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किशनगंजः आपसी सौहार्द की मिसाल, मंदिर निर्माण के लिए एक मुस्लिम परिवार ने दान की जमीन

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Published : Nov 18, 2019, 9:35 AM IST

Updated : Nov 20, 2019, 1:23 PM IST

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इस गांव में कोई मंदिर नहीं था. जिससे गांव के लोगों खासकर महिलाओं को मां काली के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए 8 से 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. बाद में दोनों समुदाय के लोगों ने बैठक कर मंदिर निर्माण का फैसला लिया.

किशनगंजः 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना' वाली गंगा जमुनी संस्कृति एक बार फिर से बिहार में देखने को मिली है. मुस्लिम बहुल जिला किशनगंज में एक अनोखी मिसाल पेश करते हुए एक मुस्लिम परिवार ने मंदिर निर्माण के लिए अपनी जमीन दान कर दी.

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मंदिर निर्माण में लगे लोग

निर्माण में जुटे हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग
जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर सिंघिया गांव में प्रस्तावित भव्य काली मंदिर के निर्माण के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी जमीन दान में दी है. इतना ही नहीं मंदिर निर्माण के लिए जो समिति गठित की गई है, उसमें भी दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं.

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हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग

वकील तुफैल गनी ने दान की जमीन
दरअसल, इस गांव में कोई मंदिर नहीं था. जिससे गांव के लोगों खासकर महिलाओं को मां काली के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए 8 से 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. बाद में दोनों समुदाय के लोगों ने बैठक कर मंदिर निर्माण का फैसला लिया. गांव के मुस्लिम जमींदार वकील तुफैल गनी आगे आए और सड़क किनारे मंदिर निर्माण के लिए अपनी एक डिसमिल जमीन देने का फैसला किया.

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युद्धस्तर पर चल रहा मंदिर निर्माण का काम
अब इस जमीन पर मंदिर निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है. इस काम में दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं. इस गांव में हिंदू-मुस्लिम आपस में भाई-भाई की तरह रहते हैं. चाहे दीपावली हो या ईद, दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के पर्व में शामिल होते हैं. साथ ही किसी की शादी में भी एक-दूसरे का हाथ बंटाकर एकता की मिसाल तस्वीर पेश करते हैं.

खास रिपोर्ट

समाज में हो रही मुस्लिम परिवार की तारीफ
बता दें कि इस गांव में हिंदू की संख्या काफी कम है. इसके बावजूद मुस्लिम भाई यहां उनके लिए मंदिर बनवा रहे हैं. मुस्लिम परिवार के इस काम की तारीफ पूरा समाज कर रहा है.

Intro:ANCHOR: मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखने बाली गंगा जमुनी संस्कृति बिहार के मुस्लिम बहुल जिला किशनगंज में एक बार उस समय मुखरित हो उठी जब मंदिर निर्माण के लिए एक मुस्लिम परिवार ने अपनी सड़क किनारे की कीमती जमीन को दान में दे दी। इतना ही नहीं इस स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए जो समिति गठित की गई है। उसमें भी दोनों समुदाय के लोग शामिल है। देखिए किशनगंज से सुभजीत शेखर की खास रिपोर्ट।

बाइटः बाबुल अक्तर, मुस्लिम समुदाय के लोग
बाइटः धमेंद्र कर्मकार,हिंदू समुदाय के लोग
बाइटः आजाद हुसैन,मुस्लिम समुदाय के लोग
बाइटःअब्दुल कादिर,मुस्लिम समुदाय के लोग
बाइटः स्थानीय हिंदू समुदाय के लोग


Body:VO1: मुस्लिम बहुल जिला बिहार के सीमांचल की किशनगंज में मुस्लिमों ने सांप्रदायिक सौहार्द की एक नई मिसाल पेश की है। जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित सिंघिया गांव में प्रस्तावित भव्य काली मंदिर के निर्माण के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी जमीन दान में दे दी है। इस गांव में मां काली जी का मंदिर नहीं होने से खासकर गांव की हिंदू महिलाओं को 8-10 किलोमीटर दूरी तय कर मां काली जी का दर्शन और पूजा अर्चना के लिए जाना पड़ता था। बाद में दोनों समुदाय के लोगों ने गांव में एक बैठक कर मंदिर निर्माण का फैसला लिया और गांव के मुस्लिम जमींदार अधिवक्ता तुफैल गनी आगे आए और सड़क किनारे मंदिर निर्माण के लिए अपनी एक डिसमिल कीमती जमीन दान में देने का फैसला लिया। और अब उक्त स्थल पर मंदिर निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। जिस निर्माण कार्य के लिए दोनों समुदाय के लोग शामिल है।

VO2: इस गांव में हिंदू-मुस्लिम आपस में भाई-भाई की तरह रहते हैं। चाहे दीपावली हो या ईद दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के पर्व मे शामिल होते हैं साथ ही किसी के शादी व निकाह मे एक दूसरे का हाथ बटा कर एकता का बेमिसाल उदाहरण पेश कर रहे हैं।


Conclusion:VO3: भले ही राजनेता अपने वोट के खातिर धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का असफल प्रयास करते रहते हैं। लेकिन यहां के ग्रामीणों में इसका कोई भी असर नहीं पड़ता है।

FVO: आपको बता दें कि इस गांव में हिंदू की संख्या काफी कम है। बाबजूद इसके मुस्लिम भाई ही मंदिर बनवा रहे हैं। मुस्लिम परिवार के सराहनीय काम की तारीफ सारा समाज कर रहा है। आपसी सदभावना की मिसाल पेश करती यह घटना उनके मुंह पर एक जोरदार तमाचा है। जो हमारे देश के सदभाव और एकता को बिगाड़ना चाहता है। उनके लिए भी सीख है। जो ऐसी बातों को तिल का ताड़ बना देते हैं।
Last Updated :Nov 20, 2019, 1:23 PM IST
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