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नवादा: हादसे को दावत दे रहा सदर अस्पताल भवन, जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर स्वास्थ्यकर्मी

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Published : Sep 2, 2020, 7:28 PM IST

नवादा सदर अस्पताल
नवादा सदर अस्पताल

नवादा का सदर अस्पताल काफी जर्जर हो चुका है. बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है. बता दें कि 2 साल पहले इस भवन को खतरनाक घोषित किया जा चुका है. यह भवन कभी भी बड़ी घटना को अंजाम दो सकता है.

नवादा: जिले के सदर अस्पताल की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. करीब 28 लाख आबादी की जिम्मेदारी निभाते इस अस्पताल में रोगी तो दूर अब स्वास्थ्यकर्मी भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं किसी दिन हादसे का शिकार न हो जाए.

दरअसल, यह डर सदर अस्पताल परिसर में स्थित मलेरिया और सीएमओ कार्यालय में काम कर रहे कर्मियों का है. जिनके भवन काफी जर्जर हो चुके हैं. भवन निर्माण विभाग ने इसे खतरनाक भवन भी घोषित कर दिया है. बिल्डिंग की हालत ऐसी हो चुकी है कि थोड़ी सी बारिश में पानी टपकने लगता है.

जर्जर हाल में सदर अस्पताल भवन
जर्जर हाल में सदर अस्पताल भवन

बड़े हादसे को दावत देता भवन
लोगों को मलेरिया से बचाने के लिए दिन-रात काम पर लगा मलेरिया विभाग खुद की हिफाजत के लिए प्रार्थना कर रहा है. इसमें सीएमओ ऑफिस और महामारी कोषांग का ऑफिस भी चल रहा है. भवन इस कदर जर्जर हो चुका है कि किसी दिन गिर कर बड़े हादसे का कारण बन सकता है. इस भवन में न स्वास्थ्य अधिकारी सुरक्षित हैं और न ही स्वास्थ्यकर्मी. वहीं यहां हादसे का डर मरीजों को ही नहीं कर्मचारियों को भी सता रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

जान जोखिम डाल कर रहे काम
2 साल पहले यह भवन खतरनाक घोषित हो चुका है. अंदर बैठकर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मी यह जानते हुए कि भवन की छत उनके ऊपर कभी भी गिर सकती है, फिर भी जान जोखिम में डालकर अपना कर्तव्य निभाते है. जबकि इस बिल्डिंग को भवन निर्माण विभाग ने खतरनाक भवन घोषित कर दिया है. साथ ही इस भवन को खाली कर देने की सलाह भी दी गई थी. तब से लगभग दो साल से ज्यादा बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक इस भवन में ही कार्यालय संचालित हो रहे हैं.

कई बार कर्मी लगा चुके हैं गुहार
सीएमओ ऑफिस में क्लर्क पद पर काम कर रहे कर्मी नीलेश कुमार का कहना है कि बरसात आ गया है. छत से पानी टपकने लगा है. उन्होंने कहा कि इसके बारे में कई बार शिकायत भी की गई. लेकिन अभी तक कुछ कार्रवाई नहीं हुई है. क्लर्क ने बताया कि इसमें चार से पांच कार्यालय चलते हैं. जिनमें मलेरिया, महामारी कोषांग, कार्यालय सीएमओ और मलेरिया के छिड़काव के कर्मी भी इसी भवन में रहते हैं.

कभी भी गिर सकती है छत
कभी भी गिर सकती है छत

सिविल सर्जन ने दी जानकारी
वहीं सिविल सर्जन डॉ. विमल प्रसाद सिंह का कहना है कि यहां जगह और बिल्डिंग की कमी है. इसके लिए विभाग को कई बार प्रस्ताव भेजा चुका है. उन्होंने कहा कि जैसे ही स्वीकृति मिलेगी निर्माण काम शुरू कर दिया जाएगा.

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