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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: CBI ने दिल्ली HC में हलफनामा किया पेश, ब्रजेश ठाकुर को ठहराया दोषी

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Published : Aug 25, 2020, 5:05 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 7:58 PM IST

मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में सीबीआई ने कहा है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया.

नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले पर सीबीआई ने कहा है कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नाबालिग लड़कियों का शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया. दिल्ली हाईकोर्ट में अपने हलफनामे में सीबीआई ने कहा है कि ब्रजेश ठाकुर ने मुजफ्फरपुर बालिकागृह को मिले सरकार अनुदान का दुरुपयोग किया. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर 15 सितंबर को सुनवाई करेगा.
सीबीआई ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए कोई गलती नहीं की है. सीबीआई की ओर से वकील राजेश कुमार ने कहा कि उनका जवाब कल ही दाखिल किया गया है इसलिए कोर्ट के रिकॉर्ड में नहीं है. उसके बाद कोर्ट ने 15 सितंबर को दलीलें सुनने का आदेश दिया.

देखें रिपोर्ट

ब्रजेश ठाकुर को मौत तक उम्रकैद की सजा मिली है
बता दें कि पिछले 22 जुलाई को हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को ट्रायल कोर्ट से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया था. ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. ब्रजेश ठाकुर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मौत तक कैद की सजा का आदेश सुनाया था. साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर पर 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

साकेत कोर्ट के आदेश को दी है चुनौती
बता दें कि पिछले 11 फरवरी को साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सजा सुनाया था. साकेत कोर्ट ने तीन महिलाओं समेत 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने चार महिलाओं समेत छह दोषियों को सात साल की कैद की सजा सुनाई थी. एक महिला को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि उसने छह महीने से ज्यादा दिनों तक जेल में काट लिए थे इसलिए कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया.

SC के आदेश पर बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस
गौरतलब है कि पहले इस मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. लेकिन 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. उसके बाद साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू की थी.

Last Updated :Aug 25, 2020, 7:58 PM IST
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