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बाबरी विध्वंस मामले में गोपालगंज के विनय राय भी थे अभियुक्त, फैसला आने पर कहा- न्याय की हुई जात

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Published : Oct 1, 2020, 10:18 AM IST

बाबरी विध्वंस मामला 1992 से ही चलता आ रहा था. इसमें 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिसमें बिहार-झारखंड के एक मात्र व्यक्ति विनय राय भी शामिल थे. वहीं इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, जिससे विनय राय के जीवन में खुशी की लहर दौड़ गई है.

vinay rai of gopalganj acquitted in babri demolition case
विनय राय को किया गया बरी

गोपालगंज: बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इसमें गोपालगंज के विनय राय भी शामिल हैं. सीबीआई ने विनय राय को 1992 में ढांचा तोड़ने, आपराधिक षड्यंत्र रचने, सरकारी संपत्ति लूटने, धार्मिक उन्माद फैलाने आदि कई आपराधिक मामलों में अभियुक्त बनाया था, लेकिन अब वे सभी मामलों में बरी हो गए हैं.


49 लोगों को बनाया गया अभियुक्त
दरअसल, वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा तोड़े जाने को लेकर देश के 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. इसमें गोपालगंज जिले के परसौनी गांव के विनय राय बिहार झारखंड के अकेले ऐसे कार सेवक थे, जिनपर बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला दर्ज था. विनय शुरू से ही भगवान श्री राम के भक्त थे. तब वे विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री भी थे. वर्तमान समय में वह विश्व सनातन संघ के राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर आसीन हैं.


1990 में हुए थे गिरफ्तार
1990 में सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे के नारों के साथ गोपालगंज में एक विशाल जुलूस लेकर निकले थे. उस समय भी उन्हें गिरफ्तार कर कैंप जेल में डाल दिया गया था. वहीं 6 दिसंबर 1992 अयोध्या ढांचा ढ़हने के मामले में सीबीआई ने देश के 40 लोगों के विरूद्ध केस दर्ज किया. इसमें लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी के साथ विनय राय जो बिहार-झारखंड में एकलौता व्यक्ति को आरोपी बनाया गया. इसके बाद इस मामले में 9 और लोगों को जोड़ लिया गया. कुल 49 लोगों पर आरोप पत्र दाखिल किया गया.


लखनऊ में 9 जनवरी 1993 को जमानत पर रिहा
लखनऊ जेल में सीबीआई ने विनय राय से भी पूछताछ की. आयोध्या में कार्य सेवा के लिए गोपालगंज से विनय राय के साथ छवही के रहने वाले बच्चा सिंह बचनेश, ढ़ेबवा के शिक्षक सोमेश्वर मिश्र, विजय सिंह समेत लगभग 36 लोग शामिल हुए थे, जो पांच दिन पूर्व से ही जाकर आयोध्या में रह रहे थे. 6 दिसंबर 1992 को कार सेवा के दौरान विनय राय गंभीर रूप से घायल हो गए. जब उनको होश आया, तो वे फैजाबाद अस्पताल में भर्ती थे. वहीं अन्य लोग पैदल भागकर चले आए. विनय राय को फैजाबाद जेल भेज दिया गया. जेल से स्थिति बिगड़ने पर विनय राय को किंगजार मेडिकल कॉलेज लखनऊ भेजा गया, जहां ठीक होने के बाद लखनऊ जेल में शिफ्ट कर दिया गया. वहीं लखनऊ में विनय 9 जनवरी 1993 को जमानत पर रिहा हुए.


घर में पूरे परिवार के साथ भगवान के अराधना में लीन
अयोध्या में श्री राम मंदिर के भूमि पूजन को देख विनय राय को बहुत ही खुशी मिली. विनय राय का मानना है कि वे अपने आपको धन्य मानते हैं कि भगवान प्रभू राम के काम आए. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनके जीवनकाल में मंदिर का निर्माण हो भी पाएगा, लेकिन अब यह तय हो गया है कि विनय के सामने ही मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. इसके पीछे माध्यम भले ही कोई रहा हो, लेकिन यह तो तय है कि प्रभु श्रीराम की मर्जी के बिना कुछ हो ही नहीं सकता. न्यायालय का फैसला भी शायद राम की प्रेरणा से ही आया और उन्हीं की प्रेरणा से प्रधानमंत्री मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किए. कोरोना काल में भले ही विनय को जाने का मौका न मिला हो, लेकिन वे अपने घर में ही पूरे परिवार के साथ भगवान राम के अराधना में लीन रहे.


विनय का संकल्प हुआ पूरा
विनय ने अयोध्या भूमि पूजन के दौरान अपनी बुजुर्ग माता उमा देवी, पत्नी मैत्रेयी देवी के साथ घर पर ही श्री राम की आरती पूजा-पाठ किया. विनय टीवी पर लाइव देख अभिभूत हो उठे. विनय ने बताया की जीवन का वह संकल्प राम जन्मभूमी के पूजन के समय पूरा हों गया, जो 1992 में लिया था. मंदिर की परिकल्पना जब दिमाग में उकेरती है, तो रोम-रोम खिल उठता है. उन्होंने बताया कि भगवान श्री राम की ही कृपा और न्याय कि जीत ही है कि जितने भी लोग इस मामले में अभियुक्त बने सभी लोग बरी हो गए. उनका कहना है कि उन्हें कानून और न्यायालय पर पूरा विश्वास था की एक न एक दिन न्याय की जीत जरूर होगी. सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं हो सकता.

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