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जमुई वायरल गर्ल सीमा अब पूरी तरह हाईटेक हो चुकी है, जानिए कैसे

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Published : Sep 2, 2022, 7:02 AM IST

जमुई वायरल गर्ल सीमा
जमुई वायरल गर्ल सीमा

Jamui Divyang Girl Seema अब पूरी तरह हाईटेक हो गई है. पढ़ाई के प्रति उसके लगन और उत्साह को दखते हुए ऑनलाईन ट्यूशन पढ़ाने वाली कंपनी ने उसे रीडिंग टैबलेट मुहैया कराया है. पढ़ें पूरी खबर...

जमुईः कभी एक पैर के सहारे कूद-कूदकर स्कूल जाने वाली जमुई की दिव्यांग गर्ल सीमा (Jamui Viral Girl Seema Studying With Tablet) अब पूरी तरह हाईटेक हो चुकी है. सीमा अब अत्याधुनिक तकनीक से पढ़ाई कर रही है, दरअसल सीमा को ऑनलाईन ट्यूशन पढ़ाने वाली कंपनी ने रीडिंग टैबलेट मुहैया कराया है. टैबलेट पाकर सीमा और उसके परिजनों ने खुशी का इजहार करते हुए जिले के डीएम अवनीश कुमार सिंह (DM Avnish Kumar Singh) और कंपनी के प्रति आभार जताया है.

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रीडिंग टैबलेट से पढ़ाई कर रही सीमाः दरअसल जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह के प्रयास से ही बाईजूज कंपनी ने सीमा की प्रतिभा को सलाम करते हुए उसे ऑनलाईन ट्यूशन के लिए रीडिंग टेबलेट दिया है. जिले के खैरा प्रखंड अंतर्गत फतेहपुर गांव निवासी खिरन मांझी और बेबी देवी की बेटी दिव्यांग सीमा ने रीडिंग टैबलेट से पढ़ाई शुरू कर दी है. सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा की छात्रा सीमा इस डिवाइस के जरिए अत्याधुनिक तकनीक से शिक्षा ग्रहण कर रही है. साथ ही अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक-एक कदम आगे बढ़ रही है.


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डीएम ने बताई टैबलेट की खूबीः वहीं, डीएम ने मौके पर कहा कि टैबलेट एक स्लेटनुमा पतली मोबाइल कंप्यूटिंग डिवाइस है. इस डिवाइस को चलाने के लिए टच स्क्रीन की सुविधा होती है. ये टैबलेट प्रायः वैसे स्थानों के लिए ज्यादा उपयोगी होता है जहां लैपटॉप या नोट बुक और कम्प्यूटर कैरी करने में परेशानी होती है. टेबलेट ई-रीडिंग यानी अखबार, पुस्तकें आदि के पढ़ने के काम आता है. इसके जरिए सीमा की शिक्षा को गति मिलेगी और वह तेजी विषयांकित चीजों को आत्मसात कर सकेगी.

"आज के अत्याधुनिक युग में डिजिटाइज्ड एजुकेशन की सुविधा दिया जाना समय की मांग है. रीडिंग टैबलेट से सीमा को कठिन अभ्यासों को सीखने में सहूलियत होगी. नई चिजों को सीखने का मौका मिलेगा. इस टैबलेट से सीमा ऑनलाईन ट्यूशन पढ़ सकेगी और अपने विषयों को आसानी से समझेगी"- अवनीश कुमार सिंह, डीएम

एक ही पैर से रोज जाती थी स्कूलः गौरतलब है कि जमुई वायरल गर्ल सीमा में पढ़ने-लिखने का जुनून और जज्बा काफी है. दिव्यांगता के बावजूद वह एक ही पैर से रोजाना स्कूल जाती थी हांलाकि अब ऑपरेशन के जरिए उसे कृत्रिम पैर लगाया गया है, जिससे वो काफी आराम महसूस कर रही है. अब चलने में उसे कोई परेशानी नहीं है. जिला प्रशासन ने उसकी इच्छा शक्ति को सलाम करते हुए पहले उसे कृत्रिम पैर उपलब्ध कराया था. बाद में डीएम की खास पहल पर भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) कानपुर ने उसे बेहतर गुणवत्ता वाला कृत्रिम पैर मुफ्त में लगाकर नई जिंदगी प्रदान की है.

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