मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल कांड की सामने आई जांच रिपोर्ट, OT में मिले दो तरह के बैक्टीरिया

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Published : Dec 6, 2021, 6:55 PM IST

Final report of Muzaffarpur Eye Hospital

बिहार के मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल मामले (Muzaffarpur Eye Hospital Case) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. सिविल सर्जन ने बताया कि ऑपरेशन थियेटर में दो तरह के बैक्टीरिया मिले हैं, जिसके कारण ही लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल केस (Final Investigation Report Eye Lost Muzaffarpur) की फाइनल जांच रिपोर्ट आ गई है. दरअसल ऑपरेशन थियेटर के सैंपल की जांच की गई है. जांच में ओटी में दो तरह के बैक्टीरिया (Two Types Of Bacteria Found In OT) मिले हैं. सिविल सर्जन ने इसकी पुष्टि की है. सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा (Civil Surgeon Dr Vinay Kumar Sharma) ने बताया कि ऑपरेशन थियेटर से सैंपल लिए गए थे और साथ ही जिन लोगों की आंखें निकाली गई, उसकी भी जांच की गई है. दोनों ही टेस्ट में दो तरह के बैक्टीरिया पाए गए हैं.

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सोमवार को जांच की टीम ने सिविल सर्जन को ओटी से लिये गए सैम्पल की फाइनल रिपोर्ट (Final Report Of Muzaffarpur Eye Hospital) दे दी है. इस रिपोर्ट में ये पता चला है कि OT संक्रमित था, जिसमे दो तरह के बैक्टीरिया मिले हैं. सिडोमोनास,स्टेफायलोकोकस नामक इस बैक्टीरिया की वजह से सभी के आंखो में संक्रमण हुआ था.

हॉस्पिटल कांड की सामने आई जांच रिपोर्ट

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"टेस्ट करने के लिए हमने ओटी (ऑपरेशन थियेटर) से स्वाब सैंपल भेजा था. ओटी में दो तरह के बैक्टीरिया मिले हैं. दो दिन में सिडोमोनास,स्टेफायलोकोकस बैक्टीरिया आंखों को काफी डैमेज करता है. स्पष्ट है कि यह पूरी घटना ओटी के इंफेक्टेड होने के कारण हुआ है."- डॉ विनय कुमार शर्मा, सिविल सर्जन

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एसकेएमसीएच में जिन जिन मरीजों की आंखें निकाली गई हैं, उनमें भी यही बैक्टीरिया पाया गया है. बता दें कि 22 नवंबर को हुए 65 मरीजों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन में 16 लोगों के इंफेक्शन के बाद आंखों को निकाला गया और 9 से अधिक मरीज को इलाज के लिए पटना आईजीआईएमएस भेजा गया है. अब जांच की रिपोर्ट में अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में इंफेक्शन फैलाने वाले विषाणु पाए गए हैं.

इस रिपोर्ट ने प्रशासन की परेशानी को और बढ़ा दिया है. अब 22 नवंबर के बाद भी जो ऑपरेशन हुए हैं, उनको लेकर भी चिंता की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं ऐसा ना हो कि जितने ऑपरेशन हुए हैं, उनमें भी लोग संक्रमित हों. पूरे प्रकरण को जिस तरह से सिविल सर्जन ने बताया है उसके बाद लोगों का डर बढ़ना लाजिमी है.

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अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में लापरवाही की बात सामने आई है. ऐसे में 22 तारीख के बाद हुए ऑपरेशन में भी संक्रमण से इनकार नहीं किया जा सकता है. अब स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के लिए यह बड़ा सवाल बन गया है कि, 22 तारीख से लेकर अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर और दवा काउंटर सील होने तक कितने मरीजों का ऑपरेशन हुआ है. जितने मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था अब उन सभी के बारे में भी पता करना होगा. स्वास्थ्य महकमे की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि कहीं 22 तारीख के बाद जिन्होंने ऑपरेशन कराया था,वो भी तो संक्रमित नहीं हैं.

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