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अब लंदन वाले चखेंगे बिहार की शाही लीची का स्वाद

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Published : Jun 10, 2020, 1:59 PM IST

मुजफ्फरपुर के एक किसान ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लीची की बिक्री लंदन के बाजार में की है. इसको लेकर रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा, 'मुझे बहुत खुशी है कि मुजफ्फरपुर की लीची के लंदन का बाजार मिला.'

ऑफिशियल अकाउंट से किया गया ट्वीट
ऑफिशियल अकाउंट से किया गया ट्वीट

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद अब सात समंदर पार लंदन के निवासी भी चख सकेंगे. पहली बार मुजफ्फरपुर के एक लीची किसान ने अपने बगीचे की लीची को कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए लंदन के एक खरीददार को बेचा है.

किसान ने कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए किसान ई-मार्ट नाम के डिजिटल क्रय-विक्रय प्लेटफॉर्म पर लीची की बिक्री की है. भारत सरकार के इलेक्ट्रनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संस्था कॉमन सर्विस सेंटर ने कोरोना महामारी के दौरान किसानों के लिए यह प्लेटफॉर्म तैयार किया है. इसे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य उपलब्ध करवाने के लिए और किसानों को मंडी में आ कर अपने फसल को बेचने की बाध्यता से मुक्ति दिलाने के लिए एक फसल क्रय विक्रय के लिए तैयार किया गया है.

लीची से लदे बगान
लीची से लदा बगान

ऐसे हुआ स्टार्टअप
'ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी' पर चलने वाले इस प्लेटफॉर्म का निर्माण पुणे (महाराष्ट्र) के एक स्टार्टअप एग्री 10 एक्स ने किया है. इसके माध्यम से किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर आ कर देश भर के खरीददारों को अपनी फसल बेच सकते हैं और उनकी फसल को ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है.

लंदन में बैठे खरीदार ने रजिस्ट्रेशन करवाया
मुजफ्फरपुर के लीची किसान सुनील कुमार ने अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर पर जा कर इस डिजिटल क्रय-विक्रय प्लेटफॉर्म पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर लीची के फसल की जानकारी डाली थी, जिसे लंदन में बैठे खरीदार ने देखा और इसे खरीदने में अपनी रूचि दिखाई.

प्रसिद्ध है मुजफ्फरपुर की लीची
प्रसिद्ध है मुजफ्फरपुर की लीची

दाम तय होने के बाद मिला ऑर्डर
इसके बाद किसान और खरीददार में दाम तय होने के बाद खरीदार के भारत में स्थित लोगों ने मुजफ्फरपुर पहुंचकर लीची की गुणवत्ता देखी और अपनी रिपोर्ट भेजी. जब दोनों पक्षों में सहमति बन गई तो खरीददार ने किसान के खाते में आधा पैसा अग्रिम के रूप में हस्तांतरण कर दिया. इसके बाद लीची को तोड़ने का काम शुरू किया गया.

'फसल का बहुत अच्छा दाम मिला'
इसके बाद बगीचे में भी खरीददार के प्रतिनिधि के सामने लीची तोड़ने और डब्बों में पैक करने का काम हुआ और इसके बाद इन डब्बों को पटना हवाई अड्डे के लिए भेजा गया. पटना से ये लीची बेंगलुरु होते हुए अगले कुछ दिनों में लंदन पहुंच जाने की संभावना है. पूरी प्रक्रिया में लगे मजदूर की मजदूरी, पैकिंग, माल ढुलाई और हवाई जहाज का खर्च लंदन के खरीदार ने ही वहन किया. किसान सुनील कुमार को भी इस माध्यम से लीची बेचने से अपनी फसल का बहुत अच्छा दाम मिल गया.

लीची से लदे बगान
लीची से लदा बगान

मंडी में फसल बेचने की बाध्यता
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए मंडी में फसल बेचने की बाध्यता समाप्त कर डिजिटल इंडिया अभियान प्रारंभ की है. इस अभियान के तहत कॉमन सर्विस सेंटर के द्वारा किसान अपनी फसल अब देश विदेश के किसी भी खरीदार को बेच सकते हैं.

डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए खरीद
कॉमन सर्विस सेंटर ने इस के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है जिसको अभी बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर जिले में शुरू किया गया है. इस के तहत किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर जा कर अपने आप को रजिस्टर करवा कर अपनी फसल का विवरण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डाल देता है, जिसकी जानकारी देश भर के सभी खरीदारों को मिल जाती है.

ऑफिशियल अकाउंट से किया गया ट्वीट
ऑफिशियल अकाउंट से किया गया ट्वीट

'आज मुजफ्फरपुर की लीची लंदन जा रही है'
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी ट्वीट कर के इस पर अपनी प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने ट्वीट कर के कहा, 'मुझे प्रसन्नता है की आज मुजफ्फरपुर की लीची लंदन जा रही है. कॉमन सर्विस सेंटर के द्वारा ये आज संभव हो पाया है. इस से किसान को अपनी फसल का सही दाम भी मिलेगा और ट्रांसपोर्ट से जुड़ी समस्याओं से निजात भी मिलेगा. इस से किसान सशक्तिकरण का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सपना साकार होगा.'

रविशंकर प्रसाद का ट्वीट
रविशंकर प्रसाद का ट्वीट

'कॉमन सर्विस सेंटर से किसान जुड़ जा रहे हैं'
कॉमन सर्विस सेंटर के बिहार के प्रमुख संतोष तिवारी ने बताया कि बिहार के दो जिलों में कॉमन सर्विस सेंटर के द्वारा कृषि उपज के विक्रय का काम शुरू किया गया है. अभी ये कार्य सिर्फ पटना और मुजफ्फरपुर जिले के कॉमन सर्विस सेंटर पर किया जा रहा है और धीरे-धीरे इस से किसान जुड़ते जा रहे हैं. जल्दी ही बिहार के अन्य जिलों में भी किसानों को ये सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.

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