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पटना और नवादा के तस्करों के पास से मिला 'कैलिफोर्नियम', असली निकला तो अरबों में होगी कीमत

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Published : May 29, 2021, 10:54 PM IST

कैलिफोर्नियम बरामद
कैलिफोर्नियम बरामद

यूपी की गाजीपुर पुलिस ने ठग गिरोह के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया है लेकिन तस्करों के पास से ऐसे पदार्श बरामद हुए हैं. जिससे जानने के बाद पुलिस की नींद उड़ी हुई है.

नवादा : यूपी की गाजीपुर पुलिस ने ठगी के मामले में एक गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. जिसके पास से दूनिया की दूसरी सबसे महंगी रेडियोऐक्टिव पदार्श मिला है. पुलिस का दावा है कि अगर कैलेफोर्नियम असली है तो इसकी कीमत अरबों रुपये है. तस्करी करने वाले गिरोह के पास 340 ग्राम संदिग्ध पदार्थ मिला है. गिरोह के सदस्य इसे कैलिफोर्नियम बता रहे हैं, लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है. दरअसल, कैलिफोर्नियम रेडियोऐक्टिव पदार्थ है, जिसके एक ग्राम की कीमत करीब 19 करोड़ रुपये है. जांच के लिए इसे आईआईटी कानपुर भेजा जाएगा. जांच में यह कैलिफोर्नियम निकला तो इसकी कीमत अरबों में हो सकती है.

डीसीपी नॉर्थ रईस अख्तर ने बताया कि गिरोह का सरगना कृष्णानगर की एलडीए कॉलोनी निवासी अभिषेक चक्रवर्ती और पटना निवासी रामशंकर हैं. अभिषेक मूलत: पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. पुलिस ने उसके साथ कृष्णानगर के मानस नगर निवासी अमित सिंह, बिहार के नवादा निवासी महेश कुमार, बाजारखाला के गुलजार नगर निवासी शीतल गुप्ता, बस्ती निवासी हरीश चौधरी, रमेश तिवारी और श्याम सुंदर को भी पकड़ा है. फिलहाल पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ जालसाजी और ठगी का केस दर्ज किया है. कैलिफोर्नियम की पुष्टि हुई तो धाराएं बढ़ाई जाएंगी.

प्रॉपर्टी डीलर से ठगे थे 1.20 लाख रुपये
इंस्पेक्टर गाजीपुर प्रशांत मिश्रा ने बताया कि अभिषेक ने दो महीने पहले कैलिफोर्नियम की बिक्री का झांसा देकर गोमतीनगर निवासी प्रॉपर्टी डीलर शशिलेश राय को जाल में फंसाया. अभिषेक ने वॉट्सऐप पर फोटो भेजे, जिसके बाद 10 लाख रुपये में सौदा तय हुआ. इस बीच अभिषेक ने शशिलेश से 1.20 लाख ऐंठ लिए थे. काफी दिन बाद भी शशिलेश को सामान नहीं मिल तो उनको ठगी का शक हुआ. ऐसे में उसने गुरुवार सुबह गाजीपुर पुलिस से संपर्क किया.

पुलिस ने आरोपियों के लिए बिछाया जाल
इंस्पेक्टर ने बताया कि पुलिस के कहने पर शशिलेश से अभिषेक को फोन कर बकाया रकम देने का झांसा दिया और धातु लेकर आने को कहा. पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि महेश, रविशंकर, हरीश, रमेश और श्याम सुंदर धातु लेकर बिहार से लखनऊ के लिए निकले, जबकि वह अमित और शीतल गुप्ता के साथ कृष्णानगर से पॉलिटेक्निक चौराहे के पास पहुंचा. इस बीच सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा, एसआई कमलेश राय, शिवमंगल सिंह, हेड कॉन्स्टेबल नागेंद्र सिंह, ऋषि ने आठों को दबोच लिया.

ऑनलाइन चेक की धातु की कीमत
इंस्पेक्टर ने बताया कि गिरोह के सदस्यों ने उने पास बरामद धातु को कैलिफोर्नियम बताया. किसी भी पुलिसकर्मी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इस पर पुलिस ने इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला कि एक ग्राम कैलिफोर्नियम की कीमत करीब 19 करोड़ रुपये है. इसके बाद इंस्पेक्टर ने आलाधिकारियों को इसकी जानकारी दी.

फोन में मिले एंटीक सामान के फोटो
अभिषेक और महेश के मोबाइल में पुलिस को गोल्ड क्वॉइन, हाथी के दांत, धातु की मूर्तियों सहित कई एंटीक वस्तुओं की फोटो मिली हैं. शुरुआती जांच में सामने आया है कि गिरोह में पश्चिम बंगाल के कई और लोग शामिल है. उनकी गिरफ्तारी के लिए एक टीम पश्चिम बंगाल रवाना की गई है.

टेस्टिंग के लिए बल्ब जलाकर दिखाते थे
इंस्पेक्टर ने बताया कि आरोपित कैलिफोर्नियम धातु की पुष्टि के लिए साथ में तार लगा एक बल्ब भी रखते थे. तार को धातु पर रखते ही बल्ब जलने लगता था.

कोयले की खदान में मिली थी धातु
अभिषेक ने पुलिस को बताया कि बिहार में कोयले के खदान में काम करने वाले एक मजदूर को संदिग्ध कैलिफोर्नियम धातु मिली थी. अभिषेक ने मजदूर को 50 हजार रुपये देकर इसे खरीदा. छानबीन में पता चला कि कैलिफोर्नियम कोयले की खादान में नहीं पाई जाती. इंस्पेक्टर का कहना है कि अभिषेक को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी.

सिल्वर पेपर रोल में लपेटकर लाए धातु
पुलिस के मुताबिक, आरोपी धातु को सिल्वर पेपर रोल में लपेटकर झोले में रखकर लाए थे. आरोपियों के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने उसे एक प्लास्टिक की शीशी में रखा था.

कैंसर के इलाज में भी होता है इस्तेमाल
कैलिफोर्नियम धातु एक रेडियोएक्टिव धातु है. सन 1950 में इसका आविष्कार कैलिफोर्निया में किया गया था. विस्फोटक और लैंड माइंस का पता लगाने में इसका इस्तेमाल होता है. कैंसर पीड़ित के ट्रीटमेंट में भी उसे उपयोग में लाया जाता है.

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