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सिवान में फिर सताने लगा है गैंगवार का डर! पुलिस मुख्यालय अलर्ट.. कहीं वापस ना आ जाए पुराना दौर

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Published : Apr 6, 2022, 6:47 PM IST

Updated : Apr 6, 2022, 8:40 PM IST

सिवान में एमएलसी चुनाव के निर्दलीय उम्मीदवार रईस खान पर हमले के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय अलर्ट (Bihar Police Headquarter Alert) हो गया है. सिवान से लेकर पटना तक पुलिस अधिकारियों की बैठकें चल रही हैं. वजह भी साफ है, क्योंकि जिस तरह जेडीयू के पूर्व विधायक ने ताल ठोककर बदला लेने की बात कही है, उससे इलाके में गैंगवार का डर पुलिस महकमे को भी है.

सताने लगा सिवान में गैंगवार का डर
सताने लगा सिवान में गैंगवार का डर

सिवानः एक जमाना था, जब बिहार में जंगलराज होने की बात कही जाती थी. आज स्थिति काफी हद तक बदल गई है. उस दौर में आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन (Former MP Mohammad Shahabuddin) की सिवान में तूती बोलती थी. 2005 के बाद बिहार के लॉ एंड ऑडर में काफी सुधार आया और उस वक्त के कई लोग जो आतंक का प्रयाय बन चुके थे, सलाखों के पीछे भेजे गए. आरजेडी के सत्ता से जाने के बाद शाहबुद्दीन का राजनीतिक ग्राफ भी धीरे-धीरे नीचे गिरता गया और सालों तक जेल में रहने के बाद उनकी मृत्यु हो गई. लेकिन पिछले दिनों एक बार फिर सिवान में गैंगवार ने आहट दे दी, जब एमएलसी चुनाव के निर्दलीय उम्मीदवार रईस खान पर हमला (Attack On MLC Candidate Rais Khan In Siwan) हुआ. सिवान से लेकर राजधानी पटना तक राजनीति गरमा गई. आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. वहीं, लोगों को अब इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं सिवान में पुराना दौर फिर से वापस ना आ जाए.

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कहीं वापस ना आ जाए पुराना दौरः दरअसल बिहार के सिवान से निर्दलीय उम्मीदवार रईस खान सिवान में खान ब्रदर्स के नाम से मशहूर हैं. बीते 2 दिन पहले एके-47 से इन पर हमले हुए. हालांकि हमले वो बाल-बाल बच गए लेकिन एक अन्य शख्स की मौत हो गई, इस मामले को लेकर उनके द्वारा बाहुबली नेता स्वर्गीय शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब समेत आठ लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई. इस मामले में ओसमा का नाम सामने आने के बाद लोगों को ये शंका होने लगी है कि सिवान में पुराना दौर कहीं फिर से वापस ना आ जाए. वहीं पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि इस पूरे मामले पर हमारी नजर है, जांच चल रही है. जो लोग भी इस मामले में सामने आएंगे उन पर कार्रवाई होगी. जल्द ही पूरा खुलासा हो जाएगा.

ओसामा शहाब पर आरोप लगाए जाने के बाद सिवान इलाके में गोलबंदी तेज हो गई है. क्योंकि एमएलसी चुनाव में आरजेडी प्रत्याशी विनोद कुमार जायसवाल को पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के परिवार का समर्थन मिला है. जिस वजह से उन लोगों ने आरोप लगाया है कि शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा के साथ कई लोगों ने उनपर AK47 से हमला किया है. सवाल ये भी उठ रहा है कि एमएलसी चुनाव के दौरान आखिर कैसे एके-47 की गूंज एक बार फिर से सिवान में सुनने को मिली. आखिर कहां से एके-47 सिवान में आ रहा है. कई तरह के सवाल बिहार पुलिस और मुख्यालय पर भी खड़े हो रहे हैं.

घटना के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय अलर्टः सिवान में हुए AK47 से हमले के बाद सिवान और बिहार पुलिस मुख्यालय भी अलर्ट हो गया है. बिहार पुलिस मुख्यालय को लगता है कि AK47 से हुए हमले के बाद गैंगवार जैसी नौबत ना आए. उस को लेकर काफी सतर्कता बरती जा रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस हमले में 1 एके-47 का नहीं बल्कि कई एके-47 से वार किया गया है. पुलिस मुख्यालय द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार सारण के डीआईजी रविंद्र कुमार के द्वारा सिवान के एसपी और जिले के सभी थानेदारों के साथ बैठक की गई है. इस मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी की गई है, बाकी लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है. हालांकि गैंगवार की बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि एके-47 से हुए हमले के बाद पूर्व जदयू विधायक ने ताल ठोक कर बदला लेने का बात कही है. हालांकि बिहार पुलिस मुख्यालय सिवान की घटना पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है और लगातार पुलिस मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकों का दौर चल रहा है.

जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय

दो अफसरों ने किया था शहाबुद्दीन के खौफ को खत्मः आपको बता दें कि सिवान में यह कोई पहली बार नहीं है कि AK47 की धमक देखने को मिली है. बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के दौर में भी AK47 की धमक थी, उस वक्त हालात यह थी कि पुलिस भी उस बाहुबली पर हाथ डालने से डरती थी. तब दो अफसरों ने पूरे महकमे को बताया कि प्रशासन और प्रशासक का पावर क्या होता है. तत्कालीन डीएम सी के अनिल और एसपी एस रत्न संजय कटियार ने कहीं न कहीं शहाबुद्दीन के खौफ को खत्म करने का निर्णय लिया था.

तब इन दोनों अधिकारियों के साथ-साथ भारी संख्या में पुलिस बल के साथ शहाबुद्दीन के प्रतापपुर स्थित घर की घेराबंदी की गई थी. इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों द्वारा पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी. पुलिस ने ताबड़तोड़ जवाबी हमले किए इसके बाद उनके घर में दाखिल हुई. तब उनके घर से भारी मात्रा में पाकिस्तानी हथियार बरामद हुए थे. जिसमें पाकिस्तानी ऑर्डिनेंस कंपनी की मुहर लगी AK47 राइफल भी शामिल थी. इसके अलावा कई ऐसे हथियार मिले थे जो केवल पाकिस्तानी सेना प्रयोग करती है. उसके बाद साल 2021 में भी बिहार पुलिस शहाबुद्दीन को पकड़ने गई थी, जिसमें 3 पुलिसकर्मी मारे गए थे.

ऐसे शुरू हुई खान ब्रदर्स से शहाबुद्दीन की दुश्मनीः इस दौरान एक वक्त ऐसा भी था, जब खान ब्रदर्स बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के लिए काम किया करते थे. रईस खान का नाम सिवान में आज भी काफी चर्चित है. खासकर अपराध की दुनिया में ये गैंग साल 2003 में एक इंस्पेक्टर की हत्या कर सुर्खियों में आया था. सिवान जिले में खान ब्रदर्स वर्षों से सक्रिय है. वर्ष 2002 में मनोज श्रीवास्तव की हत्या, साल 2003 में चैनपुर ओपी प्रभारी बीके यादव की हत्या का मामला दर्ज हुआ था. यही नहीं झारखंड के गोड्डा जिले के एक्सक्यूटिव इंजीनियर के अपहरण में रईस खान के गिरोह का नाम सामने आया था. जिसमें 25, 00000 लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई थी. हालांकि इस तरह के कई मामले उन पर और भी दर्ज हैं.

रईस खान के पिता कमरूल हक और भाई चांद खान रघुनाथपुर विधानसभा के प्रत्याशी भी रह चुके हैं. साल 2005 में 9 फरवरी को सिसवन थाना क्षेत्र से कमरुलहक का अपहरण कर लिया गया था. कमरुलहक उस समय रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. वहीं शहाबुद्दीन समर्थक विक्रम कुमार भी वहां से उम्मीदवार थे. कमरुल के अपहरण कि साजिश का आरोप शहाबुद्दीन पर लगा था, जिसके बाद से खान ब्रदर्स की दुश्मनी शहाबुद्दीन से शुरू हो गई थी. अब जबकि 2022 में एमएलसी चुनाव के दौरान रईस खान पर हमला हुआ तो इसका आरोप शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा पर लगाया गया.

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जदयू के पूर्व विधायक पर कार्रवाई की मांगः वहीं, सिवान में हुई इस वारदात के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है. घटना के बाद एक ओर विपक्ष जहां राज्य सरकार पर हमलावार है. तो वहीं, सत्ताधारी दल के नेता आरजेडी पर निशाना साध रहे हैं. लोजपा रामविलास के प्रवक्ता चंदन सिंह ने सुशासन बाबू पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में एके-47 से हमले हो रहे हैं और जेडीयू के पूर्व विधायक ताल ठोककर बदला लेने की बात करते हैं. इससे अंदाजा लगाया सकता है कि जब सत्ताधारी पार्टी के लोग ही अपराधिक घटनाओं में भागीदारी निभाएंगे, तो बिहार का भविष्य कैसा होगा. लोजपा ने इस घटनाक्रम के बाद किसी तरह की और घटना ना हो इस वजह से जदयू के पूर्व विधायक पर कार्रवाई करने की मांग की है.

'ओसामा शहाब को फंसाने की साजिश': उधर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इस घटना को लेकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया है कि तेजस्वी यादव के इशारे पर शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को फंसाने की साजिश हो रही है. जिस तरह से ओसामा लगातार लोकप्रिय हो रहे थे, उससे सबसे ज्यादा नुकसान तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय जनता दल को हो रहा था. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को यह डर है कि युवा चेहरे लगातार पॉपुलर हो रहे हैं, इससे उनकी कुर्सी खिसक सकती है. बहरहाल अब तो ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि हमले के पीछे की असल वजह क्या है, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता या फिर पुरानी दुश्मनी. फिलहाल बिहार पुलिस मुख्यालय इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं.

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Last Updated :Apr 6, 2022, 8:40 PM IST
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