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Bihar Politics: मानसून सत्र पर लाखों रुपये खर्च, जनता से जुड़े मुद्दे पर कोई सवाल नहीं

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Published : Jul 14, 2023, 10:14 PM IST

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र 10 जुलाई से शुरू हुआ. 14 जुलाई तक तक यह सत्र चला. 5 दिनों के छोटे से मानसून सत्र में खूब हंगामा हुआ. जनता से जुड़े अधिकांश सवालों का उत्तर नहीं हो सके. पिछले 5 दिनों में कैसे सत्र चला, पढ़ें विस्तार से.

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र का लेखा जोखा.

पटना: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र आज शुक्रवार को समाप्त हो गया. 5 दिनों तक चले इस सत्र में सरकार की ओर से जो जरूरी कार्य है वह संपन्न कराए गए. अनुपूरक बजट और दो विधेयक को पास कराया गया. लेकिन जनता से जुड़े सवालों के मामले में मानसून सत्र एक तरह से विफल रहा. सत्र का अधिकांश समय हंगामे की भेंट चढ़ गया. बीजेपी के 3 विधायकों का मार्शल आउट विधानसभा अध्यक्ष ने कराया. हंगामे में दो कुर्सी और रिपोर्टिंग टेबल भी टूटे.

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पिछले 5 दिनों में कैसे चला सत्रः 10 जुलाई को मॉनसून सत्र का पहला दिन था. इसलिए ना तो प्रश्नकाल हुआ और ना ही जनता के किसी तरह के सवाल सदन में लाए गए. विधानसभा अध्यक्ष का संबोधन, सत्र संचालन के लिए पीठाधीश के नाम की घोषणा और प्रथम अनुपूरक बजट पेश करने के अलावा शोक संबोधन ही हुआ. लगभग आधे घंटे ही सदन की कार्यवाही चल पाई. हालांकि इस दौरान भी बीजेपी की तरफ से उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा हुआ.

रिपोर्टिंग टेबल टूट गयीः 11 जुलाई को सत्र का दूसरा दिन था. विधानसभा की कार्यवाही पहले हाफ में 6 मिनट और दूसरे हाफ में 20 मिनट के करीब चली. ना प्रश्नकाल हुआ ना ही ध्यानकर्षण हुआ. जनता के किसी सवाल का उत्तर नहीं हुआ. हंगामे के कारण रिपोर्टिंग टेबल टूट गया.

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र.

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विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोपः 12 जुलाई को विधानसभा की पहले हाफ की कार्यवाही जब शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष ने बोलने का मौका दिया. शांतिपूर्वक ढंग से प्रश्नकाल शुरू भी हुआ लेकिन 3 अल्प सूचित प्रश्न के उत्तर के बाद बीजेपी ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया. हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल कुछ देर चला लगभग 31 मिनट तक सदन की कार्यवाही चली और उसके बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया. हंगामे के कारण छीना झपटी में दो कुर्सियां टूट गई.

बीजेपी धरना पर बैठ गईः 13 जुलाई को विधानसभा की कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई. बीजेपी के सदस्य प्रश्नकाल शुरू होते ही बेल में पहुंच गए नारेबाजी करने लगे. विधानसभा अध्यक्ष ने बीजेपी के 2 विधायकों को जीवेश मिश्रा और इंजीनियर कुमार शैलेंद्र को मार्शल से उठा कर बाहर करवा दिया. बीजेपी इससे और आक्रोशित हो गई और जब हंगामे पर भी विधानसभा की कार्यवाही चलती रहे तो सदन का बहिष्कार कर बीजेपी धरना पर बैठ गई. बिना बीजेपी के प्रश्नकाल पूरा चला. ध्यान कर्षण में प्रश्नों का उत्तर भी हुआ पहले हाफ के साथ दूसरे हाफ में भी सदन की कार्यवाही चली और प्रथम अनुपूरक बजट भी सदन से पास कराया गया. दूसरे हाफ में भी बीजेपी सदन में नहीं पहुंच पायी क्योंकि विधानसभा मार्च के दौरान जमकर लाठीचार्ज हुई और उसके बाद बीजेपी विधायकों को विधानसभा आने नहीं दिया गया.

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कुर्ता खोलने का प्रयासः 14 जुलाई को मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन की कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई. बीजेपी के विधायक संजय सिंह को रिपोर्टिंग टेबल पर चढ़कर कुर्ता खोलने के दौरान मार्शल ने सदन से बाहर कर दिया. हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दी गयी. दूसरे हाफ में बीजेपी की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही चली और गैर सरकारी संकल्प पर चर्चा हुआ.

मॉनसून सत्र पर क्या कहा नेताओं नेः सरकार की ओर से मंत्रियों ने मानसून सत्र को सफल बताया और सभी जरूरी सरकारी कार्य कराने की बात कही तो वही सत्ता पक्ष के आरजेडी के विधायक चेतन आनंद ने कहा कि मानसून सत्र असफल रहा है. जदयू कोटे के मंत्री मदन सहनी ने नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा के रवैए पर सवाल खड़ा किया. कहा उनका मकसद हमेशा हंगामा करना ही रहा है. जबकि बीजेपी की सदस्य गायत्री देवी ने कहा हम लोगों की बात सदन में सुनी ही नहीं गई विधानसभा अध्यक्ष जंगलराज के अध्यक्ष हैं.

"मानसून सत्र असफल रहा है क्योंकि हम लोगों को जनता सवाल करने भेजती है लेकिन यहां सवाल का उत्तर नहीं हो सका. बीजेपी के हंगामे के कारण उनका भी सवाल का उत्तर नहीं हुआ."- चेतन आनंद, आरजेडी विधायक

सदन चलाने पर करोड़ों रुपए खर्च हुए: मानसून सत्र में विपक्ष की मौजूदगी में सत्र का संचालन सरकार नहीं कर पाई. बीजेपी जब अनुपस्थित रही तभी सदन चला. कुल मिलाकर इस बार विधानसभा में हंगामा ही चर्चा का विषय बना रहा. जबकि सदन चलाने पर करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं. विधायकों के डीए में ही 50 लाख चले गए. हजारों की संख्या में पुलिस बल को लगाया गया और सत्र से पहले कई विभागों के साथ मैराथन बैठक चली. सभी दलों के साथ सर्वदलीय बैठक भी हुई लेकिन उन सब का कोई असर मानसून सत्र के संचालन पर नहीं दिखा.

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