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आर्थिक संकट के समय राजस्व वसूली में पिछड़ा, केंद्र पर निर्भर बिहार को 'आत्मनिर्भर' बनाने के लिए एक्शन प्लान की दरकार

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Published : Mar 27, 2022, 4:38 PM IST

जीडीपी के मामले में बिहार सरकार अव्वल होने का दावा करती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) बेहतर वित्तीय व्यवस्था का हवाला देकर स्पेशल स्टेटस की मांग भी करते हैं, लेकिन कर संग्रह के मामले में बिहार निचले पायदान (Bihar laggy in terms of tax collection) पर है. पढ़ें पूरी खबर..

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

पटना: बिहार का ग्रोथ रेट (Growth Rate of Bihar) डबल डिजिट में है. नीतीश सरकार बेहतर वित्तीय व्यवस्था की बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर टॉप पर होने का दावा भी करती है, लेकिन कर संग्रह के मामले में बिहार कई राज्यों से नीचे है. आज की तारीख में भी विकास के लिए राज्य केंद्र पर निर्भर है. अपने संसाधनों से कर संग्रह के मामले में बिहार निचले पायदान पर है. बिहार 20% से भी कम कर संग्रह अपने संसाधनों से कर पाती है. बिहार को केंद्रीय सहायता और केद्रांश पर निर्भर होना पड़ता है.

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बिहार के कर संग्रह में आई कमी: पिछले 2 सालों के दौरान बिहार के कर संग्रह में कमी आई है. अपने संसाधनों से बिहार 19.99 प्रतिशत एक कर संग्रह कर पाती है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2020- 21 में बिहार ने अपने संसाधनों से 36,543 करोड़ इकट्ठा किया था, जो कुल कम कर संग्रह का 22.05% था. साल 2021-22 में राज्य ने अपने संसाधनों से 40,555 करोड़ इकट्ठा किए, जो कुल कर संग्रह का 18.97% था.

केंद्र पर रहना पड़ता है निर्भर: साल 2022-23 में राज्य ने अपने संसाधनों से 47,522 करोड़ इकट्ठा किए जो कुल कर संग्रह का 19.99 प्रतिशत था. आज की तारीख में बिहार का बजट दो लाख 37,891 करोड़ का है और राज्य अपने संसाधनों से 47,522 करोड़ इकट्ठा करते हुए शेष राशि के लिए केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है. महाराष्ट्र जैसे अग्रणी राज्य की बात कर ले तो राज्य अपने संसाधनों से 57.23% कर इकट्ठा करती है. महाराष्ट्र जैसे राज्यों की केंद्र पर निर्भरता ना के बराबर है. बता दें कि स्वतंत्रता के बाद 1952-53 के लिए विधानसभा नहीं 30 करोड़ रुपए के वार्षिक बजट पेश किए गए थे. राज्य को विभिन्न स्रोतों से ₹28 करोड़ की आय का अनुमान था.

''स्टेट का टैक्स कलेक्शन काफी कम है. हमको विकास के मामले में केंद्र पर आश्रित रहना पड़ता है. इस दृष्टिकोण में बिहार ने पर्यटन के क्षेत्र में, इंडस्ट्री के क्षेत्र में यहां की जो सरकार रही है, उन्होंने इस करफ कभी ध्यान नहीं दिया. बिहार सरकार सिर्फ स्पेशल स्टेटस का रोना रोती है, लेकिन राज्य में औद्योगिकरण को गति देने के लिए एक्शन प्लान तैयार नहीं किया गया. सरकार की नीतियों की वजह से देखकर संग्रह के मामले में बिहार पीछे है और केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है.''- राहुल तिवारी, राजद विधायक

''शराबबंदी से ठीक है रेवेन्यू कम हुआ, लेकिन हमने उसकी प्रतिपूर्ति कहीं ना कहीं से किया है. अगर नहीं किए होते तो प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 अस्पताल स्वीकृत हुआ, ऐसा तो पहले भी कभी नहीं हुआ था. बिहार में संसाधनों की कमी है जिस वजह से कर संग्रह में परेशानी होती है, लेकिन बिहार में डबल इंजन की सरकार है केंद्र से हमें सहायता मिल जाती है.''- पवन जायसवाल, बीजेपी विधायक

''आपने देखा होगा कि बिहार में 2005 से पहले क्या स्थिति थी. पहले स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की स्थिति क्या थी. अब सभी कुछ बढ़ा है. राज्य में बहुत बदलाव हुए हैं. पहले के मुकाबले परिस्थितियां बेहतर हुई हैं. हम बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं. धीरे-धीरे राजा पर होने की दिशा में है.''- जमा खान, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, बिहार सरकार

''कर संग्रह के मामले में राज्यों को बेहतर परफॉर्म करने होंगे जब कर संग्रह होंगे, तभी राज्य को विकास के पथ पर ले जाया जा सकता है. महाराष्ट्र जैसे राज्य कर संग्रह के मामले में टॉप पर है तो बिहार जैसे राज्य अपने संसाधनों से मात्र 20% कर संग्रह कर पाती है. राज्य सरकार को औद्योगिकरण पर्यटन के क्षेत्र में विकास और कृषि आधारित उद्योगों को लगाने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने होंगे.''- डॉक्टर विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

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