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मुंगेर में 9 डॉक्टरों के भरोसे 20 पशु अस्पताल, इनमें 7 के पास अपनी जमीन भी नहीं

मुंगेर जिले में पशु चिकित्सा भगवान भरोसे है. जिले के 20 पशु अस्पतालों का संचालन 9 डॉक्टरों के जिम्मे है. इनमें 7 अस्पतालों का संचालन भाड़े के मकान में हो रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

मुंगेर में पशु चिकित्सा बदहाल
मुंगेर में पशु चिकित्सा बदहाल
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Published : Dec 13, 2021, 1:38 PM IST

मुंगेरः बिहार में मानव चिकित्सा की बात हो या पशु चिकित्सा की, हाल सबका खस्ता (veterinary system Bad in Munger) ही है. मुंगेर जिले में पशुपालन विभाग के द्वारा चलाए जा रहे 20 पशु अस्पताल भगवान भरोसे चल रहे हैं. ये अस्पताल महज 9 डॉक्टरों के भरोसे चल (20 Hospitals Relying On 9 Doctors In Munger) रहे हैं. एक डॉक्टर पर तीन अस्पतालों की जिम्मेवारी है.

इसे भी पढ़ें- मसौढ़ी: खंडहर में तब्दील हो रहा है पशु अस्पताल, यहां ढाई साल से मवेशियों का इलाज है बंद

इस स्थिति में पशुओं का टीकाकरण या अन्य इलाज के लिए ग्रामीणों को काफी परेशानियों (Veterinary Hospital and And Problems) का सामना करना पड़ता है. पशु पालक पशु को लेकर अस्पताल का चक्कर लगाते रह जाते हैं. सरकारी अस्पतालों में बदइंतजामी या कुव्यवस्था को लेकर वे निजी पशु चिकित्सकों के पास जाने को मजबूरी है.

मुंगेर में भगवान भरोसे पशु चिकित्सा, देखें रिपोर्ट

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ शेखर कुमार ने बताया कि विभाग पशु चिकित्सक के कमी का दंश झेल रहा है. मुंगेर जिले में 20 अस्पताल कार्यरत हैं. जिसमें सभी नौ प्रखंडों के अलावे 11 पंचायत में अलग-अलग पशु चिकित्सालय है, लेकिन हमारे पास मात्र 9 चिकित्सक रहने के कारण एक चिकित्सक के प्रभार में तीन अस्पताल है. जिससे पशुपालक को परेशानी हो रही है.

लगातार ड्यूटी करने के कारण चिकित्सक भी परेशान हैं. चिकित्सक भी भागम-भाग में लगे रहते हैं. पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि 20 अस्पताल में मात्र 7 अस्पताल का निर्माण अपनी जमीन पर है जबकि 13 पशु अस्पताल भाड़े के मकान में चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक चिकित्सक तीन अस्पताल को सही तरीके से नहीं देख पाते हैं. इससे लोगों को काफी समस्याएं होती हैं.

जिला मुख्यालय पशु चिकित्सालय में कार्यरत डॉ चन्द्रशेखर प्रसाद ने कहा कि यह अस्पताल 24 घंटे सातों दिन खुला रहता है. यह हास्यास्पद है कि एक चिकित्सक 24×7 ड्यूटी कैसे करेगा? उन्होंने कहा कि नौकरी है तो मजबूरी में करनी पड़ रही है. पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि प्रत्येक अस्पताल में 3 सहायक का पद स्वीकृत हैं. कुल 20 अस्पताल में 60 सहायकों का पद स्वीकृत होने के एवज में मात्र 13 सहायक ही हैं. ऐसे में 47 कर्मियों के नहीं रहने से डॉक्टर को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर: स्वास्थ्य केंद्र बना गाय और भैंस का खटाल, इलाके के लोग इलाज के लिए परेशान

बता दें कि बीते 8 दिसम्बर को तारापुर में मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान लोगों ने पशु अस्पताल एवं पशु चिकित्सक की परेशानी के बारे में मुख्यमंत्री से शिकायत की थी. पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि पशु अस्पताल जहां चिकित्सकों की कमी का दंश झेल रहा है तो पशु अस्पताल की भी हालत जर्जर है. विभाग के द्वारा भेजा गया उपकरण भी संधारित नहीं किए गए हैं. उन्होंने चिकित्सक एवं सहयोगी कर्मियों के अभाव के बारे में विभाग को पत्र लिखा है. चिकित्सक आने पर सभी अस्पताल में उन्हें प्रतिनियुक्त कर दिया जाएगा. जिससे पशुपालकों को परेशानी कम होगी.

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मुंगेरः बिहार में मानव चिकित्सा की बात हो या पशु चिकित्सा की, हाल सबका खस्ता (veterinary system Bad in Munger) ही है. मुंगेर जिले में पशुपालन विभाग के द्वारा चलाए जा रहे 20 पशु अस्पताल भगवान भरोसे चल रहे हैं. ये अस्पताल महज 9 डॉक्टरों के भरोसे चल (20 Hospitals Relying On 9 Doctors In Munger) रहे हैं. एक डॉक्टर पर तीन अस्पतालों की जिम्मेवारी है.

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इस स्थिति में पशुओं का टीकाकरण या अन्य इलाज के लिए ग्रामीणों को काफी परेशानियों (Veterinary Hospital and And Problems) का सामना करना पड़ता है. पशु पालक पशु को लेकर अस्पताल का चक्कर लगाते रह जाते हैं. सरकारी अस्पतालों में बदइंतजामी या कुव्यवस्था को लेकर वे निजी पशु चिकित्सकों के पास जाने को मजबूरी है.

मुंगेर में भगवान भरोसे पशु चिकित्सा, देखें रिपोर्ट

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ शेखर कुमार ने बताया कि विभाग पशु चिकित्सक के कमी का दंश झेल रहा है. मुंगेर जिले में 20 अस्पताल कार्यरत हैं. जिसमें सभी नौ प्रखंडों के अलावे 11 पंचायत में अलग-अलग पशु चिकित्सालय है, लेकिन हमारे पास मात्र 9 चिकित्सक रहने के कारण एक चिकित्सक के प्रभार में तीन अस्पताल है. जिससे पशुपालक को परेशानी हो रही है.

लगातार ड्यूटी करने के कारण चिकित्सक भी परेशान हैं. चिकित्सक भी भागम-भाग में लगे रहते हैं. पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि 20 अस्पताल में मात्र 7 अस्पताल का निर्माण अपनी जमीन पर है जबकि 13 पशु अस्पताल भाड़े के मकान में चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक चिकित्सक तीन अस्पताल को सही तरीके से नहीं देख पाते हैं. इससे लोगों को काफी समस्याएं होती हैं.

जिला मुख्यालय पशु चिकित्सालय में कार्यरत डॉ चन्द्रशेखर प्रसाद ने कहा कि यह अस्पताल 24 घंटे सातों दिन खुला रहता है. यह हास्यास्पद है कि एक चिकित्सक 24×7 ड्यूटी कैसे करेगा? उन्होंने कहा कि नौकरी है तो मजबूरी में करनी पड़ रही है. पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि प्रत्येक अस्पताल में 3 सहायक का पद स्वीकृत हैं. कुल 20 अस्पताल में 60 सहायकों का पद स्वीकृत होने के एवज में मात्र 13 सहायक ही हैं. ऐसे में 47 कर्मियों के नहीं रहने से डॉक्टर को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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बता दें कि बीते 8 दिसम्बर को तारापुर में मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान लोगों ने पशु अस्पताल एवं पशु चिकित्सक की परेशानी के बारे में मुख्यमंत्री से शिकायत की थी. पशुपालन पदाधिकारी ने कहा कि पशु अस्पताल जहां चिकित्सकों की कमी का दंश झेल रहा है तो पशु अस्पताल की भी हालत जर्जर है. विभाग के द्वारा भेजा गया उपकरण भी संधारित नहीं किए गए हैं. उन्होंने चिकित्सक एवं सहयोगी कर्मियों के अभाव के बारे में विभाग को पत्र लिखा है. चिकित्सक आने पर सभी अस्पताल में उन्हें प्रतिनियुक्त कर दिया जाएगा. जिससे पशुपालकों को परेशानी कम होगी.

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