Pitru Paksha 2021: तीसरे दिन उत्तर मानस में पिंडदान करने का महत्व, पितरों को सूर्यलोक की होती है प्राप्ति

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Published : Sep 22, 2021, 7:15 AM IST

Updated : Sep 22, 2021, 10:08 AM IST

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गया जी में आज पिंडदान के तीसरे दिन पंचवेदी में पिंडदान करने का महत्व है. पिंडदानी इसकी शुरुआत उत्तर मानस तीर्थ में पिंडदान करके करते हैं. इन पंचवेदी में उत्तर मानस, दक्षिण मानस, उदीची, कनखल और जिह्वालोल पिंड शामिल हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

गया: गयाजी में इन दिनों सनातन परंपरा के पंचाग के अनुसार पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) चल रहा है. पितृपक्ष के दौरान गया जी में पिंडदान करने का महत्व है. पूरे पितृपक्ष अवधि में पिंडदान करने को त्रैपाक्षिक श्राद्ध कहते है. गया जी में त्रैपाक्षिक कर्मकांड करने वाले पिंडदानी आज तीसरा पिंडदान (Third Of Pinddan In Gaya) कर रहे हैं. पितृपक्ष के तीसरे दिन त्रैपाक्षिक श्राद्ध करने वाले पिंडदानी पंचवेदी में पिंडदान कर रहे हैं. उत्तर मानस, दक्षिण मानस, उदीची, कनखल और जिह्वालोल पिंड वेदी में पिंडदान कर रहे हैं. सबसे पहले पितामहेश्वर घाट पर स्थित उतर मानस में पिंडदान किया जाना है.

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गयाजी में पितृपक्ष के दौरान तीसरे दिन पिंडदानी सबसे पहले 5 तीर्थों में उत्तर मानस तीर्थ (Pinddaan In Uttar Manas) में पिंडदान करने की विधि है. हाथ में कुश लेकर सिर पर जल छींटे फिर उत्तर मानस में जाकर आत्म शुद्धिकरण के लिए स्नान करना होता है. जिसके बाद तर्पण कर पिंडदान करके सूर्य को नमस्कार करने से पितरों को सूर्य लोक की प्राप्ति होती है.

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उत्तर मानस से मौन होकर दक्षिण मानस की ओर जाना चाहिए. दक्षिण मानस में तीन तीर्थ है. उनमें स्नान करके अलग-अलग श्राद्ध करना चाहिए. उत्तर में उदीची, मध्य में कनखल और दक्षिण में मानस तीर्थ है. इन तीनों तीर्थों पर श्राद्ध करके फल्गु नदी में स्नान करने की विधि-विधान है.

जिह्वालोल पिंड वेदी फल्गु नदी में ही स्थित है. वहां पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है. इसके बाद किए हुए एवं आगे होने वाले तीर्थों के श्राद्ध की योग्यता सिद्ध के लिए गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान कराया जाता है. इसके साथ ही वस्त्र, अलंकार आदि चढ़ावा चढ़ाते है. जो पिंडदानी ऐसा नहीं करते हैं, उनका श्राद्ध सार्थक नहीं होता है. अर्थात किए हुए का फल नहीं मिलता है.

गयाजी में श्राद्ध करने से सात गोत्र और 101 कुल का उद्धार होता है. जिसमें पिता का गोत्र, माता का गोत्र, पत्नी का गोत्र, बहन का गोत्र, बेटी का गोत्र, बुआ का गोत्र और मौसी का गोत्र शामिल है. वहीं, सात गोत्र में पिता के 24 माता के 20, पत्नी के 16, बहन के 12, बेटी के पति के 11, बुआ के 10 और मौसी के मिलाकर कुल 101 कुल हो जाते है.

जानिए किस तिथि में कौन सा श्राद्ध पड़ेगा?

20 सितंबर (सोमवार) 2021- पहला श्राद्ध, पूर्णिमा श्राद्ध

21 सितंबर (मंगलवार) 2021- दूसरा श्राद्ध, प्रतिपदा श्राद्ध

22 सितंबर (बुधवार) 2021- तीसरा श्राद्ध, द्वितीय श्राद्ध

23 सितंबर (गुरूवार) 2021- चौथा श्राद्ध, तृतीया श्राद्ध

24 सितंबर (शुक्रवार) 2021- पांचवां श्राद्ध, चतुर्थी श्राद्ध

25 सितंबर (शनिवार) 2021- छठा श्राद्ध, पंचमी श्राद्ध

27 सितंबर (सोमवार) 2021- सातवां श्राद्ध, षष्ठी श्राद्ध

28 सितंबर (मंगलवार) 2021- आठवां श्राद्ध, सप्तमी श्राद्ध

29 सितंबर (बुधवार) 2021- नौवा श्राद्ध, अष्टमी श्राद्ध

30 सितंबर (गुरूवार) 2021- दसवां श्राद्ध, नवमी श्राद्ध (मातृनवमी)

01 अक्टूबर (शुक्रवार) 2021- ग्यारहवां श्राद्ध, दशमी श्राद्ध

02 अक्टूबर (शनिवार) 2021- बारहवां श्राद्ध, एकादशी श्राद्ध

03 अक्टूबर 2021- तेरहवां श्राद्ध, वैष्णवजनों का श्राद्ध

04 अक्टूबर (रविवार) 2021- चौदहवां श्राद्ध, त्रयोदशी श्राद्ध

05 अक्टूबर (सोमवार) 2021- पंद्रहवां श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध

06 अक्टूबर (मंगलवार) 2021- सोलहवां श्राद्ध, अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या समापन

Last Updated :Sep 22, 2021, 10:08 AM IST
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