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बदहाल हुआ 800 करोड़ की लागत से बना अस्पताल, 6 माह से डॉक्टरों को नहीं मिला वेतन

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Published : Mar 5, 2021, 5:22 PM IST

Updated : Mar 5, 2021, 7:09 PM IST

800 करोड़ रुपए की लागत से बना जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लालफीताशाही के कारण बदहाली की दौर से गुजर रहा है. मेडिकल कॉलेज में न एम्बुलेंस है, न आईसीयू और न ही समुचित डॉक्टर.

Karpoori Thakur Hospital Madhepura
जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज

मधेपुरा: 800 करोड़ रुपए की लागत से बना जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लालफीताशाही के कारण बदहाली की दौर से गुजर रहा है.

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बता दें कि 11 माह पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था, इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी मौजूद थे. सरकार और स्वास्थ्य विभाग की बेरुखी का हाल यह है कि मेडिकल कॉलेज में न एम्बुलेंस है, न आईसीयू और न ही समुचित डॉक्टर. बगैर साधन के ही मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल चल रहा है. इस वजह से इलाके के लोगों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है.

देखें रिपोर्ट

इस हॉस्पिटल में सरकारी फाइल के अनुसार 74 जीआर चिकित्सक पोस्टेड हैं, लेकिन उसमें से मात्र 9 डॉक्टर ही ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. अन्य डॉक्टर गायब रहते हैं. जब जब यह बात मीडिया द्वारा उठाई जाती है तब तब सभी 74 डॉक्टर अचानक आ जाते हैं, फिर कुछ दिनों में स्थिति जस की तस हो जाती है. हैरत की बात तो यह है कि 74 के जगह उपस्थित रहने बाले मात्र 9 डॉक्टर से ही 24 घंटे ड्यूटी ली जाती है फिर भी इन्हें पिछले 6 माह से वेतन नहीं मिला है.

सुविधाहीन सरकारी अस्पताल

  • 74 की जगह काम कर रहे 9 डॉक्टर
  • 6 माह से डॉक्टरों को नहीं मिला वेतन
  • अस्पताल में न एम्बुलेंस और न आईसीयू
  • 800 करोड़ रुपए की लागत से बना
  • डॉक्टर की कमी के चलते इलाज प्रभावित

डॉक्टरों को 6 माह से नहीं मिला वेतन
मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इस बात की भी चर्चा है कि इन चिकित्सकों से वेतन देने के एवज में कमीशन मांगी जा रही है. जूनियर डॉक्टरों का वेतन भुगतान नहीं होने के सवाल पर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधीक्षक डॉ राकेश कुमार ने कहा कि वेतन भुगतान का मामला प्राचार्य कार्यालय से जुड़ा है. वहीं से पता चल सकता है कि वेतन क्यों नहीं मिला है. वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गौरीकांत मिश्र ने कहा कि कमीशन मांगे जाने का आरोप बेबुनियाद है. सरकार और विभाग से आबंटन नहीं मिलने के कारण वेतन भुगतान नहीं किया गया है. जैसे ही आबंटन आता है तुरंत वेतन भुगतान कर दिया जाएगा.

7 मार्च 2020 को अस्पताल के उद्घाटन के समय नीतीश कुमार और मंगल पांडेय ने कहा था कि अब क्षेत्र के लोगों को इलाज कराने बाहर नहीं जाना पड़ेगा. इससे स्थानीय लोग खुश थे. उन्हें उम्मीद थी कि बेहतर स्वास्थ्य सुविध के लिए उन्हें दूसरे शहर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण मधेपुरा के लोगों की यह उम्मीद पूरी नहीं हो पा रही है.

Last Updated :Mar 5, 2021, 7:09 PM IST
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