मधेपुरा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोग परेशान, मदद का इंतजार

author img

By

Published : Jul 27, 2021, 11:57 PM IST

बाढ़

मधेपुरा के चौसा और आलमनगर प्रखंड के दर्जनों पंचायत में बाढ़ का पानी घुस गया है. बाढ़ पीड़ित अपना घर- बार छोड़कर ऊंचे स्थानों में शरण लेने को मजबूर हैं. बाढ़ का दंश और प्रशासन की उदासीनता ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है.

मधेपुरा: मधेपुरा जिले के चौसा और आलमनगर प्रखंड के दर्जनों पंचायत बाढ़ (Bihar flood) के चपेट में आ गए हैं. कोसी बैराज से छोड़े गए अत्यधिक पानी के कारण इन इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. बाढ़ के इन हालातों के बीच लोगों में दहशत व्याप्त है.

यह भी पढ़ें- मधेपुरा: उफान पर कोसी, दर्जनों गांव में घुसा बाढ़ का पानी

वहीं प्रखंड मुख्यालय से दर्जनों गांव का सड़क संपर्क भंग हो गया है. साथ ही हजारों एकड़ में लगी धान की फसल डूबने से बर्बाद हो गई है. प्रखंड के रतवारा, खापुर, गंगापुर, बड़गांव, इटहरी, कुंजोड़ी, आलमनगर दक्षिणी, आलमनगर पूर्वी पंचायत में बाढ़ का पानी फैल गया है.

देखें रिपोर्ट

वहीं क्षेत्र के दर्जनों घरों में भी बाढ़ का पानी घुस चुका है. रतवारा पंचायत के मूरोत के शिव मंदिर टोला, अठगामा टोला के नजदीक पुनर्वास ,छतौना वासा, खापुर के दोकठिया के सैकड़ों घरों में पानी आ जाने से बाढ़ पीड़ित अपने सामान के साथ ऊंचे जगहों पर शरण ले रहें हैं.

लगातार पानी के उतार-चढ़ाव के कारण लोगों को अब एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो रहा है. क्योंकि बाढ़ आने से पूर्व जो सत्तू एवं अन्य सूखा समान बनाया था वह खत्म हो चुका है.

'रहने में भारी परेशानी हो रही है. मवेशी को पानी के बीच कहां रखें. चार महीने से यही हाल है. सरकार की तरफ से कुछ नहीं किया जाता है. समय को बस टाल रहे हैं और क्या कर सकते हैं.'- गणेश मंडल, बाढ़ पीड़ित

गांव पूरा डूब चुका है. भैंस गाय चराने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है. ना खाने के लिए सामान मिल रहा है और ना ही रहने की ही व्यवस्था की जा रही है. बहुत परेशानी में हम रह रहे हैं.- देशराज यादव, बाढ़ पीड़ित

'आवागमन के लिए अब नाव ही हम लोगों का सहारा बना है. खासकर मुरोत गांव से जो कटाव से बच गए हैं एवं कटाव से विस्थापित परिवार जो भरही धार से दक्षिण में शिव मंदिर टोला के पास बस गए हैं. उन्हें भी नाव से ही नदी पार करना पड़ता है क्योंकि भरही धार में 2008 में आई बाढ़ के कारण पुल बह गया था जो आज तक नहीं बना.'- सुभाष सिंह, पीड़ित

गांव में पानी आ जाने से अब जलावन एवं खाना बनाने की जगह भी नहीं बची है. वहीं पानी अत्यधिक हो जाने के कारण छतोनावासा, मुरोत, अठगामा निषाद टोला, पचवीरा, ,ललिया दोकठिया ,खरोआ वासा, मारवाडी वासा, हड़जोडा़ सहित अन्य गांव का सड़क संपर्क भंग हो गया है.

बाढ़ के हालात पर प्रशासन की पैनी नजर बनी हुई है. ऊंचे जगह को चिन्हित कर लिया गया है. फिलहाल लोगों के आवागमन के लिए नाव का परिचालन किया जा रहा है. तीन चार जगह को और चिन्हित किया गया है.-श्याम बिहारी मीणा , डीएम,मधेपुरा

लोगों के लिए सामान लाने के लिए अब नाव ही एकमात्र सहारा रह गया है. खासकर पशुओं के चारा का संकट इस क्षेत्र में गहरा गया है. लोग पशुओं के चारा के लिए जान जोखिम में डाल रहे हैं. नाव के सहारे घास लाकर किसी तरह मवेशियों को दी जा रही है.

बता दें कि मधेपुरा जिला के चौसा और आलमनगर प्रखंड में कुल 17 पंचायत हैं. यह सभी पंचायत हर वर्ष बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित होता है. जिससे हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है. साथ ही साथ बाढ़ के पानी आने से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है. हर वर्ष कई लोगों की बाढ़ के पानी में डूबने से मौत भी हो जाती है. इतना ही नहीं अब तो पशुओं के लिए चारे की भी समस्या उत्पन्न हो गई है. लोग अपने-अपने मवेशी को लेकर ऊंचे स्थानों पर जाने को मजबूर हैं.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों का कहना है कि हर वर्ष 4-6 महीने तक सड़क पर खुले आसमान के नीचे ही जीवन व्यतीत करना पड़ता है. इसके अलावे झंडापुर, करेलिया, अमनी, मुसहरी, घसकपूरा बासा समेत कई गांवों को कोसी नदी अपने चपेट में ले रही है. लेकिन कटाव रोकने की दिशा में सरकार और स्थानीय प्रशासन कोई सार्थक पहल नहीं कर रहा है. अब तक इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी नाव की भी व्यवस्था नहीं की गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.