गोपालगंज में जहरीली शराब से मौत के बाद शराबबंदी पर सवाल, पहले भी 50 लोग गंवा चुके हैं जान

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Published : Mar 12, 2022, 7:59 PM IST

गोपालगंज में 4 लोगों की संदिग्ध मौत

गोपालगंज में जहरीली शराब से मौत (Death due to poisonous liquor in Gopalganj) का मामला सामने आने के बाद शराबबंदी कानून को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं. जब से ये कानून लागू हुआ है तब से ये तीसरी घटना है, जब बड़ी संख्या में जहरीली शराब पीने के कारण लोगों ने अपनी जान गंवाई है. हालांकि प्रशासन ने जांच टीम का गठन कर दिया है ताकि मौत की वजह स्पष्ट हो सके.

गोपालगंज: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) के बावजूद जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. एक बार फिर गोपालगंज में 4 लोगों की संदिग्ध मौत (Suspicious Death of 4 People in Gopalganj) हुई है. वहीं इस घटना के बाद अब जिला प्रशासन अलर्ट मोड में आग गया है. गोपालगंज डीएम नवल किशोर चौधरी (Gopalganj DM Naval Kishore Chowdhary) ने एसडीओ और एसडीपीओ के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच के लिए भेजा है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है. इसके अलावा उत्पाद विभाग की टीम को ड्रोन से इलाके का सर्वे करने का निर्देश दिया है.

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जहरीली शराब से मौत का तीसरा मामला: दरअसल बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से गोपालगंज में जहरीली शराब से मौत का यह तीसरा मामला है. इससे पहले 2 नवंबर 2021 को जिले के महम्मदपुर थाने के महम्मदपुर गांव में 21 लोगों की मौत हुई थी. प्रशासन ने 14 लोगों के मरने की पुष्टि की थी. जबकि उसी साल 20 फरवरी 2021 को विजयीपुर थाने के मझवलिया में जहरीली शराब से 6 लोगों की जानें गईं थीं. वहीं, जिस साल शराबबंदी कानून लागू हुआ था, उसी साल 15 अगस्त 2016 को नगर थाने के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. आंकड़ों पर गौर करें तो अबतक जहरीली शराब पीने से 50 लोगों की मौत हो चुकी है.

जांच के लिए टीम गठित: गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र में हुई इस हालिया घटना ने सरकार और प्रशासन के दावों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि मीडिया के माध्यम खबर मिली है. अभी तक ऐसी सूचना नहीं मिली है लेकिन हमने जांच के लिए टीम गठित कर दिया है. उन्होंने कहा कि यदि मामला सही पाया जाता है तो दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. डीएम ने कहा कि बैकुंठपुर इलाके में कल से रेड चल रहा है और ड्रोन से इलाके का सर्वे भी कराया जा रहा है, ताकि शराब के ठिकानों का पता लगाकर ध्वस्त किया जा सके.

"मीडिया के माध्यम से ही इस बारे में खबर मिली है. अभी तक हमलोगों को ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है. हालांकि जांच के लिए टीम गठित कर भेजा गया है. यदि मामला सही पाया जाता है तो दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बैकुंठपुर के इलाके में कल से रेड चल रहा है और ड्रोन से इलाके का सर्वे भी कराया जा रहा है, ताकि शराब के ठिकानों का पता लगाकर ध्वस्त किया जा सके"- डॉ नवल किशोर चौधरी, डीएम, गोपालगंज

सुबह-सुबह शव का दाह-संस्कार: इस घटना के बाद बैकुंठपुर थाना क्षेत्र के बसहां गांव में रमेश महतो के घर पर चीख-पुकार मची है. पत्नी प्रमीला देवी रो-रो कर शराब पीने से पति के मौत होने की कहानी बयां कर रही है. बताया जाता है कि 48 साल के रमेश महतो राजमिस्त्री का काम करते थे. शुक्रवार की शाम काम से लौटने पर गांव में ही शराब पी ली थी. जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी. परिजन देर रात में स्थानीय अस्पताल लेकर गए लेकिन बचाया नहीं जा सका. सुबह होते ही प्रशासन ने शव का दाह-संस्कार करवा दिया.

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल: उधर, बसहां गांव में ही देवेंद्र शर्मा के घर भी मातम छाया है. परिवार के लोग देवेंद्र की मौत से सदमे में हैं. 35 साल के देवेंद्र के पिता रामचंद्र शर्मा बताते हैं कि उनका बेटा फर्नीचर का काम करता था. मेहनत-मजदूरी कर अपने पांच छोटे-छोटे बच्चों का पालन-पोषण करता था. शुक्रवार की शाम को काम से लौटने के बाद पकड़ी मोड़ के पास शराब पी ली थी, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गयी और घर आने के बाद रात में मौत हो गयी. वहीं एकडेरवां गांव के 75 साल के राजेश्वर सिंह और सोनवलिया कोडर गांव के जेके यादव की भी शराब पीने से मौत हो गयी.

बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी: दरअसल, 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था. 1 अप्रैल 2016 से लागू हुए कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी नशीले पदार्थ या शराब का निर्माण वितरण परिवहन संग्रह भंडार खरीद बिक्री या उपभोग नहीं कर सकता है. हालांकि बिहार में जहरीली शराब से मौत के बाद शराबबंदी कानून को लेकर सवाल भी उठे हैं. जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी, उस समय सरकार को शराबबंदी की वजह से 4000 करोड़ की क्षति हुई थी. उसके बाद यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता गया. उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सामाजिक नुकसान इससे भी कहीं बढ़कर है. हम अन्य माध्यमों से घाटे की भरपाई करेंगे.

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