अब निजी प्ले स्कूल की तरह आंगनबाड़ी केंद्रों में भी होगी पढ़ाई, अत्याधुनिक सुविधाओं से होंगे लैस

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Published : Sep 10, 2021, 10:35 PM IST

आंगनबाड़ी केंद्र

बिहार में स्कूली शिक्षा से पहले छह साल तक के बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए प्राथमिक विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है. शिक्षा विभाग ने काम शुरू कर दिया है. स्कूलों को प्ले स्कूल की तर्ज पर विकसित किया जाएगा.

पटना: नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत अब आंगनबाड़ी केंद्रों (Anganwadi Center) को प्ले स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा. 6 साल तक के बच्चों को खेल-खेल में बुनियादी विकास के साथ शैक्षणिक विकास करने की योजना बनाई गई है. बिहार में आंगनबाड़ी केंद्र लंबे अरसे से काम कर रहे हैं. लेकिन निजी प्ले स्कूल की तर्ज पर अब इन्हें डिजिटल लर्निंग और अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की योजना है. ताकि 6 साल तक के बच्चे यहां स्कूल से पहले बुनियादी जानकारी हासिल कर सकें.

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बच्चों के विकास में उनकी शुरुआती 6 साल काफी महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान बच्चे के स्वास्थ्य, नजरिए और अवसर में काफी बदलाव होते हैं, जो जीवन भर बना रहता है. केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक कक्षा के बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की है.

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इसके लिए देशभर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों का उपयोग किया जाएगा. केंद्र सरकार ने 6 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आईसीडीएस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस का दूसरा नाम आंगनबाड़ी कार्यक्रम है. क्योंकि स्थानीय आंगनबाड़ी आईसीडीएस की आधारशिला है. बिहार में करीब 1,15000 आंगनबाड़ी केंद्र हैं.

'केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत 6 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को इन्हीं आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए खेल-खेल में बुनियादी विकास के साथ शैक्षणिक विकास करने की योजना बनाई है. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल के रूप में डिवेलप किया जाएगा. हरियाणा के अलावा कुछ अन्य राज्य पहले से ही आंगनबाड़ी केंद्रों में प्ले स्कूल की सुविधा दे रहे हैं. राज्य भर के आंगनबाड़ी केंद्र अपनी नजदीकी प्राथमिक विद्यालय के अधीन काम करेंगे, जहां के प्रधान शिक्षक प्ले स्कूल की गतिविधियां संचालित कराएंगे. बिहार में आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्ले स्कूल खोलने से पहले वहां काम करने वाली सेविकाओं और सहायिकाओं को प्ले स्कूल के लिए प्रशिक्षित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.' -डॉ. अंकुर ओझा, शिक्षा मामलों के जानकार

डॉ. अंकुर ओझा ने बताया कि इस बात से भी कोई इनकार नहीं किया जा सकता है कि पिछले 10 साल में आंगनबाड़ी केंद्रों ने महिला स्वास्थ्य एवं बाल विकास के क्षेत्र में सकारात्मक काम किए हैं. लेकिन निजी प्ले स्कूल की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के लिए सुविधा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती होगी.

जब पटना में ईटीवी भारत ने कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा किया तो स्थिति बेहद भयावह थी. अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र के पास अपना भवन नहीं है. ज्यादातर केंद्र झोपड़ियों में चल रहे हैं. वहां भी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. इसकी वजह से अगर खेल उपकरण और अन्य डिजिटल डिवाइस इन्हें देना होगा तो इसके लिए सबसे पहले आंगनबाड़ी केंद्रों की आधारभूत संरचना बेहतर करनी होगी.

आंगनबाड़ी केंद्रों में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने वाली महिलाओं का कहना है कि यहां छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाया भी जाता है और उन्हें भोजन भी कराया जाता है. वह इस बात से उत्साहित थी कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधाएं बढ़ने वाली हैं.

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नई शिक्षा नीति के मुताबिक सरकारी विद्यालयों के करीब संचालित होने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की सूची बनाई जा रही है. उसके बाद आंगनबाड़ी केंद्रों में ई लर्निंग सेंटर के रूप में विकसित करने की योजना पर काम होगा.

आसपास के सरकारी विद्यालय इन आंगनबाड़ी केंद्रों को एकेडमिक सपोर्ट देंगे जिससे यहां आने वाले बच्चे पढ़ेंगे भी और सीखेंगे भी. आंगनबाड़ी केंद्रों में ना सिर्फ डिजिटल लाइब्रेरी होगी बल्कि म्यूजिक रूम भी होगा, जहां शैक्षणिक सामग्री और खिलौने उपलब्ध कराए जाएंगे. 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए अलग-अलग वर्क बुक होगा.

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले 3 से 6 वर्ष के बच्चों का निर्धारित मूल्यांकन भी किया जाएगा. हर महीने बच्चों की बौद्धिक क्षमता के बारे में जानकारी दी जाएगी. आंगनबाड़ी सेविकाएं बच्चों का मूल्यांकन करेंगी और उसकी रिपोर्ट सीडीपीओ को सौंपेंगी. सीडीपीओ हर महीने की 10 तारीख को अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड करेगी.

'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नर्सरी और प्राइमरी क्लास के बच्चों को स्थानीय भाषा में सिखाने की बात कही गई है. इसे ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए नर्सरी के बच्चों को स्थानीय भाषा और अंकगणित के ज्ञान देने के लिए थीम आधारित स्मार्ट क्लास और वातावरण देना जरूरी है. ताकि 3-6 आयु वर्ग के बच्चों में बौद्धिक विकास संभव हो और ये बच्चे आगे की कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकें. सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन की मदद से हम आंगनबाड़ी केंद्रों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप ढालने को लेकर काम कर रहे हैं.' -संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग

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