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बिहार से हुए 8 केंद्रीय रेल मंत्री, फिर भी 160 साल पुराना रेल इंजन कारखाना बदहाल

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Published : Feb 8, 2022, 8:30 PM IST

जमालपुर रेल इंजन कारखाना की हालत बदहाल
जमालपुर रेल इंजन कारखाना की हालत बदहाल

जमालपुर रेल इंजन कारखाना के 160 साल पूरे होने के बावजूद इसे रेल निर्माण कारखाना का दर्जा नहीं मिल सका है. इसको लेकर समय-समय पर आवाज भी उठाए गए लेकिन इस मुद्दे पर कोई पहल नहीं हुई. पढ़ें रिपोर्ट..

मुंगेर: एशिया का पहला रेल इंजन कारखाना (Jamalpur Rail Engine Factory) अपनी स्थापना के 160 वर्ष भी बदहाली के आंसू बहा रहा है (160th Foundation Day of Jamalpur Rail Factory). जर्मनी के बाद पूरी दुनिया में 140 टन का क्रेन बनाकर इस कारखाने ने अपने काबिलियत का नमूना भी पेश किया था. लेकिन अब तक इसे निर्माण कारखाना का दर्जा नहीं मिला है. जबकि बिहार के नौ केंद्रीय रेल मंत्री भी रह चुके हैं. चीन, जापान, कोरिया से पूर्व स्थापित एशिया का यह पहला कारखाना कभी भारतीय रेल की नाक थी.

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जमालपुर रेल इंजन कारखाना की स्थापना 8 फरवरी 1862 में अंग्रेजों ने की थी. इस कारखाने ने जर्मनी के बाद पूरी दुनिया में 140 टन का क्रेन बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया था. साथ ही पूरे भारत रेल पटरियों पर लगने वाला जैक जिसे जमालपुर जैक के नाम से जाना जाता है, इसी कारखाने में बनता है. लेकिन समय के साथ इन पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया और यह कारखाना आधुनिकता में अपनी पहचान खोता नजर आ रहा है. जबकि अकेले बिहार से 8 केंद्रीय रेल मंत्री भी रह चुके हैं. फिर भी किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. अभी तक इसे रेल निर्माण कारखाना का दर्जा नहीं मिला है.

भारत में जब वाष्प इंजन खत्म हुआ, तभी से ही इसे निर्माण कारखाना घोषित करने की मांग विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठन करने लगे थे. समय-समय पर इन संगठनों द्वारा विरोध मार्च धरना प्रदर्शन भी किए जाते रहे हैं. केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी इसे निर्माण कारखाना घोषित करने की घोषणा जमालपुर आकर की थी. लेकिन यह निर्माण कारखाना नहीं बन सका.

जमालपुर रेल कारखाना एशिया का पहला रेल कारखाना है. इस कारखाने ने कई कीर्तिमान हासिल किए हैं. लेकिन इस कारखाने का समय पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. समय बदलता रहा. पहले भारत से वाष्प इंजन खत्म हुआ फिर डीजल इंजन खत्म हुआ और डीजल इंजन खत्म होने के बाद इलेक्ट्रिक इंजन आया. इस बदलते दौर में किसी ने इस कारखाने पर ध्यान नहीं दिया. जिससे यह कारखाना अन्य कारखानों के मुकाबले पिछड़ रहा है.

आजाद भारत में बिहार के 8 केंद्रीय रेल मंत्री हुए. इसमें जगजीवन राम, प्रो. केदार पाण्डेय, राम सुभग, ललित नारायण मिश्र, जॉर्ज फर्नांडिस, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव शामिल हैं. लेकिन कारखाना के ढहते भविष्य को किसी ने भी संजोने का प्रयास नहीं किया. कारखाना की अपेक्षा कर रामविलास पासवान, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने अपने-अपने क्षेत्रों में कारखाना या जोन बनाकर इसकी अवहेलना की. परिणाम स्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी का यह आर्थिक स्त्रोत आज बदहाली पर आठ-आठ आंसू बहा अपने तारणहार की प्रतीक्षा में है. यहां कभी उम्दा तकनीकी कारीगरी का जबरदस्त धाक था, लेकिन आज यह कारखाना वैगन, डीजल इंजन के पीओएच एवं बीएलसी वैगन जमालपुर जैक, 140 टन क्रेन के निर्माण के भरोसे यह बस सांसे ले रहा है.

रेलवे मेंस यूनियन के शाखा सचिव सुधीर कुमार ने बताया कि रेल कारखाना के पास लोको शेड भी है. जहां डीजल इंजन की मरम्मत होती थी. लेकिन भारत में डीजल इंजन बंद होने के बावजूद भी यहां के पदाधिकारियों ने अब तक इसे इलेक्ट्रिक शेड में नहीं बदला. मुंगेर के सांसद सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भी केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर लोको शेड को इलेक्ट्रिक इंजन शेड में बदलवाने की मांग की थी. मांग तो पूरी नहीं हुई. इसके अलावा यहां पर 10 इलेक्ट्रिक इंजन मरम्मति के लिए आयी थी, जिसे अधिकारियों ने लिलुआ भेज दिया. ऐसे में डीजल शेड बंद होने के कगार पर पहुंच गया है. इसी तरह कारखाने के कई विभाग पहले से ही बंद हो रहे हैं.

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