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कैमूर: इस स्कूल के शिक्षकों को बिना उपस्थित हुए मिलता है वेतन, MDM में भी गड़बड़ी का आरोप

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Published : Nov 22, 2019, 9:55 AM IST

ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय में एमडीएम में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया जाता है. रजिस्टर में सैकड़ों बच्चों के लिए एमडीएम बनता है और इसका लाभ कुछ बच्चों को ही दिया जाता है.

उत्क्रमित मध्य विद्यालय चफना

कैमूर: सरकार भले ही शिक्षा सुधारने के लिए कई कदम उठा रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जिले के पहाड़ पर बसे अधौरा प्रखंड में 90 से अधिक विद्यालय हैं. इनमें ऐसे न जानें कितने स्कूल हैं, जहां कई शिक्षक महीनों में तो कई सालों में बच्चों को दर्शन देने जाते हैं.

सिर्फ 8 बच्चे आते हैं पढ़ने
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चफना में नामांकन तो 250 से अधिक बच्चों का है और पढ़ाने के लिए यहां कुल 8 शिक्षकों की पोस्टिंग हैं. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि इस विद्यालय में सिर्फ 8 बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं. वहीं, यहां रोजाना उपस्थिति सिर्फ एक शिक्षक की ही होती है. विद्यालय के प्रिंसिपल पिछले 2 साल में महीने दो महीने में 2-3 दिन के लिए स्कूल जाते हैं और सारा रिकॉर्ड मेंटेन कर लिया जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में 3 शिक्षिका की भी पोस्टिंग है. लेकिन उन्हें देखे हुए एक साल से अधिक हो गए हैं. यानी बिना उपस्थिति के ही इस विद्यालय के शिक्षकों को उनका वेतन आसानी से मिलता है.

utkramit middle school kaimur
कौशिला कुमारी,छात्रा

एमडीएम में भी होता है घोटाला
ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय में एमडीएम में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया जाता है. रजिस्टर में सैकड़ों बच्चों के लिए एमडीएम बनता है और इसका लाभ कुछ बच्चों को ही दिया जाता है. विद्यालय में मौजूद एक शिक्षक से जब पूछा गया कि अन्य शिक्षक क्यों नहीं आये हैं, तो उन्होंने कहा कि ये प्रिंसिपल ही बता पाएंगे, उन्हें नहीं मालूम है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि खुद प्रिंसिपल स्कूल महीने में 2-4 दिन के लिए जाते हैं.

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ढेंमुनिया देवी, ग्रामीण

क्या कहते हैं छात्र?
स्कूल में मौजूद बच्चों ने बताया कि रोजाना सिर्फ 8 बच्चे ही स्कूल आते हैं. छात्र ने बताया कि स्कूल में शिक्षक नहीं आते हैं इसलिए वो लोग गांव में 200 रुपये प्रति माह देकर ट्यूशन पढ़ने को मजबूर हैं. अगर स्कूल में रोजाना शिक्षक आये और सही से क्लास का संचालन किया जाए तो उन्हें ट्यूशन पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन पहाड़ पर कोई नहीं आता हैं और शिक्षा उनके लिए जरूरी है, इसलिए पैसा देकर पढ़ने को मजबूर हैं.

पेश है रिपोर्ट

जांच के बाद होगी कार्रवाई
ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत करने पर स्कूल में शिक्षक कहते हैं कि विधायक, सांसद और अधिकारियों के आदमी हैं. कोई कुछ नहीं कर सकता है. इसलिए मिलजुल कर रहने में भलाई है. उन्होंने बताया कि जांच के लिए कभी-कभार अधिकारी आते हैं. उनसे यदि शिकायत की जाती है तो सिर्फ आश्वासन मिलता है. लेकिन कोई सुधार नहीं होता है. इस मामले में जब अधौरा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने भी जांच के बाद कार्रवाई का रटा-रटाया जवाब दिया.

Intro:कैमूर। सरकार द्वारा भले ही शिक्षा सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए हों लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में किस तरफ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता हैं इसका बेजोड़ नमूना आपकों कैमूर जिले के पहाड़ पर बसे अधौरा प्रखंड की सरकारी स्कूलों में देखने मिलेगा। इस प्रखंड में 90 से अधिक विद्यालय हैं सड़क छोड़ अगर गांव के विद्यालयों की बात की जाए तो ऐसे न जानें कितने स्कूल हैं जहां कई शिक्षक महीनों में तो कई सालों में बच्चों को अपना दर्शन देनें जाते हैं। ईटीवी भारत ने जब जिला मुख्यालय भभुआ से 75 किमी दूर अधौरा प्रखंड के कैमूर पहाड़ पर स्तिथ उत्क्रमित मध्य विद्यालय चफना पहुँचा तो कुछ ऐसे हक़ीक़त ग्रामीणों ने बताया जिसे देख और सुन कर सरकार दंग रह जाएगी।


Body:आपकों बतादें कि जो दास्तान अभी हम आपकों बताने वालें हैं यह अधौरा प्रखंड के अधिकांश स्कूलों की हैं। उत्क्रमित मध्य विद्यालय चफना में नामांकन तो 250 से अधिक बच्चों का हैं और पढ़ाने के लिए यहां कुल 8 शिक्षकों की पोस्टिंग हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यह हैं कि इस विद्यालय में सिर्फ 8 बच्चें पढ़ाई करने के लिए आते हैं और रोजाना उपस्थिति सिर्फ एक शिक्षक ही होती हैं। विद्यालय के प्रिंसिपल पिछले 2 सालों से महीने दो महीने में 2-3 दिन के लिए स्कूल जाते हैं और सारा रिकॉर्ड मेंटेन कर लिया जाता हैं। ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में 3 शिक्षिका की भी पोस्टिंग हैं लेकिन उन्हें देखे हुए एक साल से अधिक हो गए। यानी बिना उपस्थिति के ही इस विद्यालय के शिक्षकों को उनका वेतन आसानी से मिलता हैं। यह सब किसकी मिलीभगत से होता हैं इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। विद्यालय में एमडीएम में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया जाता हैं। रजिस्टर में सैकड़ों बच्चों के लिए एमडीएम बनता हैं और लाभ चन्द को दिया जाता हैं। यानी कुल मिलाकर यह कहा जाए तो शिक्षा देना तो दूर की बात हैं यहां के बच्चों को अगर उनके शिक्षक का दर्शन हो जाये तो मानो उन्हें भगवान मिल गया हो। ईटीवी ने विद्यालय में मौजूद सिर्फ एक शिक्षक से पूछा कि अन्य शिक्षक क्यों नहीं आये हुए हैं तो उन्होंने प्रिंसिपल बता पाएंगे उन्हें नहीं मालूम हैं। लेकिन हैरानी की बात यह हैं कि खुद प्रिंसिपल स्कूल महीने में 2-4 दिन के लिए जाते हैं। स्कूल में मौजूद बच्चों ने बताया कि रोजना सिर्फ 8 बच्चें स्कूल आते हैं और एक गुरुजी स्कूल आते हैं। कभी कभार दूसरे गुरुजी आते हैं नहीं तो रोजना सिर्फ 8 बच्चे ही स्कूल आते हैं। एक छात्र ने बताया कि स्कूल में शिक्षक नहीं आते हैं इसलिए वो लोग गांव में 200 रुपये प्रति माह देकर ट्यूशन पढ़ने को मजबूर हैं। अगर स्कूल में रोजाना शिक्षक आये और सही से क्लास का संचालन किया जाए तो उन्हें ट्यूशन पढ़ने की जरूरत नहीं लेकिन पहाड़ पर कोई नहीं आता हैं और शिक्षा उनके लिए जरूरी हैं इसलिए पैसा देकर पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यालय की एक पूर्व छात्रा ने बताया कि 3 साल पहले इस स्कूल में पढ़ाई करती थी उस वक़्त शिक्षक आते थे लेकिन प्रिंसिपल महीने दो महीने में आते थे और 10 दिन रहकर चले जाते थे। आज भी विद्यालय में वही प्रिंसिपल हैं जो पहले थे। लेकिन गुरुजी सालों में भी स्कूल का कायाकल्प नहीं बदल सके। ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत करने पर स्कूल में शिक्षक कहते हैं विधायक सांसद और अधिकारियों के आदमी हैं कोई कुछ नहीं कर सकता हैं इसलिए मिलजुल कर रहने में भलाई हैं। जांच में कभी कभार अधिकारियों का आगमन होता हैं उनसे यदि शिकायत किया जाता हैं तो सिर्फ आश्वासन मिलता हैं। लेकिन कोई सुधार नहीं होता हैं। इस मामले में जब अधौरा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने जांच की बात कहीं और जांच के बाद कार्रवाई करने का हवाला दिया हैं। ऐसे में सोचने वाली बात यह भी हैं कि क्या पिछले 2-3 सालों में अधिकारियों ने यहां जांच नहीं किया हैं अगर किया हैं तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई हैं।


Conclusion:
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