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रामविलास पासवान की विरासत की सियासत में उलझी बिहार की राजनीति

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Published : Jul 7, 2021, 8:36 AM IST

रामविलास पासवन (Ram Vilas Paswan) के निधन से खाली हुई सीट को लेकर चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. आए दिन चाचा-भतीजा एक-दूसरे पर तंज कसते रहते हैं. एक ओर पशुपति पारस को नीतीश कुमार का समर्थन हासिल है तो वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान के समर्थन में कई वरिष्ठ नेता हैं.

सियासत
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पटना: बिहार में राजनीतिक विरासत की लड़ाई सड़क पर आ चुकी है. चिराग पासवान (Chirag Paswan) और पशुपति पारस (Pashupati Paras) में महासंग्राम छिड़ा हुआ है. पशुपति पारस को जहां नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का समर्थन हासिल है. वहीं दूसरी ओर कई वरिष्ठ नेता चिराग पासवान के समर्थन में हैं. जिसकी वजह से चिराग पासवान सीनियर लीडर्स के मार्गदर्शन के बदौलत आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.

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जनता से संवाद कर रहे चिराग
रामविलास पासवान की विरासत की सियासत को साधने के लिए चाचा भतीजा के बीच संग्राम चल रहा है. चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए जनता के बीच जाने का फैसला लिया है. वहीं पशुपति पारस खुद को रामविलास पासवान का असली वारिस बताने में जुटे हुए हैं. दोनों ओर से शक्ति प्रदर्शन का दौर जारी है.

जनता के बीच जा रहे चिराग पासवान
पशुपति पारस को जहां जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान के समर्थन में कुछ पुराने और अनुभवी नेता उतर आए हैं. चिराग पासवान के समर्थन में जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामजतन सिन्हा, वीणा शाही और अवनीश सिंह नेता उतर आए हैं. इन नेताओं का भरपूर समर्थन चिराग पासवान को मिल रहा है. रामजतन सिन्हा पूर्व सांसद अरुण कुमार के बुलावे पर चिराग पासवान से मिलने पहुंचे. रामजतन सिन्हा ने कहा कि चिराग पासवान के साथ अन्याय हुआ है. नैतिक समर्थन उनके साथ है.

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चिराग पासवान के साथ की गई घटिया राजनीति
'चिराग पासवान के साथ घटिया राजनीति की गई है. हम सभी इसके खिलाफ हैं. चिराग पासवान अच्छे नेता हैं और रामविलास पासवान के सपने को वह सच कर दिखा सकते हैं. मेरा पूरा समर्थन चिराग पासवान के साथ है.' -अरुण कुमार, पूर्व सांसद

अच्छे नतीजे आने की संभावना
'जाति विशेष के राजनेताओं का समर्थन मिलने से चिराग पासवान को ताकत मिली है. चिराग पासवान के साथ कई ऐसे नेता आ गए हैं जिनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव है. यदि इन परिस्थितियों में चिराग पासवान संघर्ष करेंगे तो उनके पक्ष में अच्छे नतीजे आ सकते हैं.' -डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

50 साल तक दलितों के लिए काम करते रहे पासवान
चुनावी राजनीति में रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने 50 साल समय गुजारा. पॉलिटिकल करियर के मामले में वो लालू यादव और नीतीश कुमार के सीनियर थे. रामविलास की पूरी राजनीति दलितों खासकर पासवान (दुसाध) के आसपास घूमती रही. इतने लंबे समय तक किसी खास समाज के लिए काम करने पर एक 'वफादार' वोटबैंक तैयार हो जाता है. चूंकि ज्यादातर वक्त वो सत्ता के साथ रहे. इसके जरिए भी वो मदद पहुंचाते रहे. जिसका फायदा उनके समाज को होता रहा है.

बदनामी का फल तो मिलना चाहिए
वहीं मंगलवार को चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) पर हमला किया था. उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि 'मैं दिल से चाहता हूं कि जब उन्होंने इतनी बदनामी मोल ली, इतना कुछ झेला तो उनकी महत्वाकांक्षा पूरी हो.' उन्होंने कहा कि यहां पर तकनीकी तौर पर कुछ चीजें स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि वे निर्दलीय सांसद के तौर पर तो मंत्री बन सकते हैं, लेकिन एलजेपी एमपी के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो सकते हैं. क्योंकि पांचों बागी सांसदों को पार्टी से निकाला जा चुका है.

नीतीश कुमार पर निशाना
चिराग ने इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जेडीयू ही ऐसी पार्टी है कि जिसने मेरे पिताजी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दी. जिस तरह से मेरे चाचा आज नीतीश कुमार के साथ होकर रामविलास पासवान के अरमानों को कुचलने का काम कर रहे हैं, वह जनता देख रही है.

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