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चैनपुर विधायक के काम से संतुष्ट नहीं है ग्रामीण, कहा- विकास नहीं तो वोट नहीं

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Published : Aug 3, 2020, 10:17 PM IST

कैमूर
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बीजेपी विधायक से नाराज ग्रामीणों ने कहा कि पिछली बार पार्टी के नाम पर वोटिंग हुई थी. इसलिए विधायक ने जीत दर्ज की और मंत्री बन गए, जबकि जमीनी हकीकत में ऐसा नेता तो मुखिया के लायक भी नहीं है. मंत्री तो दूर की बात है.

कैमूर: इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में एक तरफ जहां पार्टियां प्रचार प्रसार के लिए वर्चुअल रैलीयां कर रही है. तो वहीं दूसरी तरफ अब विधायकों और मंत्रियों का उनके क्षेत्र में विरोध होना भी शुरू हो गया है. जनता अब विधायक से पिछले 5 सालों का हिसाब मांग रही है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भी बिहार में जातिगत समीकरण से पार्टियां जीत का परचम लहराएंगी या फिर विकास के मुद्दे पर वोटिंग किया जाएगा.

विकास से कोसों दूर है ये गांव
बिहार सरकार के खनन और भूतत्व मंत्री बृजकिशोर बिंद चैनपुर विधानसभा से विधायक है. मंत्री जी ने इस सीट पर तीन दफा अपनी जीत दर्ज की है. बावजूद इसके अब इस क्षेत्र के लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया है. हम बात कर रहे है. जिले के हॉट सीट चैनपुर विधानसभा के भगवानपुर प्रखंड अंतर्गत रामगढ़ पंचायत के मकरी खोह गांव की, जहां की अधिकांश आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है. करीब 250 घरों का ये गांव वैसे तो विश्व प्रसिद्ध मां मुंडेश्वरी धाम से चंद किलोमीटर की दूरी पर है.

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भुखे प्यासे बैठे बच्चे

यहां के लोग आज के इस हाई टेक युग में भी न सिर्फ दुनिया से कटे हुए हैं. गांव में अगर सुविधाओं की बात की जाए, तो बिजली के अलावे कुछ भी नहीं है. गांव तक पंहुचने के लिए न तो सड़क है, न ही सिंचाई के लिए कोई विकल्प है. कैमूर पहाड़ी के तराई में बसा ये गांव अपनी किस्मत पर रोता हुआ नजर आता है. इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि यह गांव भगवानपुर प्रखंड का सबसे पिछड़ा गांव है.

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ग्रामीण महिला

सरकार की किसी योजना की नहीं पड़ी परछाई
ईटीवी भारत के माध्यम से ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र के बीजेपी विधायक और बिहार सरकार के मंत्री 2015 विधानसभा चुनाव के वक्त गांव में वोट मांगने आए थे. अब तो सपनों में भी मंत्री जी का दर्शन नहीं होता है, तो विकास क्या होगा. क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे बीजेपी मंत्री बृज किशोर बिन्द का विरोध शुरू हो गया है. स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो गांव में सिर्फ दो चापाकल है, जबकि आबादी लगभग 300 घरों की है.

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ग्रामीण

गांव में न तो स्वास्थ्य और ना ही सड़क की सुविधा है. यही नहीं ग्रामीण अब तक कई सरकारी योजना से वंचित है. गांव के अधिकांश ग्रामीणों का घर मिट्टी का है, जबकि सभी बीपीएल परिवार के है. इन्हें न आवास योजना का लाभ मिला है. न ही उज्जवला योजना की परछाई गांव में देखा गया है. आयुष्मान योजना के तहत मेडिकल हेल्थ कार्ड भी किसी ग्रामीण का नहींं बना है, जबकि इस गांव के लगभग सभी परिवार या तो अति-पिछड़ा या दलित वर्ग से आते है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'मुखिया के लायक भी नहीं बीजेपी विधायक'
बीजेपी विधायक से नाराज ग्रामीणों ने कहा कि पिछली बार पार्टी के नाम पर वोटिंग हुई थी. इसलिए विधायक ने जीत दर्ज किया और मंत्री बन गए, जबकि जमीनी हकीकत में ऐसा नेता तो मुखिया के लायक भी नहीं है. मंत्री तो दूर की बात है. ग्रामीण महिलाओं का तो मंत्री के प्रति इतना आक्रोश है कि उन्होंने यहां तक कह डाला कि यदि इस बार गांव में वोट मांगने के लिए मंत्री ने कदम रखा, तो पिटाई कर देंगी और उन्हें जंगली पेड़ के पत्ते की सब्जी खिलाएंगी. ताकि पता चल सके कि गांव के लोग गरीबी में कैसे जीते है.

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ग्रामीण

बीजेपी के हाथों से फिसल न जाए चैनपुर
कई ग्रामीणों ने तो खुले तौर पर कह दिया कि इस बार मंत्री बृज किशोर बिंद को वोट नहीं देंगे. वोट देने की तभी सोचेंगे जब मंत्री गांव का विकास करेंगे नहीं तो दूसरे नेता को चुनेंगे, जो उनकी समस्याओं का समाधान कर सके और क्षेत्र की जनता से समय-समय पर मिलता रहे. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी विधायक का उनके विधानसभा क्षेत्र में विरोध कही न कही पार्टी को नुकसान पंहुचा सकती है. अभी भी वक्त है यदि मंत्री जी नहीं संभले तो जनता के आक्रोश को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि कही चैनपुर बीजेपी के हाथों से फिसल न जाए.

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