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कालिदास की बगीया में आपको मिलेंगे विवेकानंद और चितरंजन आम, 'मोदी-योगी मैंगो' की खासियत से सभी हैरान

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Published : Jun 16, 2022, 4:18 PM IST

Updated : Jun 16, 2022, 4:24 PM IST

बिहार के 'मैंगो मैन' कालिदास बनर्जी (Bihar Mango Man Kalidas Banerjee ) एक ऐसे जादूगर हैं, जिन्होंने एक राष्ट्रवादी बगीचा लगाया है. यहां आमों की 29 वैरायटियां अपनी सुगंध और स्वाद से लोगों को खींच रही है. 'योगी मोदी मैंगो' तो इन दिनों लोगों की पहली पसंद बन चुका है. क्या है इन आमों की खासियत जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..

Bihar Mango Man Kalidas Banerjee
Bihar Mango Man Kalidas Banerjee

कटिहार: फलों का राजा आम का नाम जुबां पर आते ही मुंह में पानी आ जाता है. इसका स्वाद हर किसी को अपनी तरफ खींच लाता है और अगर कटिहार के मैंगो मैन कालिदास बनर्जी (katihar Mango Man Kalidas Banerjee) के बागान के आम हो तो फिर क्या कहना. कालिदास के बाग में 29 वैरायटी की करीब साढ़े चार सौ से अधिक पेड़ हैं. खास बात तो यह है कि मैंगो मैन कालिदास कुछ पेड़ो का पेटेंट भी कराने की दिशा में काम कर रहे हैं.

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बिहार के मैंगो मैन के बगीचे में मोदी योगी आम: खास बात यह है कि इस बगीचे को राष्‍ट्रवादी आम का बगीचा (Katihar Rashtravaadi Aam Ka Baagicha ) के नाम से भी जाना जाता है. कालिदास बनर्जी बताते हैं कि इस राष्ट्रवादी आम के बगीचे से 29 किस्म के आमों की पैदावर की जाती है. आम के किस्मों के नाम के कारण कालिदास पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी चर्चा का विषय बने हुए हैं. दरअसल इनके बगीचे में विवेवानंद, चितरंजन के नाम के आम की किस्मों को विकसित किया गया है. अब मैंगो मैन पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Modi Yogi Mango In Katihar) के नाम से भी आम की किस्म विकसित की है. जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं और दूर दूर से इसकी डिमांड हो रही है

राष्ट्रवादी आम के बगीचे की खासियत: इस आम के बाग में करीब 29 वैरायटियों के साढ़े चार सौ से अधिक आम के पेड़ हैं. एक से बढ़कर एक आम की प्रजातियों के लिये और इसे विशिष्टता प्रदान करने का श्रेय मेंगो मैन कालिदास को जाता है. मैंगो मैन कालिदास बनर्जी लंबे अरसे से खेती के शौकीन रहे हैं. उन्होंने क्रॉस ग्राफ्टिंग प्रोसेस ( Mango Cross Grafting Process) से कुछ ऐसे आम के पेड़ तैयार किये हैं जिसका रंग,स्वाद,सुगंध और साइज आपका मन मोह लेगा. यह देखने और खाने में ही उम्दा नहीं है बल्कि यह जल्दी खराब भी नहीं होता है.

"कालिदास को सभी मैंगो मैन के नाम से जानते हैं यह हमारे लिए गौरव की बात है. शुरू से ही ये बागवानी के क्षेत्र से जुड़ रहे हैं. इनके बागान में कई प्रकार के आम हैं. अपने से ही क्रॉस ग्राफ्टिंग प्रोसेस के द्वारा देश के महान लोगों के नाम पर भी आम का नामकरण करते हैं. इस बगीचे में राष्ट्रवाद कूट कूट कर भरा हुआ है."- संजीव, स्थानीय

इस तरह से आम का होता है नामकरण: कालिदास ने कहा कि एक दूसरे के साथ क्रास कराने के बाद में कम से कम 10 आदमी को बैठकर हम आम को टेस्ट कराते हैं. उसके बाद उसके फीडबैक पर आम का नाम रखा जाता है. मेरे बगीचा में 26 किस्म के आम हैं. अभी 3 वैरायटी का नया आम क्रॉस के द्वारा आ गया है. सिर्फ आम का 425 से 435 पेड़ मेरे बगीचे में है.

"चितरंजन आम और स्वामी विवेकानंद के नाम पर विवेकानंद आम है. अभी हम लोगों को विवेकानंद आम का ग्राफ्टिंग नहीं दे रहे हैं. चितरंजन का डीएनए टेस्ट हो चुका है लेकिन विवेकानंद आम का पेपर कंप्लीट नहीं हुआ है. योगी आम भी है. यह लोगों को बहुत पसंद आ रहा है. शुगर फ्री होने के कारण लोग इसे बाहर से आकर लेकर जा रहे हैं."- कालिदास बनर्जी, मैंगो मैन

योगी-मोदी आम की खासियत: कालिदास का कहना है कि साइंटिस्ट चितरंजन के नाम पर चितरंजन आम का पेटेंट ले चुके हैं. वहीं, विवेकानंद आम सिर्फ कटिहार ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के साथ-साथ बंगाल में भी खासा लोकप्रिय है. इस आम का भी पेटेंट लेने की प्रक्रिया चल रही है. पेपर वर्क चल रहा है. साथ ही कालिदास ने बताया कि योगी मोदी मैंगो शुगर फ्री है इसलिए इसकी डिमांड बहुत हो रही है. डायबिटीज के पेशेंट भी इसे खा सकते हैं.

इन राज्यों में भेजे जाते हैं आम: कालिदास के कारण कटिहार के आम की चर्चा आज हर किसी के जुबान पर है. कटिहार को राष्ट्रवादी बगीचे ने एक अलग पहचान दिलाई है. आम का नाम अनोखा होने के कारण लोगों का ध्यान आकृष्ट कर लेता है. तरह तरह के किस्म के आम हैं लेकिन स्वाद, सुगंध यहां तक की रंग भी बिल्कुल अलग अलग है. बिहार, झारखंड के अलावा उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश और उड़ीसा कालिदास बनर्जी के आम भेजे जाते हैं.

क्रॉस ग्राफ्टिंग प्रोसेस: कलम बांधना (ग्राफ्टिंग/Grafting या graftage) उद्यानिकी की एक तकनीक है जिसमें एक पौधे के ऊतक दूसरे पौधे के ऊतकों में प्रविष्ट कराये जाते हैं. जिससे दोनों के वाहिका ऊतक आपस में मिल जाते हैं. इस प्रकार इस विधि से अलैंगिक प्रजनन द्वारा पौधे तैयार किये जाते हैं. आम की बात करें तो वर्ष के सबसे गर्म महीनों के दौरान ग्राफ्टिंग किया जाता है जब तापमान 18°C से ऊपर हो.

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Last Updated :Jun 16, 2022, 4:24 PM IST
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