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जमुई में महंगाई पर भाकपा माले का विरोध मार्च, पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी हुई कीमत वापस लेने की मांग

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Published : Apr 11, 2022, 6:45 PM IST

जमुई में पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़े हुए दामों को लेकर भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया (CPI-ML Workers Protest in Jamui). इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार से पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतों को तत्काल वापस लेने की मांग की.

CPI-ML Protest March on Inflation in Jamui
जमुई में महंगाई पर भाकपा माले का विरोध मार्च

जमुई: बिहार के जमुई में पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमत (Rising price of petroleum products in Jamui) और मंहगाई को लेकर भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च (CPI-ML Workers Protest March in Jamui) निकाला. यह विरोध मार्च स्टेडियम मैदान से निकलकर, अम्बेडकर चौक, बाजार, पोस्ट ऑफिस रोड होते हुए अभय सिंह स्मृति स्थल पहुंचा. जहां यह सभा में तब्दील हो गया. सभा की अध्यक्षता करते हुए छात्र नेता बाबू साहब ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस के माध्यम से जनता की जेब पर डाका डाल रही है. इस दौरान भाकपा माले के नेताओं ने बढ़ती हुई महंगाई पर केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया और पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतों को फौरन वापस लेने की मांग की.

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5 राज्यों में चुनाव के बाद 16 बार बढ़ी कीमत: भाकपा माले के जिला सचिव शम्भू शरण सिंह ने कहा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होते ही मोदी सरकार अब तक सोलह बार ईंधन की कीमतें बढ़ा चुकी है. यह चालाकी और जनता से धोखाधड़ी का एक पैटर्न है. हर बार चुनाव से पहले ईंधन की कीमतें स्थिर रखो और जैसे ही चुनाव हो जायें तो फटाफट मूल्यवृद्धि कर दो. पेट्रोल अब औसतन 107 रुपये प्रति लीटर, डीजल 100पार कर चुका है और रसोई गैस का सिलेंडर 926 पर पहुंच गया है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, जोकि खुदरा बाजार में मंहगाई का पैमाना होता है वह फरवरी में 6.07 प्रतिशत पर जा चुका था.

भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य पड़ोसी देशों से अधिक: उन्होंने कहा कि पे​ट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी जनता को समझा रहे हैं कि मंहगाई की हालत उतनी बुरी नहीं है, जितना आप समझ बैठे हैं. उनका कहना है कि दूसरे देशों में तो हालत और भी ज्यादा खराब है. यह बहाने बाजी जनता को गुमराह करने के लिए ही की जा रही है. सच यह है कि भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य हमारे सभी पड़ोसी देशों से अधिक हैं और अमेरिका जैसे अमीर देश से भी ज्यादा है.

पेट्रोलियम पदार्थों पर भारी एक्साइज टैक्स: शम्भू शरण सिंह ने कहा कि इस मूल्यवृद्धि के दो कारण हैं. पहला कारण तो सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों का डिरेगुलेशन करना यानी कंपनियों और वितरकों को उनकी मर्जी से मूल्य बढ़ाने की छूट देना है. बदले में ये कंपनियां चुनावों से पहले कीमतें स्थिर रख कर भाजपा को फायदा पहुंचाकर अपना एहसान चुका देती हैं. दूसरी वजह है कि भाजपा सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर भारी एक्साइज टैक्स ​थोप रखा है. भाजपा सरकार भारत के कॉरपोरेट और अमीर तबकों को लगातार टैक्स में छूट दे रही है और सरकार चलाने का खर्च ईंधन पर एक्साइज टैक्स बढ़ा-बढ़ा कर ही निकाल रही है.

डिरेगुलेशन की नीति जनता की कमर तोड़ रही है: उन्होंने कहा कि डिरेगुलेशन की नीति केवल आम जनता की कमर तोड़ने का काम करती है. सच्चाई यह है कि अब भी बंद कमरों में सरकार की मर्जी से ही मूल्य निर्धारण होता है. जैसा कि हमने चुनाव से पहले देखा था. फ्री मार्केट खुला बाजार या डिरेगुलेशन की नीति वास्तव में भाजपा की चुनावी अवसरवादिता की गुलाम है. आज जब कीमतें बढ़ाई जा रही हैं तब सरकार रूस से 35 डालर प्रति बैरल की दर से यानी वैश्विक बाजार से 65 प्रतिशत कम कीमत पर ईंधन आयात कर रही है. जो रूस इस समय यूक्रेन पर युद्ध छेड़ने का अपराध कर रहा है. उससे पेट्रोलियम पदार्थ खरीदना कितना नैतिक है? सस्ता ईंधन खरीदने के बाद भी जनता को मंहगा ईंधन क्यों बेचा जा रहा है? इसका साफ-साफ मतलब है कि सरकार अपनी कूटनीतिक और राजनीतिक क्षमताओं का इस्तेमाल जनता के लिए नहीं बल्कि तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़वाने के लिए कर रही है.

जनता की जेब पर डाका: शम्भू शरण सिंह ने कहा कि ईंधन के मूल्यों में वृद्धि से अन्य आवश्यक वस्तुओं की मूल्यों में स्वत: वृद्धि हो जाती है. दो साल से महामारी और लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी, गरीबी और भूख की मार सह रहे आम लोगों की क्रय शक्ति और भी कम हो जायेगी. इसलिए अब यह जरूरी है कि सरकार तत्काल तबाही ढाने वाली डिरेगुलेशन की नीति पर रोक लगाये और सभी प्रकार के ईंधन के मूल्य निर्धारण की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले. पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज टैक्स बढ़ाकर सरकारी आय बढ़ाने का मतलब है कि जनता की जेबों पर डाका डालना. जोकि बंद होना चाहिए.

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