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कुछ दिख ही नहीं रहा है... ऐसे में कैसे कम होगा पटना में क्राइम?

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Published : Aug 3, 2021, 1:26 PM IST

राजधानी में इन दिनों सभी चौक-चौराहों पर लगे सीसीटीवी (CCTV) मेंटेनेंस के अभाव में बंद पड़ा हुआ है. जिसके कारण अपराधियों का अपराध सिर चढ़कर बोल रहा है. हालांकि मेंटनेंस कार्य महीनों से किया जा रहा लेकिन परिणाम हाथ नहीं लग सका है.

सीसीटीवी
सीसीटीवी

पटना: बिहार की राजधानी पटना ( Patna ) में दिन-प्रतिदिन क्राइम ( Crime In Patna ) का मामला बढ़ता ही जा रहा है. पुलिस-प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी आपराधिक घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है. क्राइम रुकेगा भी तो कैसे, जिले में इन दिनों पुलिस की 'तीसरी आंख' खराब चल रही है. सीसीटीवी को मेंटेनेंस करने वाली कंपनियों का कॉन्ट्रैक्ट काफी पहले ही समाप्त हो गया है. फिलहाल नया कॉन्ट्रैक्ट बनाने का कार्य पिछले कई महीनों से किया जा रहा है. जिसमें अभी तक पुलिस विभाग को सफलता हाथ नहीं लगी है.

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राजधानी के चौक-चौराहों पर लगे सैकड़ों सीसीटीवी ( CCTV ) बंद पड़े होने के कारण अपराधी लगातार अपराध को अंजाम देकर फरार हो जा रहे हैं. पुलिस जांच के नाम पर सिर्फ अंधेरे में तीर चलाती नजर आ रही है. पटना के चौक-चौराहों पर लगे अधिकांश सीसीटीवी वर्षों से बंद पड़ा है. यह सीसीटीवी सड़क, नाली, गैस पाइपलाइन और नमामि गंगे योजना की भेंट चढ़ गए हैं. ज्यादातर सीसीटीवी का फाइबर वायर कट गया है. जिसके कारण कैमरा काम करना बंद कर दिया है.

देखें रिपोर्ट.

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पटना में अपराध नियंत्रण के लिए डायल 100 की ओर से 104 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. इसके अलावा ट्रैफिक लाइट सिस्टम के तहत 150 सीसीटीवी कैमरे कई ट्रैफिक पोस्ट पर लगाए गए थे. इन सैकड़ों कैमरों में से फिलहाल 6 सीसीटीवी काम कर रहा है. अन्य सीसीटीवी की कनेक्टिविटी न रहने के कारण बेकार और बंद पड़ा हुआ नजर आ रहा है.

बता दें कि कई वर्षों से कैमरे की कनेक्टिविटी सुधारने का कार्य विभाग की ओर से नहीं किया गया है. जिसके कारण इन सीसीटीवी कैमरों को लगाने वाली एजेंसी से कॉन्ट्रैक्ट खत्म होना बताया जा रहा है. यही हाल पुलिस विभाग के डायल 100 के माध्यम से लगाए गए सीसीटीवी का भी है.

सीसीटीवी लगाने वाली एजेंसी का टेंडर भी पिछले 2 साल पहले ही खत्म हो गया है. उसके बाद सीसीटीवी में आई खराबी के बाद उसका मेंटेनेंस भी एजेंसी के माध्यम से नहीं किया गया. इन्हीं सब कारणों से बाहरी इलाकों की ओर भागने वाले अपराधियों की पहचान पुलिस नहीं कर पा रही है. घटना के बाद पुलिस निजी संस्थानों में लगे प्राइवेट सीसीटीवी कैमरे के फुटेज खंगाल अपराधियों को चिन्हित करने की जुगत में जुटी हुई नजर आती है.

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