पटना: केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में देश का बजट पेश कर दिया है. इस बजट से बिहार को काफी उम्मीदें थी. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की आस एक बार फिर पूरी नहीं हुई. हालांकि कृषि क्षेत्र में राज्यों को थोड़ी राहत जरूर मिली. वित मंत्री ने किसानों के लिए कई घोषणाएं की (Agriculture Budget 2023 announcement for bihar). इससे बिहार किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिली.
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मोटा अनाज उगाने वाले किसानों को मदद: वित्त मंत्री ने अपने बजट में एक तरफ जहां कृषि के लिए ओपन सोर्स के तौर पर डिजिटल पब्लिक इंफ्रांस्ट्रक्चर बनाया जाएगा. इसका नाम कृषि निधि होगा. वहीं. बिहार में मोटा अनाज उत्पादन (Coarse Grains in Bihar) करने वाले किसानों को वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि किसानों को प्राथमिकता के आधार पर मदद देगी. सरकार अन्न योजना शुरू करेगी. इसके लिए राष्ट्रीय मिलेट्स संस्थान का गठन भी होगा. साथ ही, कृषि उत्पादों के स्टोरेज की क्षमता भी बढ़ाई जाएगी. साथ ही राज्यों को मतस्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मतस्य योजना के लिए 6 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई है. इसका सीधा फायदा उत्पादकों को मिलेगा.
क्या होता है मोटा अनाज : बता दें कि मोटा अनाज (Mota Anaaj) यानी ज्वार, बाजरा, मडुआ (रागी), सांवा और कोंदो. आज हमने गेहूं, चावल को अपनी थाली में सजा लिया है, और मोटा अनाज को दूर कर दिया है. इन्हें मोटा अनाज इसलिए कहा जाता है है क्योंकि इनके उत्पादन में ज्यादा परेशानी नहीं होती है. ये अनाज कम पानी और कम उपाजाऊ भूमि में भी उगाए जा सकते हैं. साथ ही, इनकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की जरूरत भी नहीं होती है.
मोटे अनाजों के गुण : मक्का, मडुआ, ज्वार और बाजरा स्वास्थ्य के लिहाज से भी पौष्टिक होते है. मडुआ में कैल्शियम होता है. यह खासकर डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. ज्वार का इस्तेमाल खासकर आज बेबी फूड बनाने में किया जा रहा है. बाजरा में आयरन, कार्बोहाईड्रेट और कैरोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह हमारी आंखों के लिए भी फायदेमंद है. इसी के साथ कई और मोटा अनाज हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते है. लेकिन आज मोटा अनाज हम सिर्फ खास मौके पर ही इस्तेमाल करते है.
डॉक्टरों की सलाह, 'मोटा अनाज पौष्टिक आहार' : दरअसल, बिहार में किसान मोटा अनाज की खेती 1980 से पूर्व बड़े पैमाने पर करते थे. प्रत्येक घर में मोटा अनाज का इस्तेमाल होता था. लेकिन धीरे-धीरे किसान मोटे अनाज की खेती कम करने लगे और उसकी जगह गेहूं और धान की खेती ने ले ली. बिहार के कई जिलों में ले में इसकी खेती की जा रही है. आज लोग माटापे और डायबिटीज जैसी बिमारियों से परेशान हैं. ऐसे में डॉक्टर भी मोटे अनाज का सेवन करने की सलाह देते हैं.
कहां-कहां होती है मोटे अनाज की खेती: राजस्थान में बाजरा, कर्नाटर में ज्वार, महाराष्ट्र में ज्वार और रागी, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बाजरा की खेती होती है. एक आंकड़ें के मुताबिक, एशिया में मोटे अनाज के उत्पादन की कुछ 80 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि दुनिया में 20 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत में मोटे अनाज की पैदावार करीब 1240 किलो/हेक्टेयर है, जबकि ग्लोबर स्तर पर इसकी पैदावार 1230 किलो/हेक्टेयर है.