है घर न लौट पाने का. लेकिन छठ की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें आप सूर्य देव को कहीं भी रहें..सच्चे मन से अर्घ्य दे सकते हैं.

गौरतलब है कि हिंदू पंचांग के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह की षष्ठी से शुरू हो जाता है. यह पर्व चार दिनों चलता है. छठ पूजा 8 नवंबर से शुरू हो रहा है. इसके अगले दिन यानी 9 नवंबर के दिन खरना, 10 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और अंत में 11 नवंबर की सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा. इस त्योहार का नियम सख्त है. व्रती महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं.

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