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पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बोले- तय समय में केसों को निपटाना है बड़ी चुनौती

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Published : Sep 28, 2019, 7:39 PM IST

नालंदा

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज की तारीख में कानून व्यवस्था में जितनी भी विसंगतियां दिखाई जाती है, इसके बावजूद हमारे देश के नागरिक न्यायिक व्यवस्था में सुदृढ़ विश्वास रखते हैं.

नालंदा: पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही ने शनिवार को जिले के व्यवहार न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि केसों के निस्तारण में कई पीढ़ियां गुजर जाती है. ऐसे में वक्त की पाबंदी में केसों को समेटना जरूरी है.

न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही ने कहा कि नालंदा ज्ञान की भूमि रही है. हजारों वर्ष पूर्व यहां न्यायप्रिय सभ्यता थी, इसकी मूल वजह अध्ययन और अभ्यास थी. आज अधिवक्ता और न्यायाधीश को अध्ययन और अभ्यास की आवश्यकता है. जूनियर अधिवक्ता को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अपने सीनियर अधिवक्ता को आदर देना सीखें.

नालंदा
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही

लोगों को न्यायिक व्यवस्था पर है भरोसा
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज की तारीख में कानून व्यवस्था में जितनी भी विसंगतियां दिखाई जाती है, इसके बावजूद हमारे देश के नागरिक न्यायिक व्यवस्था में सुदृढ़ विश्वास रखते हैं. उसी विश्वास और आस्था के बल पर आपकी कर्तव्य परायणता की परीक्षा होती है. उन्होंने अधिवक्ताओं को मुकदमों में तारीख पर तारीख न लेने की सलाह दी.

कानून व्यवस्था पर न्यायाधीशों का बयान

'पुराने केसों दें प्राथमिकता'
वहीं, निरीक्षी न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि अगर अधिवक्ता तय कर लें कि पुराने मुकदमे को प्राथमिकता देनी है. केसों को समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प लें, फिर किसी भी हाल में मुकदमा 10 से 15 साल लंबित नहीं रहेगा.

Intro:नालंदा । पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही ने नन्याय व्यवस्था में होने वाले विलंब पर गहरी चिंता जताई है । उन्होंने आज बिहारशरीफ व्यवहार न्यायालय में नए भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा कि वादों के निस्तारण में कितनी पीढ़ियां गुजर जाती है। जरूरी है कि वक्त की पाबंदी को किस प्रकार समेटा जाए और क्या उपाय हो इस पर चर्चा होनी चाहिए। नालंदा ज्ञान की भूमि रही है हजारों वर्ष पूर्व प्रफुल्लित और न्यायप्रिय सभ्यता थी, जिसका मूल कारण था अध्ययन और अभ्यास । हमारे अधिवक्ता और न्यायाधीश को अध्ययन और अभ्यास की आवश्यकता है। उन्होंने जूनियर अधिवक्ता को सलाह देते हुए कहा कि ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अपने सीनियर अधिवक्ता को समुचित आदर देना सीखे और उनके सीखे हुए ज्ञान को प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में जितनी भी विसंगतियां हो जिस प्रकार विधि व्यवस्था में कमियां दिखाई जाती है बावजूद इसके हमारे देश के नागरिक न्यायिक व्यवस्था में सुदृढ़ विश्वास रखते हैं, उसी विश्वास व आस्था के बल पर आपकी कर्तव्य परायणता की परीक्षा होती है।


Body:उन्होंने कहा कि न्यायालय में वादकारी का हित सर्वोपरि कहा गया है लेकिन उसके साथ-साथ यह भी देखना होगा कि न्याय का हित किस दृष्टिकोण से सर्वोत्तम है। इस विचारधारा में बदलाव की आवश्यकता है जिसमें हर मुकदमे में जीत या हार की निगाहों से लोग देखते हैं। उन्होंने मुकदमों में तारीख पर तारीख ना लेने की सलाह अधिवक्ताओं को दी।
इस मौके पर न्यायमूर्ति एवं निरीक्षी न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि अगर अधिवक्ता तय कर ले कि पुराने मुकदमे को हम प्राथमिकता के तौर पर समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प है तो कोई कारण नहीं है कि 10 से 15 साल पुराना मुकदमा यहां लंबित होगा।
बाइट। अनिल कर उपाध्याय, निरीक्षी न्यायाधीश
बाइट। अमरेश्वर प्रताप शाही, मुख्य न्यायधीश


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