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कोरोना काल में बढ़ा युवाओं में तनाव, बिहार सरकार बना रही है यूथ हेल्थ सेंटर

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Published : Feb 28, 2022, 10:58 PM IST

कोरोना काल में युवाओं पर निगेटिव असर हुआ है. 40 फीसदी युवा नौकरी जाने की दहशत में हैं. इसी को देखते हुए बिहार सरकार युवाओं के मेंटल हेल्थ को लेकर काम करना शुरू कर चुकी है. बिहार में कुछ जगहों पर यूथ हेल्थ सेंटर बी बनाए जाएंगे. पढ़ें रिपोर्ट..

बिहार में शुरू किया जाएगा यूथ हेल्थ सेंटर
बिहार में शुरू किया जाएगा यूथ हेल्थ सेंटर

पटना: कोरोना का निगेटिव असर प्रदेश के युवाओं पर पड़ा है. कोरोना के कारण प्रदेश के प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले 40 फीसदी युवाओं में नौकरी जाने का डर बन गया है. यह डर डिप्रेशन का रूप लेने लगा है. कोरोना का तीसरा लहर जा चुका है लेकिन अब लोगों में कोरोना का डर नहीं बल्कि कोरोना के कारण कंपनियों की खराब हुई हालत की वजह से नौकरी जाने का डर अधिक परेशान कर रहा है. मेंटल हेल्थ की निगरानी करने वाले चिकित्सक खासकर साइकेट्रिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट के पास मानसिक तनाव वाले युवकों की आने की संख्या इन दिनों बढ़ गई है. चिकित्सकों की मानें तो पटना में 40 फीसदी से अधिक युवा ऐसे ही दहशत में रह रहे हैं. इसके लिए सरकार यूथ हेल्थ सेंटर की निर्माण (Bihar government will set up Youth Health Center) कराएगी.

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युवाओं में कोरोना के कारण मानसिक समस्या को देखते हुए बिहार सरकार युवाओं के मेंटल हेल्थ को लेकर काम करना शुरू कर चुकी है. सरकार की ओर से शुरुआती चरण में प्रदेश के 12 कॉलेजों में मेंटल हेल्थ सेंटर खोलने की तैयारी चल रही है. आने वाले दिनों में प्रदेश के 40 कॉलेजों में यूथ के लिए इस प्रकार के सेंटर खोले जाएंगे, जहां मेंटल हेल्थ से लेकर युवाओं से जुड़ी हर समस्याओं का समाधान होगा.

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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग कॉलेज जाने वाले युवाओं को बेहतर और स्वस्थ जीवन जीने के गुण सिखाने के लिए इस प्रकार की सेहत केंद्र की स्थापना करने जा रहा है. बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के द्वारा संचालित रेड रिबन क्लब के साथ साझीदारी में सेहत केंद्र कोई उठ फ्रेंडली के रूप में स्थापित किया जा रहा है. यहां युवाओं के मन से नकारात्मकता की उलझन को दूर किया जाएगा और सकारात्मक विचार कैसे जागृत करें, इसको लेकर प्रेरित किया जाएगा. इस सेहत केंद्र में स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, मादक पदार्थ के सेवन से हानि, गैर संचारी रोग, रक्तदान का महत्व, सही उम्र में शादी, लिंग आधारित भेदभाव जैसे विषयों पर जानकारी दी जाएगी.

शुरुआती चरण में इन 12 कॉलेजों में बनाए जाएंगे यूथ हेल्थ सेंटर

  • बिहार कृषि महाविद्यालय, भागलपुर
  • अररिया कॉलेज, अररिया
  • सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज, औरंगाबाद
  • कोशी कॉलेज, खगड़िया
  • केएसएस कॉलेज, लखीसराय
  • वैशाली महिला महाविद्यालय, हाजीपुर
    डीएवी कॉलेज, सिवान
  • राजेंद्र मिश्रा कॉलेज, सहरसा
  • जीएमआरडी कॉलेज, समस्तीपुर
  • बीएसएस कॉलेज, सुपौल
  • महंत दर्शन दास महिला महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर
  • गणेश दत्त कॉलेज, बेगूसराय

युवाओं के मेंटल हेल्थ पर काम करने वाले पीएमसीएच के साइकेट्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि ऐसे मामले में वह युवाओं को इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि हालात को सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हों, मनोबल ऊंचा रखें. जो युवा नौकरी जाने की भय को लेकर तनाव में रहते हैं उनकी छिपी हुई योग्यताओं और हुनर को बाहर निकालने का वह प्रयास करते हैं ताकि उन्हें विश्वास हो सके कि उनके पास हुनर है और वह भूखे नहीं रहेंगे. कई बार युवाओं में अगर दूसरे क्षेत्र की योग्यता है और वह कार्य किसी दूसरे क्षेत्र में कर रहा है तो ऐसे युवाओं के मन में भी असंतोष व्याप्त हो जाता है. उन्होंने बताया कि वह चाइल्ड एंड एडोलिसेंट हेल्थ के दिशा में पूरी गंभीरता से काम कर रहे हैं और युवाओं को नशा मुक्ति के दिशा में प्रेरित करने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं.

पटना के न्यूरोलॉजिस्ट और पीएमसीएच के चिकित्सक डॉ ऋषि कांत सिंह ने बताया कि पहले महिलाओं में माइग्रेन की समस्याएं अधिक आती थी लेकिन कोरोना के बाद से युवाओं में खासकर 20 वर्ष से 40 वर्ष के बीच के युवाओं में माइग्रेन के मामले बहुत अधिक बढ़ गए हैं. कोरोना काल में छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी कंपनियों को अच्छे लेवल पर फाइनांशियल दिक्कत झेलनी पड़ी है. जिसके कारण काफी लोगों की नौकरी भी गई है और कई लोगों की नौकरी में भी संकट आ गई है. सैलरी में इंक्रीमेंट रुका हुआ है और महंगाई बढ़ी है. इस वजह से नौकरी करने वाले युवाओं में तनाव के मामले कई गुना बढ़ गए हैं और यह तनाव माइग्रेन का रूप ले रहा है. इसके अलावा अनिद्रा की भी शिकायत बढ़ गई है.

उन्होंने बताया कि एसे केस वाले लोगों को सलाह देते हैं कि तनाव से कोई फायदा नहीं है और खुद को पॉजिटिव रखें. मन में सकारात्मक विचारों को प्रवाहित होने दें और मन शांत रखने के लिए मेडिटेशन करें योगा करें. अधिक सोचने की कारण युवा जब डिप्रेशन में चले जाते हैं तो कई बार डिप्रेशन दूर करने के लिए उन्हें कुछ दवाइयों की गोलियां भी देनी पड़ती है. ऐसे युवाओं को समझाते हैं कि कोरोना के कारण हालात थोड़े बदतर जरूर हुए हैं लेकिन अभी भी देश में नौकरियों की कमी नहीं है और कई नए सेक्टर में जॉब अपॉर्चुनिटी आ रही है.

डॉ. ऋषि कांत सिंह ने कहा कि कोरोना के कारण जिन युवाओं की आय कम हुई है कई बार उनके परिवार वालों से सपोर्ट नहीं मिलना उन्हें डिप्रेशन में ढकेल देता है. परिवार को एक खर्च की आदत पड़ जाती है और जब वह पूरा नहीं हो पाता तो उसके पूर्ति के लिए वह कमाने वाले एकमात्र सदस्य पर बहुत दबाव भी डालते हैं. बच्चे अपने पिता की मेंटल स्थिति को समझ नहीं पाते और वह अपनी डिमांड करते रहते हैं. डिमांड फुलफिल ना कर पाने पर अधिक सोचने के कारण ऐसे पुरुष डिप्रेशन की गिरफ्त में चले जाते हैं और इसका असर परिवार पर भी गंभीर रूप से पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर घर में एक व्यक्ति कमाने वाला है और उसके पीछे 4 से 5 लोग हैं तो उन सभी सदस्यों की जिम्मेदारी बनती है कि कमाने वाले अकेले शख्स पर अधिक तनाव ना दें.

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