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मार्च महीने की वो तारीखें जो सुलगा गईं बिहार.. विपक्ष कानून व्यवस्था पर खड़े कर रहा सवाल

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Published : Mar 31, 2022, 7:52 PM IST

बिहार में सीएम नीतीश कुमार बार-बार लोगों को लालू-राबड़ी के शासनकाल को जंगलराज बताकर अपने शासन को बेतहर बताते रहे हैं. लेकिन, बिहार में मार्च महीने के दौरान जो भी वारदातें या आपराधिक घटनाएं हुईं वो सुशासन के दावे पर सवाल उठा रही हैं. शराबबंदी के बावजूद लोग जहरीली शराब पीने से मर रहे हैं. सुशासन के बावजूद ताबड़तोड़ हत्याएं हो रही हैं. क्राइम कंट्रोल के लिए सत्ता पक्ष योगी मॉडल की बात कर रहा है, तो वहीं विपक्ष इसे जंगलराज घोषित कर रहा है. मार्च का महीना नीतीश सरकार की कानून व्यवस्था के लिए चुनौतियों भरा रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट-

मार्च महीने की वो तारीखें जो सुलगा गईं बिहार
मार्च महीने की वो तारीखें जो सुलगा गईं बिहार

पटना : मार्च का महीना सूबे के लिए काफी खौफनाक रहा है. जहरीली शराब से संदिग्ध मौत का आंकड़ा काफी चिंताजनक रहा, तो वहीं भागलपुर धमाके में 16 लोगों की मौत ने अलग तरह के खतरे का संकेत दिया (Big crime case in Bihar). बिहार में बढ़ते क्राइम के केस भी सरकार के लिए कम सिरदर्द नहीं है. विपक्ष और सत्ता रूढ़ पार्टी दोनों इसे मुद्दा बना रही हैं. कभी बिहार में योगी मॉडल की चर्चा हो ती है तो कभी विपक्ष बढ़ते क्राइम को कंट्रोल ना कर पाने के लिए NDA सरकार को जंगलराज वाली सरकार बताती है. पूरे मार्च महीने में एक दो नहीं बल्कि दर्जनों ऐसे मामले समाने आए हैं जिससे सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी हो गईं. कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाने लगे.

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क्या यही है बिहार का सुशासन? : बता दें कि बिहार में अपराध की बढ़ती घटनाएं नीतीश कुमार की सरकार के लिए मुसीबत का सबब बनती जा रही हैं. बढ़ते अपराध को लेकर विपक्षी सरकार को घेर रहे हैं तो वहीं सहयोगी बीजेपी के नेता भी इसे लेकर सवाल उठाते रहे हैं. क्योंकी नीतीश कुमार के बिहार में हवलदार की थाने में 'मॉब लिंचिंग' हो जाती है, मुख्यमंत्री के होम डिस्ट्रिक्ट में खून की होली खेली जाती है, इतना ही नहीं लोगों को तेजाब से नहला दिया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही है बिहार का सुशासन?

जब दहल उठा भागलपुर (3 मार्च ): भागलपुर ब्लास्ट केस (Bhagalpur blast case)में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है. इस मामले की काफी गंभीरता जांच की जा रही है. धमाका इतना जोरदार था कि चार मकान ढह गए थे. इसके साथ अन्य कई मकानों को काफी नुकसान पहुंचा था. पुलिस ने घटनास्थल को उसी समय सील कर दिया था. घटनास्थल पर भवन निर्माण विभाग और नगर निगम की टीम जांच कर चुकी है. पटाखे के बारूद से एक घर में धमाका हुआ था.

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जहरीली शराब से 44 संदिग्ध मौत: 9 मार्च को सिवान से 3 संदिग्ध मौत की खबर (Suspected death due to spurious liquor in Bihar) आई. मार्च महीने में शराबबंदी के बावजूद अब तक बिहार में 44 संदिग्ध मौतें हुई हैं. मौत के मामले जो सामने आए उनमें नालंदा, भागलपुर, सिवान, मधेपुरा, बेतिया, गोपालगंज, बांका और बक्सर से हैं. ज्यादातर जगहों पर परिजनों ने बताया कि मौत शराब पीने से हुई है. पूरा महीना बीत जाने के बावजूद इन मौतों से पर्दा नहीं उठ सका है. कहने को बिहार में शराबबंदी लागू है. लेकिन हो रही मौतें बता रही हैं कि सूबे में शराबबंदी का हाल क्या है?

जब जल उठा बेतिया का बलथर थाना (19 मार्च): बलथर थाना पुलिस की पिटाई से हुई युवक की मौत के बाद सैकड़ों लोग उग्र हो गए थे. एक अफवाह के चलते ग्रामीणों ने थाने पर धावा बोल दिया और तोड़फोड़ करने लगे. उग्र लोगों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी. गोली लगने से थाना के हवलदार की मौत हो गई. पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया. बाद में सीसीटीवी से पता चला कि युवक की मौत पुलिस की पिटाई से नहीं बल्कि मधुमक्खी के हमले से हुई है.

पटना में जेडीयू नेता की हत्या (28 मार्च): बिहार के दानापुर में अपराधियों ने सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता और दानापुर नगर परिषद के उपाध्यक्ष की गोली मारकर हत्या कर दी . बदमाशों ने दानापुर नगर परिषद के उपाध्यक्ष दीपक मेहता को उनके नासरीगंज स्थित घर के बाहर ही गोली मार दी. दीपक मेहता को उपचार के लिए तत्काल पास के एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि प्रॉपर्टी के चक्कर में जेडीयू नेता दीपक मेहता को गोली मारी गई है.

वीर कुंवर सिंह के प्रपौत्र की हत्या (29 मार्च): बिहार के भोजपुर में 1857 की क्रांति के नायक बाबू वीर कुंवर सिंह के वंशज रोहित सिंह उर्फ बबलू सिंह की मौत (Death of Veer Kunwar Singh Relative) हो गयी. मौत के बाद से आक्रोशित लोगों की ओर से लगातार कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन किया. परिजन और स्थानीय लोग जगदीशपुर में रोहित सिंह की मौत के लिए पुलिस पिटाई को जिम्मेदार बताकर मामले में जगदीशपुर डीएसपी सहित अन्य दोषी पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. इस दौरान लोगों ने रोहित सिंह की मौत मामले की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की.

1000 रुपए की रंगदारी नहीं देने पर हत्या (30 मार्च): पटना जिले के चौक थाना क्षेत्र के धर्मशाला गली के पास 800 सौ रुपये कम रंगदारी देने पर तेल व्यवसायी प्रमोद बागला की दिनदहाड़े हत्या (Murder of Businessman Pramod Bagla) कर दी गई. बुधवार को सुबह 11 बज रहा था. चौक थाना क्षेत्र के मछरहट्टा मंडी में तेल व्यवसायी प्रमोद बागला (Murder In Patna) की दुकान थोड़ी देर पहले खुली ही थी. प्रमोद बागला दुकान के अंदर बैठे थे. उनका बेटा और गोलू और स्टॉफ काउंटर पर था. दो बाइक से अपराधी मौके पर आये. हथियार दिखाकर अपराधी 1000 रुपया रंगदारी मांग रहे थे. काउंटर पर बैठे छोटू 200 रुपया लेने के लिए बोल रहा था. इतने में तेज आवाज में व्यवसायी प्रमोद बागला ने भीतर से पूछा कौन है, सुबह-सुबह हल्ला कर रहा है. यह कहते हुए व्यवसायी बाहर आ गये. इतने में गुस्से में अपराधियों ने अपने-अपने पिस्टल से पांच गोली प्रमोद बागला के शरीर में उतार दिया. इस दौरान दुकान पर मौजूद कारोबारी का बेटा गोलू और उनके कर्मचारी छोटू को भी गोली मार दी. दोनों का इलाज चल रहा है.

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