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जमुई: पहली बार नक्सल प्रभावित इलाके में जमकर हुई वोटिंग, बुलेट पर भारी पड़ा बैलेट

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Published : Oct 20, 2021, 8:33 PM IST

नक्सल प्रभावित इलाके में जमकर हुई वोटिंग
नक्सल प्रभावित इलाके में जमकर हुई वोटिंग

जमुई में पहली बार नक्सल प्रभावित इलाके के लोगों ने पंचायत चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया. लोगों ने नक्सलियों का खौफ छोड़ भयमुक्त होकर मतदान किया. इलाके के रहने वाले तमाम लोग नक्सलियों के डर से पहले मतदान नहीं कर पाते थे.

जमुई: बिहार के जमुई जिले में पहली बार नक्सल प्रभावित इलाके (Naxal Effected Area in Jamui) के लोगों ने बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) में मतदान किया है. लोगों ने लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में भाग लिया. पंचायत चुनाव के चौथे चरण में सोनो प्रखंड (Sono Block in Jamui) के 19 पंचायतों में बुधवार को मतदान हुआ.

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थम्हन पंचायत के मतदाता नक्सलियों के खौफ से बूथ पर मतदान करने नहीं पहुंच पाते थे. इस इलाके में नक्सलियों का दहशत था. जिले का चरका पत्थर पूर्व में नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है. इस इलाके में नक्सलियों का साम्राज्य चलता था.

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बता दें कि पंचायत चुनाव हो या लोकसभा अथवा विधानसभा का चुनाव, पहले नक्सलियों द्वारा इस इलाके में पोस्टर चिपकाकर ग्रामीणों को मतदान का बहिष्कार करने की धमकी दी जाती थी. बूथ पर पहुंचने पर जान से मारने की भी धमकी दी जाती थी. इस इलाके में रहने वाले लोग डर से मतदान केंद्र पर नहीं पहुंचते थे.

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बीते कुछ सालों में अर्द्धसैनिक बलों द्वारा लगातार चलाए गए छापेमारी अभियान में कई नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया. कई नक्सलियों को सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराया गया. इससे नक्सली संगठन बैकफुट पर हैं. यही कारण है कि चरका पत्थर के नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाले लोगों ने बुधवार को इस लोकतंत्र के महापर्व पंचायत चुनाव में पहली बार बढ़-चढ़कर मतदान किया.

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मतदान करने पहुंचे पंचानंद पांडेय ने बताया कि वह पहली बार पंचायत चुनाव में मतदान केंद्र पर पहुंचकर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान किया है. स्थानीय लोगों ने कहा कि चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले नक्सलियों द्वारा इलाके में पोस्टर चिपका दिया जाता था. वोट नहीं देने का फरमान जारी किया जाता था. यहां तक कि नक्सलियों द्वारा इस इलाके में जन अदालत लगाया जाता था. मतदान का बहिष्कार करने को कहा जाता था. इसके चलते वे मतदान नहीं कर पाते थे.

इलाके के रहने वाले तमाम लोग नक्सलियों के डर से मतदान नहीं कर पाते थे. बुधवार को इस इलाके में रहने वाले सभी लोगों ने बढ़-चढ़कर लोकतंत्र के इस महापर्व में भाग लिया.

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