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शराबबंदी की कड़वी सच्चाई: 6 लीटर शराब के साथ पकड़े गए तो जेल 600 लीटर वालों को बेल, पटना HC ने SP से मांगा जवाब

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Published : Mar 24, 2021, 3:54 PM IST

पटना हाई कोर्ट ने एसपी से मांगा जवाब
पटना हाई कोर्ट ने एसपी से मांगा जवाब

बिहार में शराबबंदी को लेकर विपक्ष जो आरोप सरकार पर लगा रहा है. क्या वह पूरी तरह से सच है. ऐसा इसलिए क्योंकि जमुई एसपी से शराबबंदी के मामले में पटना हाई कोर्ट ने जवाब मांगा है. आरोप है कि 6 लीटर शराब के साथ गिरफ्तार लोगों को जेल में बंद किया लेकिन 600 लीटर के साथ गिरफ्तार कई लोग जेल से बाहर आ गए.

जमई: शराबबंदी कानून के तहत शराब माफियाओं की गिरफ्तारी और कुछ दिन में ही जेल से छूट जाने का मामला अब पटना हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. कोर्ट ने जिले के एसपी से इसे लेकर जवाब मांगा है. एक के बाद एक शराब माफियाओं के जेल से बाहर आने के मामले को लेकर पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसकी सुनवाई के बाद पटना हाई कोर्ट ने जमुई एसपी से जवाब मांगा है.

दरअसल, जमुई में शराब के साथ गिरफ्तार कई लोग जेल से बाहर इसलिए आ गए क्योंकि पुलिस और उत्पाद विभाग गिरफ्तार लोगों के खिलाफ निर्धारित 60 और 90 दिन की अवधि में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सका.

आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाए अधिकारी
पटना हाई कोर्ट से पहले जब इस एक मामले को लेकर जमुई व्यवहार न्यायालय में पड़ताल की गई तो पता चला कि यह मामला तो छोटा है. इससे भी बड़े और गंभीर मामले यानी 600 लीटर शराब के साथ पकड़े जाने के बावजूद भी शराब माफिया जेल से बाहर आ गया. क्योंकि कानून के प्रावधानों के मुताबिक पुलिस और उत्पाद विभाग के अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी ने निर्धारित 60 और 90 दिन की अवधि के भीतर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया.

पुलिस और शराब माफियाओं की मिलीभगत
जमुई के युवा अधिवक्ता सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल अधिवक्ता राजीव रंजन ने इस बड़े और गंभीर शराब माफिया पुलिस गठजोड़ को खोज निकालने में रिपोर्टर की मदद करते हुए यह लिस्ट मुहैया कराई. जिसमें पहली नजर में करीब एक दर्जन से अधिक मामले प्रकाश में आए. जिसमें उत्पाद विभाग के 277 सी 2/20 ,172 सी 2/20,151 सी 2/20,160 सी 2/20, 278 सी 2/20,283सी 2/20, 282 सी 2/20,287सी 2/20, 155 सी 2/20,159 सी 2/20 के अलावे चंद्रमंडीह थाना कांड संख्या 83/20 ,जमुई थाना कांड संख्या 428/ 20 ,चकाई थाना कांड संख्या 116/20, सोनो थाना कांड संख्या 335/ 20 शामिल है.

5 लीटर शराब वाले जेल में, 600 लीटर वाले बाहर
इन सभी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) का लाभ देते हुए अभियुक्तों को इसलिए जमानत दे दी गई क्योंकि पुलिस ने वक्त पर आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित नहीं किया. जहां एक और उत्पाद एवं मद्य निषेध के कड़े कानून में एक लीटर शराब की बरामदी पर भी न्यूनतम 5 साल की सजा का प्रावधान है और पकड़े गए अभियुक्त को अधिवक्ता के माध्यम से भी जमानत लेने में पसीने छूट जा रहे हैं. वहीं इन मामलों में अधिकतम 600 लीटर से भी ज्यादा शराब बरामद होने के बावजूद अभियुक्त आसानी से जेल से बाहर हो गया और उसे कानूनी उलझन और भागदौड़ का भी सामना नहीं करना पड़ा.

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विशेष अपर लोक अभियोजक उत्पाद एवं मद्य निषेध अधिनियम ने पूछने पर बताया कि ऐसे सभी मामले जो उनके संज्ञान में आए हैं उस पर उन्होंने गंभीरता से वरीय पदाधिकारियों को सूचित कर दिया है. आश्चर्य की बात तो यह है कि ऐसे मामले में जब भी अभियुक्त को जमानत मिलती है तो न्यायालय इसे गंभीरता से लेकर संबंधित वरीय पदाधिकारियों को भी सूचना देते हुए आगाह करती है. लेकिन एक पर एक लगातार दर्जन से अधिक मामले में अभियुक्तों को जमानत होती गई और वरीय से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारियों को नींद नहीं खुली. जिससे साबित होता कि कहीं ना कहीं कोई बड़ा घालमेल है. वह भी तब है कि जब शराब से संबंधित कानून के अनुपालन के लिए विशेष अदालत और विशेष व्यवस्था की गई है.

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