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जाति जनगणना को लेकर तेजस्वी के आरोप पर बीजेपी का पलटवार कहा-'UPA सरकार में जनगणना के नाम पर हुआ घोटाला'

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Published : May 4, 2022, 6:56 PM IST

तेजस्वी के आरोप पर बीजेपी का पलटवार
तेजस्वी के आरोप पर बीजेपी का पलटवार

जातीय जनगणना को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader Of Opposition Tejashwi Yadav) ने बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय पर जातीय जनगणना कराने से मना करने का आरोप लगाया है. इसी पर बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने पलटवार करते हुए 2011 में यूपीए सरकार में हुए जातीय जनगणना में घोटाला का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

पटना:बिहार की सियासत में एक बार फिर से जातीय जनगणना (Caste census in Bihar) के मसले पर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है. जहां, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को एक बार फिर जोर शोर से उठाया है तो वहीं बीजेपी की ओर से भी जवाबी हमला करते हुए पार्टी के प्रवक्ता डॉक्टर निखिल आनंद (BJP Spokesperson Nikhil Anand) ने 2011 में हुए जातीय जनगणना में घोटाले की जांच की मांग उठायी है.

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2011 में हुए जातीय जनगणना की जांच की मांग: बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार बीजेपी प्रवक्ता डॉक्टर निखिल आनंद ने तेजस्वी यादव की जाति जनगणना को लेकर केंद्र सरकार को आरोपित करने पर जवाबी हमला किया है. उन्होंने यूपीए सरकार के दौरान 2011 में कराए गए जाति जनगणना को घोटाला करार देते हुए केंद्र सरकार से जांच कराने की मांग की. तेजस्वी यादव को करारा जवाब देते हुए निखिल आनंद ने कहा कि जाति जनगणना की मांग करने वालों को पहले कांग्रेस से पूछना चाहिए. निखिल आनंद ने कहा कि आजादी के बाद से ओबीसी के साथ कांग्रेस लगातार विश्वासघात क्यों किया. 2011 में जाति जनगणना को लेकर यूपीए ने 5500 करोड़ का घोटाला क्यों किया? क्या तेजस्वी यादव 2011 के जाति जनगणना घोटाले की जांच कराने की मांग करते हैं?

तेजस्वी के आरोप पर बीजेपी का पलटवार

जब-जब आरजेडी दुविधा से ग्रस्त होती है और जब इनकी पार्टी और परिवार में दिक्कत होती है. तब ये जुमले के तौर पर जाति जनगणना की बात करते हैं. मैं तेजस्वी यादव से पूछता हूं कि 2011 के जातीय जनगणना के आंकड़े क्यों सामने नहीं आए? जो 5 हजार करोड़ रुपये बर्बाद हो गए इसके लिए यूपीए सरकार से क्यों नहीं सवाल पूछते हैं. निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता


2011 में जाति जनगणना को लेकर संसद में हुई थी बहस: वहीं, निखिल आनंद ने कहा कि 2011 में जाति जनगणना कराने को लेकर संसद में 2010 में एक विस्तृत बहस हुई थी.बीजेपी को दोष देने वालों को संसद के रिकॉर्ड से दस्तावेज निकालकर पढ़ना-सुनना चाहिए कि हमारे नेता अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, गोपीनाथ मुंडे समेत अन्य लोगों ने इस मुद्दे पर क्या कहा था. सदन में बहस के बाद यूपीए सरकार जाति जनगणना कराने के लिए सहमत हो गई. आमतौर पर जनगणना अधिनियम के तहत जनगणना की जाती है. हैरानी की बात यह है कि यूपीए सरकार ने नियमित जनगणना के साथ जाति जनगणना नहीं कराया बल्कि जनगणना अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अलग से अपनी पसंद की निजी एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों से जाति जनगणना करया. जिसपर जनता की गाढ़ी कमाई के 5,500 करोड़ रुपये बर्बाद किए गए. उन्होंने यूपीए सरकार पर जाति जनगणना के नाम पर सैम्पल सर्वे कराकर पैसे लुटने का आरोप लगाया. यही कारण है कि इतनी सारी डेटा विसंगतियां हैं.कांग्रेस ने जाति जनगणना के नाम पर धोखाधड़ी करके भारत के ओबीसी समाज को धोखा दिया है. जिसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
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जाति जनगणना सिर्फ एक मुद्दा: निखिल आनंद: बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि यह हास्यास्पद है कि 2011 में यूपीए की ओर कराए गए जातिगत जनगणना में 4,28,000 जाति की सूची सामने आ गई. जिसमें 10 करोड़ से ज्यादा त्रुटियां पाई गई हैं. निखिल आनंद ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया. 27 ओबीसी मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया. नीट में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देना, केवीएस, नवोदय, सैनिक स्कूलों में ओबीसी आरक्षण देना समेत सारे अहम फैसले लिए गए हैं. जो मंडल आयोग लागू होने के बाद से सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक और साहसिक फैसले हैं. जाति जनगणना सिर्फ एक मुद्दा है, सामाजिक न्याय का पूरा विचार जाति जनगणना तक सीमित नहीं हो सकता. जनसंघ के शुरुआती दिनों से ही बीजेपी सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी पैरोकार रही है. बीजेपी का दृष्टिकोण सामाजिक न्याय के प्रति बहुत व्यवहारिक है.

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