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BPSC ने शिक्षा विभाग को दी हिदायत.. 'भविष्य में ऐसे पत्राचार से बचें, जो कहना है सरकार से बोलें'

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 8, 2023, 8:58 PM IST

बीपीएससी और शिक्षा विभाग में विवाद
बीपीएससी और शिक्षा विभाग में विवाद

बीपीएससी ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखा और चेताया कि कर्मियों की प्रतिनियुक्ति से अगर आपत्ति है तो आयोग के बजाय राज्य सरकार से अनुरोध करना चाहिए. साथ ही आगे से इस तरह के पत्राचार की धृष्टता ना करने की भी हिदायत दी. पढ़ें पूरी खबर..

पटना: बिहार में बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बीच तनातनी बढ़ गई है. शिक्षा विभाग को लिखा गया एक पत्र शुक्रवार को तेजी से वायरल हो रहा है. दरअसल, आयोग ने यह पत्र 6 सितंबर को ही शिक्षा विभाग के पत्र के जवाब में लिखा था. शिक्षा विभाग की ओर से बीपीएससी को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग के कर्मियों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में लगाए गए ड्यूटी से मुक्त करने को कहा था और कहा था कि यह मानव श्रम का दुरुपयोग हो रहा है.

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आपत्ति होने पर सरकार से अनुरोध करे विभाग : इसी के जवाब में बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव रवि भूषण ने माध्यमिक शिक्षा के निर्देशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव को पत्र लिखते हुए कहा है कि आयोग के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कार्य में राज्य सरकार हमेशा सहयोग करती रही है. इसके लिए किसी विभाग के किसी पदाधिकारी और कर्मी को प्रतिनियुक्ति किया जाए, यह राज्य सरकार का विषय है. इस संबंध में किसी को यदि कोई आपत्ति है और अनुरोध करनी है तो राज्य सरकार से किया जाना चाहिए. आयोग ने हिदायत भी दी है कि भविष्य में इस तरह का पत्राचार ना किया जाए.

आयोग के आंतरिक मामले में दखल न दे विभाग : आयोग के सचिव रवि भूषण ने अपने पत्र में लिखा है कि सत्यापन का कार्य आयोग की आंतरिक प्रक्रिया का मामला है और यह आयोग शिक्षा विभाग या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं है. यदि यह स्पष्ट ना हो तो संविधान के सुसंगत अनुच्छेदों का अध्ययन कर लिया जाए. यह भी स्पष्ट है कि आयोग के आंतरिक प्रक्रिया के औचित्य पर प्रश्न चिह्न लगाना या इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप करना और इस प्रकार आयोग पर दबाव डालने का प्रयास करना असंवैधानिक है. यह अनुचित और अस्वीकार्य है.

बीपीएससी के सचिव ने पत्र में भी लिखा है कि आश्चर्य है कि विभाग इन सब प्रावधानों को जानते हुए भी बिना प्रमाण पत्रों के सत्यापन की आयोग से अनुशंसा की अपेक्षा कर रही है. पत्र में उन्होंने शिक्षा विभाग को हिदायत भी दी है कि उपरोक्त के आलोक में निर्देशानुसार यह कहना है कि भविष्य में इस तरह के पत्राचार की धृष्टता न की जाए.

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