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गोपालगंजः मचान पर कट रही बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी, फिर शुरू हुआ तबाही का दौर

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Published : Jul 17, 2020, 11:08 AM IST

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित

हर साल की तरह इस बार भी बाढ़ ने लोगों को घर से बेघर करना शुरू कर दिया है. मांझा प्रखण्ड के निमुइया पंचायत के दर्जनों गांव के लोग बाढ़ के पानी में घिर चुके हैं और अब सरकार से राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

गोपालगंजः मांझा प्रखण्ड के निमुइया पंचायत के दर्जनों गांव के लोग पिछले एक हफ्ते से बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. यहां के लोग अपने ही गांव में कैद हो गए हैं. आलम यह है कि न खाने को आनाज है न पीने के लिए पानी. पानी के बीच घिरे इन बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी बांस के बने मचानों पर किसी तरह कट रही है.

बता दें कि इस गांव में अब तक कोई जनप्रतिनिधि भी नहीं पहुंचे हैं. कोई अधिकारी भी अब तक इनका हाल लेने नहीं आया है. यही वजह है कि यहां रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. ये लोग शुद्ध पानी, नाव, भोजन, तिरपाल और रहने की व्यवस्था के लिए प्रशासन का आसरा लगाए बैठे हैं.

मचान पर खाना बनाने का जुगाड़ करती महिला
मचान पर खाना बनाने का जुगाड़ करती महिला

वाल्मीकि बैराज से छोड़े गए पानी ने किया तबाह
दरअसल गोपालगंज जिला हमेशा से ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र रहा है. यहां के लोग बाढ़ की विभीषिका से हमेशा बेघर हुए हैं. इस साल भी गंडक नदी ने तबाही मचानी शुरू कर दी है. वाल्मीकि नगर बैराज से लगातार छोड़े गए पानी के बाद दियारा इलाके के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. जिससे लोगों में दहशत का माहौल है.

प्रभावित गांवों में अब तक नहीं पहुंची नाव
नेपाल के तराई इलाको में हो रही लगातार बारिश के बाद बाल्मीकि नगर बराज से पानी छोड़े जाने के बाद दियारा इलाके के गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है. लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. वहीं, सांप बिच्छु का डर भी लोगों को सता रहा है. नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. जिला प्रशासन की ओर से सरकारी नाव का इंतजाम किया गया है. लेकिन ये नावें बाढ़ प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंच सकी हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जिले की करीब 40 हजार आबादी प्रभावित
सबसे ज्यादा परेशानी सदर प्रखंड के मेहन्दीय, मशान थाना मकसूदपुर जगिरी टोला, मलाही टोला और रामपुर गांव में है. यहां गांव की सड़कों पर 3 से 4 फुट पानी बह रहा है. कुछ लोग अपने घर में ही कैद हो गए है, तो कुछ लोग अब पलायन करने लगे हैं. तटवर्ती इलाके के निचले हिस्से में बसे 60 गांवों की करीब 40 हजार आबादी पूरी तरह से बाढ़ के चपेट में है. बाढ़ पीड़ित रामाशीष सहनी ने अपना दर्द बयान करते हुए बताया कि अब तक उन्हें कोई भी प्रशासनिक सुविधा नहीं मिली है.

राहत के आसरे में बैठे बाढ़ पीड़ित
राहत के आसरे में बैठे बाढ़ पीड़ित

ये भी पढ़ेंः बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंचे पप्पू यादव, कहा- चिंता न करें, हर संभव मदद करेंगे

बुखार में पड़ी बुजुर्ग को दवा तक नसीब नहीं
वहीं, मांझा प्रखण्ड के निमुईया पंचायत के विशुनपुरा गांव की बात करें तो यहां की स्थिति बाद से बदतर है. लोग भोजन पानी और दवा के लिए तरस रहे हैं. बिशुनपुर गांव निवासी फूलकुमारी के पास कुछ भी नहीं बचा है. कुछ दिनों से बुखार है. लेकिन ना ही दवा मिल रही है और ना ही भोजन.

ईटीवी भारत की टीम जब इस बुजुर्ग महिला के पास पहुंची तो वो रो-रोकर अपना दुखड़ा सुनाने लगी. वहीं, एक दर्द भरा मंजर ये भी देखने को मिला कि एक बाढ़ पीड़ित शैलेन्द्र अपने बीमार बच्चे को खाट पर लिटा कर कमर भर पानी में डॉक्टर के पास जाने की कोशिश कर रहा है.

पानी के बीच घिरे बाढ़ पीड़ित
पानी के बीच घिरे बाढ़ पीड़ित

दियारा इलाके के कई गांव बाढ़ की चपेट में
बता दें कि कुचायकोट प्रखण्ड के काला मटिहानीया, रूप सागर सलेमपुर, जमुनिया, गम्हरिया सदर प्रखंड के पथरा, बरईपट्टी, जगरी टोला, खाप ,मकसूदपुर, रामनगर मसान थाना माझा प्रखंड के पथरा, गौसिया, धामापाकड़ पुरैना, भैसही, निमुइया बरौली प्रखंड के सिकटिया, सलेमपुर, सिकरिया, सलेमपुर और सिधवलिया प्रखंड के सलेमपुर, बंजरिया अमरपुरा बैकुंठपुर प्रखंड के अमारी, सीतलपुर, सलेमपुर, अदमापुर, मटियारी, प्यारेपुर, आशाखेड़ा मोहम्मदपुर गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है. जानकारों के माने तो वर्ष 2003 के बाद पहली बार गंडक नदी इतनी ज्यादा उफान पर है.

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