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गोपालगंज: मासूम की बलि देने वाली सास-बहू को 3 साल बाद मिली फांसी की सजा

विजयीपुर प्रखण्ड के छतौना गांव में तीन वर्ष पहले दो महिलाओं ने बेटे की चाहत में दूसरे के बेटे की बलि दे दी थी. कोर्ट ने इस मामले में मंगलवार को सास-बहू को फांसी की सजा सुनाई है.

Gopalganj
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Published : Aug 18, 2020, 6:49 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 1:49 AM IST

गोपालगंज: जिले के विजयीपुर प्रखण्ड के छतौना गांव में तीन वर्ष पहले दो महिलाओं ने एक मासूम की बलि दे दी थी. इस मामले में सिविल कोर्ट के एडीजे फोर्थ ने मंगलवार को सास-बहू को फांसी की सजा सुनाई है.

तीन वर्ष पहले 5 सितम्बर 2017 को जिले के छतौना गांव निवासी विनोद साह के चार वर्षीय पुत्र देव कुमार घर के पास से गायब हो गया. परिजनों ने काफी खोजबीन की, लेकिन उसका कहीं सुराग नहीं मिल सका. दूसरे दिन मासूम का शव गांव के बांसवाड़ी में पाया गया. मृतक मासूम के पिता विनोद साह ने गांव के ही सरजू साह की पत्नी दुर्गावती देवी और उसकी बहु सनकेशा देवी को नामजद बनाते हुए मामला दर्ज किया था. पुलिस ने त्वरित कार्यवाई करते हुए दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पुलिस को दिए गए आवेदन में भी परिजनों ने उसे बलि देने का जिक्र किया था. पुलिस की तफतीश में भी बलि का मामला सामने आया.

जानकारी देते अभियोज पक्ष के वकील ब्रजभूषण शर्मा
जानकारी देते अभियोज पक्ष के वकील ब्रजभूषण शर्मा

दोनों आरोपी महिलाओं को फांसी की सजा
इस आपराधिक मामले में आरोप पत्र आने के बाद सत्र न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हुई. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्य के आलोक में चतुर्थ अपर जिला और सत्र न्यायाधीश लवकुश कुमार के न्यायालय ने दोनों आरोपी महिलाओं को घटना के लिए दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है. इस मामले में सरकार की ओर से एपीपी जयराम साह और बचाव पक्ष के अधिवक्ता शैलेश कुमार श्रीवास्तव और वीरेंद्र सिंह ने दलीलें पेश की.

देखें रिपोर्ट

लोगों के बहकावे में आकर दी मासूम की बलि
वहीं अभियोजन पक्ष के वकील ब्रजभूषण शर्मा ने बताया कि 6 सितंबर 2017 को एक मामला दर्ज किया गया था. जिसमे सनकेशा देवी और दुर्गावती देवी पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी. जिसके बाद 302 के तहत दोनों को दोषी करार दिया गया. सनकेशा देवी को कोई बच्चा नहीं होता था. लोगों के बहकावे में आकर उसने एक मासूम को बलि दे दी.

उन्होने बताया कि आरोपी के पूजा वाले घर मे खून के छीटे के निशान पाए गए थे. जिसके बाद साक्ष्य मिटाने के लिए उसे पानी से धोया गया था. जब सीढ़ी के सहारे छत से शव को फेंका गया तो सीढ़ी पर भी खून के निशान मिले थे. वहीं फोरेंसिक जांच में यह मामला सत्य पाया गया. सारे सबूतों के आधार पर एडीजे फोर्थ ने दोनों सास बहू को फांसी की सजा सुनाई है.

गोपालगंज: जिले के विजयीपुर प्रखण्ड के छतौना गांव में तीन वर्ष पहले दो महिलाओं ने एक मासूम की बलि दे दी थी. इस मामले में सिविल कोर्ट के एडीजे फोर्थ ने मंगलवार को सास-बहू को फांसी की सजा सुनाई है.

तीन वर्ष पहले 5 सितम्बर 2017 को जिले के छतौना गांव निवासी विनोद साह के चार वर्षीय पुत्र देव कुमार घर के पास से गायब हो गया. परिजनों ने काफी खोजबीन की, लेकिन उसका कहीं सुराग नहीं मिल सका. दूसरे दिन मासूम का शव गांव के बांसवाड़ी में पाया गया. मृतक मासूम के पिता विनोद साह ने गांव के ही सरजू साह की पत्नी दुर्गावती देवी और उसकी बहु सनकेशा देवी को नामजद बनाते हुए मामला दर्ज किया था. पुलिस ने त्वरित कार्यवाई करते हुए दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पुलिस को दिए गए आवेदन में भी परिजनों ने उसे बलि देने का जिक्र किया था. पुलिस की तफतीश में भी बलि का मामला सामने आया.

जानकारी देते अभियोज पक्ष के वकील ब्रजभूषण शर्मा
जानकारी देते अभियोज पक्ष के वकील ब्रजभूषण शर्मा

दोनों आरोपी महिलाओं को फांसी की सजा
इस आपराधिक मामले में आरोप पत्र आने के बाद सत्र न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हुई. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्य के आलोक में चतुर्थ अपर जिला और सत्र न्यायाधीश लवकुश कुमार के न्यायालय ने दोनों आरोपी महिलाओं को घटना के लिए दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है. इस मामले में सरकार की ओर से एपीपी जयराम साह और बचाव पक्ष के अधिवक्ता शैलेश कुमार श्रीवास्तव और वीरेंद्र सिंह ने दलीलें पेश की.

देखें रिपोर्ट

लोगों के बहकावे में आकर दी मासूम की बलि
वहीं अभियोजन पक्ष के वकील ब्रजभूषण शर्मा ने बताया कि 6 सितंबर 2017 को एक मामला दर्ज किया गया था. जिसमे सनकेशा देवी और दुर्गावती देवी पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी. जिसके बाद 302 के तहत दोनों को दोषी करार दिया गया. सनकेशा देवी को कोई बच्चा नहीं होता था. लोगों के बहकावे में आकर उसने एक मासूम को बलि दे दी.

उन्होने बताया कि आरोपी के पूजा वाले घर मे खून के छीटे के निशान पाए गए थे. जिसके बाद साक्ष्य मिटाने के लिए उसे पानी से धोया गया था. जब सीढ़ी के सहारे छत से शव को फेंका गया तो सीढ़ी पर भी खून के निशान मिले थे. वहीं फोरेंसिक जांच में यह मामला सत्य पाया गया. सारे सबूतों के आधार पर एडीजे फोर्थ ने दोनों सास बहू को फांसी की सजा सुनाई है.

Last Updated : Aug 22, 2020, 1:49 AM IST
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