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भारत बंद का जमुई में दिखा आंशिक असर, सड़क जाम से परेशान रहे लोग

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Published : Sep 27, 2021, 4:46 PM IST

Bharat Bandh Effect In Jamui
Bharat Bandh Effect In Jamui

बिहार के जमुई में किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर भारत बंद का व्यापक असर दिखा. चकाई में राजद-भाकपा के कार्यकर्ताओं ने सड़क जामकर प्रदर्शन किया. इस दौरान जाम में कई वाहन फंसे रहे, जिससे लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी. पढ़ें पूरी खबर..

जमुई: कृषि संघर्ष समिति के भारत बंद (Bharat Bandh Effect In Jamui) के आह्वान पर चकाई चौक पर पूर्व विधायक सावित्री देवी की अगुवाई में सड़क जाम किया गया. मौके पर पूर्व विधायक सावित्री देवी ने कहा कि केंद्र की सरकार तानाशाह रवैया अपनाए हुई है.

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राजद विधायक ने कहा कि किसानों द्वारा दिल्ली में कृषि कानून के खिलाफ लगातार संघर्ष किया जा रहा है. इसके बावजूद सरकार इस तुगलकी फरमान को वापस नहीं कर रही है. जब तक केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक इसी तरह सड़क जाम कर एवं धरना प्रदर्शन कर शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन जारी रखा जाएगा.

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वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा माले के प्रखंड सचिव मनोज पांडेय ने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ किसानों द्वारा लगातार 10 माह से आंदोलन किया जा रहा है. इसके बावजूद सरकार द्वारा कृषि कानून को वापस नहीं लिया जा रहा है. किसानों के साथ सरकार अन्याय कर रही है.

"केंद्र की एनडीए सरकार आज सभी सरकारी संस्थानों को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में बेचकर अपनी पूंजी बढ़ा रही है. यह सरकार सिर्फ जनता को दिग्भ्रमित कर लूटने का प्रयास कर रही है."- रामेश्वर यादव, कांग्रेसी नेता

वहीं सड़क जाम के कारण सैंकड़ों छोटे बड़े गाड़ियों की कतार लग गई. इस दौरान यात्रियों में अफरा-तफरी का माहौल व्याप्त रहा. इस मौके पर श्याम सुंदर राय, बाबूराम किस्कू, रवि शंकर यादव, बिंदेश्वरी यादव, दयाल पंडित, संतोष यादव, संजय राय, कालू मरांडी, पूजन टूडू, उपेंद्र शर्मा, सुरेश राम, ललन कुमार पासवान, लालू कुमार ललन, रोहित यादव, त्रिवेणी यादव,राजेन्द्र यादव सहित सैकड़ों कार्यकर्ता एवं किसान मौजूद थे.

बता दें कि किसान संगठनों के भारत बंद को कांग्रेस समेत तमाम गैर-एनडीए दलों ने समर्थन दिया है. बिहार में भी राजद, कांग्रेस और तमाम वामदलों ने पटना के बुद्ध स्मृति पार्क से लेकर डाकबंगला चौराहे तक मार्च किया. डाकबंगला चौराहे को जाम करते हुए उन्होंने कृषि कानून के खिलाफ नारे भी लगाए. इस दौरान बंद समर्थकों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को लाकर केंद्र सरकार ने किसानों की कमर तोड़ने की कोशिश की है.

जानें क्या हैं तीनों कृषि कानून जिसका किसान विरोध कर रहे हैं:

1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे रोज्यों में फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब एपीएमसी (एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी -Agriculture Marketing Produce Committee) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकती है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून 2020: देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज ख्त्म होगा.

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

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