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17 दिनों से एक ही प्लास्टिक के सहारे जिंदगी काट रहे हैं बाढ़ पीड़ित, सरकार मदद की लगाए हैं आस

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Published : Aug 2, 2019, 3:11 PM IST

बाढ़ पीड़ितों के मुताबिक उन्हें देखने वाला कोई नहीं है. सरकार की तरफ से ना ही उन्हें कोई राहत सामाग्री उपलब्ध कराई गई है और ना ही उन्हें कोई सहायता राशि मिली है.

डिजाइन इमेज

मधुबनी: कमला बलान नदी में आई बाढ़ की तबाही से हजारों लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है. इस बाढ़ में 340 पंचायत के 583 गांव बुरी तरह पानी में डूब गए. पलखा, औझल, नरुआर गांव के लोग 17 दिनों से लगातार बांध पर शरण लिए हुए हैं. सभी एक ही प्लास्टिक के सहारे अपनी जिंदगी जीने को विवश हैं.

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एक ही प्लास्टिक के सहारे जिंदगी जीने को विवश

एक प्लास्टिक के सहारे काट रहे जिंदगी
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि इस बाढ़ ने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी है. उनकी जीवन भर की कमाई, घर, कपड़ा सब कुछ इस बाढ़ में बह चुका है. किसी तरह वह अपने परिवार के साथ बांध के ऊपर प्लास्टिक के सहारे अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं.

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जालाश्य में तब्दील हुआ गांव

सरकार की तरफ से नहीं मिल रही कोई मदद
बाढ़ पीड़ितों के मुताबिक उन्हें देखने वाला कोई नहीं है. सरकार की तरफ से ना ही उन्हें कोई राहत सामाग्री उपलब्ध कराई गई है और ना ही उन्हें कोई सहायता राशि मिली है. उन्होंने बताया कि दिन के उजाले में तो वो जैसे-तैसे जीवनयापन कर लेते हैं, मगर रात के समय उन्हें काफी परेशानी होती है.

बाढ़ पीड़ितों का बयान

गांव के ठेकेदार कर रहे मदद
हालांकि खैरा गांव के युवकों ने बताया कि गांव के ठेकेदार की तरफ से सभी बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री दी जा रही है. जिसमें दो क्विंटल चूड़ा, 50 किलो चीनी और दो बोरी नमक शामिल है. युवकों ने बताया कि सभी बाढ़ पीड़ितों को ये राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी.

Intro:एक प्लास्टिक के सहारे काट रहे हैं बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी,मधुबनी


Body:मधुबनी
कमला बलान नदी में आई बाढ़ की तबाही से हजारों की आबादी प्रभावित हुई है।करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है।बाढ़ से 340 पंचायत के 583 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुईहै।गोपलखा, औझल, नरुआर गांव के लोग 17 दिन बीत जाने के उपरांत भी बाढ़ पीड़ित अभी भी बांध पर शरण लिया हुआ है। दर्जनों बाढ़ पीड़ित अभी भी बांध पर प्लास्टिक टाँग कर जिंदगी जीने को विवश हैं ।उन्हें देखने वाला कोई नहीं है। बाढ़ पीड़ितों ने बताया सारा जिंदगी हम लोगों का पैसे जो जोड़ के घर बनाया था आंख के सामने सारा संपत्ति नष्ट हो गया।किसी तरह से परिवार बच्चे के साथ बांध पर एक छोटा सा प्लास्टिक तानकर जिंदगी जीने को विवश हैं राहत सामग्री के नाम पर बताया संस्था द्वारा जो राहत मिलता है उसी से परिवार का गुजारा चल रहा है सरकार द्वारा अभी तक किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिली है।घर द्वार सब बाढ़ में ध्वस्त हो गया है।किसी तरह से भाग कर प्राण बचाया ।दिन तो आराम से कट जाता है लेकिन अंधेरा मेबरात काटनी मुश्किल हो जाता हैं।विषैले सर्प दंश का डर सता रहा है।भगवान भरोसे जिंदगी जी रहे हैं।आसमान में बादल मंडरने पे वारिश का सर अलग सताता रहता है।वही खैरा गांव के नवयुवक ने बताया कि बांध पर बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री दिया जा रहा है।
बाइट बाढ़ पीड़ित
बाइट राहत सामग्री बाटने बाला
राज कुमार झा,मधुबनी


Conclusion:
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