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मुजफ्फरपुर: सैलाब में गांव बने टापू, लोगों को नहीं मिल रही सरकारी मदद

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Published : Jul 16, 2021, 1:49 PM IST

बूढ़ी गण्डक नदी के सैलाब में मीनापुर के कई गांव टापू बन गए हैं. बाढ़ से घिरे इन गांवों में कोई सरकारी मदद (Government Help) नहीं मिल रही है. लोग पीने का पानी (Drinking Water) से लेकर नाव (Boat) तक जुगाड़ खुद ही कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

बूढ़ी गंडक नदी के सैलाब में गांव बने टापू
बूढ़ी गंडक नदी के सैलाब में गांव बने टापू

मुजफ्फरपुर: जिले में बूढ़ी गण्डक (Budhi Gandak) नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जिससे जिले में अभी भी बाढ़ (Flood in Muzaffarpur) के हालत में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. अभी भी जिले के मीनापुर प्रखंड (Minapur Block) में बूढ़ी गंडक नदी भारी तबाही मचा रही है.

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मीनापुर प्रखंड के दो दर्जन से अधिक पंचायत बाढ़ के पानी से बुरी तरह घिरे हुए हैं. ईटीवी भारत की टीम ने शुक्रवार को बाढ़ के पानी में टापू बन चुके एक पंचायत जामीन मठिया का जायजा लिया, जहां के हालात बेहद ही खराब नजर आये. बाढ़ के रौद्र रूप को देखकर अधिकांश ग्रामीण इस पूरे इलाके को खाली कर सुरक्षित जगहों पर जा चुके हैं. मगर अभी भी इस सैलाब के बीच कई जगह कुछ ग्रामीण अपने घरों में मौजूद नजर आए.

देखें रिपोर्ट.

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बूढ़ी गंडक नदी के बाढ़ का सबसे अधिक कहर झेल रहे मीनापुर के सैकड़ों गांव अभी भी बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं. जहां की एक बड़ी आबादी उंचे और सुरक्षित जगहों पर राहत कैम्प में शरण लिए हुए हैं. वहीं कई परिवार अभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में अपने घरों में फंसे हुए हैं तो कई परिवार अपने घरों की छतों पर शरण लिए हुए हैं.

बाढ़ से बेहाल इन इलाकों में सरकार और जिला प्रशासन बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाने का दावा तो जरूर करता है लेकिन जब बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने अभी तक किसी प्रकार की कोई सहायता मिलने से इनकार किया. गांव में खेतों में लगी केले की फसल भी पूरी तरह पानी में डूब चुकी है. फिलहाल इन पंचायतों का पिछले पंद्रह दिन से सड़क संपर्क टूटा हुआ है.

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ऐसे में इन गांव में जाने के लिए एकमात्र सहारा नाव ही है. वह भी लोगों की निजी नाव है. चारो तरफ झोपड़ियों से लेकर पक्के मकान तक पानी में डूबे हुए हैं. लोग ऊंचे स्थान पर रहने चले गए हैं वहीं कुछ लोग अभी भी गांव के अंदर बाढ़ के बीच अपने मकान की छतों पर रह रहे हैं. जहां पर लोगों ने बारिश और धूप से बचाव के लिए लोग अपने पक्के घरों के ऊपर तिरपाल और बांस से बने अस्थायी झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं.

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सबसे हैरत की बात यह है कि अभी तक इनको ना तो कोई सरकारी मदद मिल रही है ना ही पीने का साफ पानी मिल रहा है. लोग जैसे-तैसे पानी का प्रबंध खुद जुगाड़ लगाकर कर रहे हैं. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक उन्हें किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद नहीं मिली है ना ही आने-जाने के लिए नाव सरकार के द्वारा मिली है.

ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बाढ़ राहत को लेकर जब सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है तो फिर बाढ़ की विभीषका से जूझ रहे इन पीड़ितों तक मदद क्यों नहीं पहुंच रही है? ऐसे में एक बात बिल्कुल साफ है कि राहत का काम सिर्फ कागजों पर हो रहा है. जिससे आपदा पीड़ितों का सरकार से भरोसा टूट रहा है.

बताते चलें कि नेपाल की तराई और बिहार में लगातार हो रही बारिश (Heavy Rain In Bihar) के कारण कई जिलों में नदियां उफान पर हैं. मुजफ्फरपुर जिले में इन दिनों लखनदेई नदी और बूढ़ी गंडक नदी समेत कई नदियां उफान पर हैं. जिसके कारण कई इलाकों में रिसाव जैसी समस्या होने लगी है. साथ ही रिंग बांध पर भी खतरा मंडराने लगा है.

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बूढ़ी गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण एसकेएसमसीएच (SKSMCH) से ठीक पहले विजयी छपरा में बूढ़ी गंडक का दबाव बढ़ने के बाद रिंग बांध पर खतरा मंडराने लगा है. जिससे वहां के लोग दहशत में आ गए हैं. हालांकि बांध पर बड़े पैमाने पर तैयारी भी की गई थी.

वहीं पानी के दबाव से मुख्य सुरक्षा बांध दरकने लगा है. मोरसंदी में कटाव से बांध को खतरा है. जल संसाधन की टीम बांध को बचाने के लिए यहां कैंप कर कटाव निरोधी काम को अंजाम दे रही है.

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