गया में होटल व्यवसाय के लिए संजीवनी बना 'पितृपक्ष'

author img

By

Published : Sep 22, 2022, 7:39 AM IST

होटल व्यवसाय के लिए संजीवनी बना पितृपक्ष

गया में पितृपक्ष मेला (Pitru Paksha Mela in Gaya) के कारण हर तरफ रौनक है. बड़ी संख्या में लोगों के आने के कारण यहां के होटल और रेस्ट हाउस के कमरे लोगों से भरे हुए हैं. होटलों में विक्री बढ़ने से होटल एसोसिएशन के लोग भी काफी खुश हैं.

गया: अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल गया और बोधगया के होटल व्यवसाय के लिए पितृपक्ष मेला वरदान (Pitru Paksha is beneficial for hotel business) साबित हो रहा है. बताया जा रहा है कि होटल व गेस्ट हाउस पितृपक्ष के दौरान पूरी तरह भरे हैं, जिससे होटल व्यवसाय फिर से जीवित हो गया. होटल व्यवसायियों का कहना है कि अंतराष्ट्रीय पर्यटक स्थल होने के बावजूद कोरोना काल में होटल व्यवसाय की हालत खराब हो गई थी. कई होटल और गेस्ट हाउस बंद होने के कगार पर पहुंच गए थे या बंद हो गए थे.

ये भी पढ़ें: पितृ पक्ष का 13वां दिन: तीन वेदियों में पिंडदान का है महत्व, जानें रहस्य

होटल व्यवसाय के लिए संजीवनी बना पितृपक्ष: एक अनुमान के मुताबिक पितृपक्ष में अब तक पांच लाख से अधिक पिंडदानी मोक्षस्थली गया पहुंच चुके हैं, जबकि अभी भी चार दिन शेष हैं. इस साल हालांकि प्रशासन द्वारा गांधी मैदान में तीन टेंट सिटी भी बनाए गए हैं. इसके आलावा कई धर्मशाला तथा पंडा समाज द्वारा उपलब्ध कराये गये आवास और सरकारी स्तर पर 65 शैक्षणिक संस्थानों में बनाये गये आवासन स्थल में भी आने वाले श्रद्धालु रह रहे हैं. इसके बावजूद भी होटल और रेस्ट हाउस के कमरे भरे हुए हैं.

होटल एसोसिएशन के पमपम चौरसिया कहते हैं कि पर्यटन सीजन आने में अभी देर है, उससे पहले पितृपक्ष में इस बार अच्छी कमाई हुई है. होटलों में विक्री भी बढ़ी है. उधर, होटल एसोसिएशन, बोधगया के महासचिव संजय कुमार सिंह ने बताया कि पितृपक्ष मेले में आये पिंडदानियों को बोधगया के होटलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा मिल पा रही है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष 80 प्रतिशत से ज्यादा कमरे भरे हुए हैं.

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को 'पितृपक्ष' या 'महालय पक्ष' कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं. मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है, इस कारण पितृपक्ष में यहां लाखों लोग पिंडदान और तर्पण के लिए आते हैं. गया शहर में पितृपक्ष मेला से संबंधित 54 पिंडवेदी हैं. इसमें 45 पिंडवेदी एवं नौ तर्पणस्थल गया में स्थित हैं.

पढ़ें- ट्रेन में मृत आत्माओं के नाम से बुक की जाती है टिकट, पिंडदानी बच्चों की तरह पितृदंड का रखते हैं ख्याल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.