ETV Bharat / state

बिहार : पिंडदानियों के लिए सजधज कर तैयार 'मोक्ष नगरी'

author img

By

Published : Sep 12, 2019, 3:30 PM IST

Updated : Sep 12, 2019, 4:32 PM IST

गया में पितृपक्ष की हुई शुरुआत

पितृपक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है पितरों का पखवाड़ा यानि कि पूर्वजों के लिए 15 दिन. पितृपक्ष हर साल अनंत चतुर्दशी के बाद भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक पितृपक्ष के रूप में मनाया जाता है.

गया: पितृपक्ष में पितरों यानी पूर्वजों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ 'मोक्ष नगरी' गया आने वाले पिंडदानियों के लिए सज-धज कर तैयार है. पुरखों यानी पूर्वजों को पिंडदान करने के लिए आने वाले देश-दुनिया के पिंडदानियों का अब यहां इंतजार हो रहा है. वैसे कई पिंडदानी यहां पहुंच भी गए हैं.

प्रशासन और गयापाल पंडा समाज द्वारा तीर्थनगरी गया में आने वालों के रहने की व्यवस्था की गई है. जबकि धर्मशाला, होटल, निजी आवास पिंडदानियों से भरने लगे हैं.

गया से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

भगवान विष्णु की नगरी 'मोक्ष धाम' में पिंडदानियों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. गया जिले के एक अधिकारी के मुताबिक इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर यहां आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है. मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. वैसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं, परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है.

gaya
पितरों को पिंडदान करते हुए लोग

'मोक्ष नगरी' गया में किए गए ये इंतजाम
गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि पितृपक्ष में लाखों लोगों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रशासन तत्पर है. उन्होंने बताया कि मेला में किसी भी प्रकार की परेशानी के लिए प्रशासन द्वारा एक कॉल सेंटर बनाया गया है, जिसमें हेल्पलाइन के नंबर पर परेशानी बताई जा सकती है.

gaya
भोजन करते हुए पिंडदान करने पहुंचे लोग

मंत्रोच्चारण के साथ पितृपक्ष मेला शुरू
इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर प्रशासन द्वारा स्कूलों, पंडा आवासों, धर्मशालाओं तथा निजी मकानों में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है. एक अधिकारी के मुताबिक, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पितृपक्ष मेला का उद्घाटन गुरुवार को विष्णुपद मंदिर परिसर में करेंगे. उसके बाद विष्णुपद मंदिर परिसर में बने भव्य पंडाल में मंत्रोच्चारण के साथ पितृपक्ष मेला शुरू हो जाएगा.

मेले को राजकीय मेले का दर्जा
इस मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है. गयावाल पंडा समाज के गजाधर लाल पंडा कहते हैं, 'पिंडवेदी कोई एक जगह नहीं है. तीर्थयात्रियों को धार्मिक कर्मकांड में दिनभर का समय लग जाता है. ऐसे में लोग पूरी तरह थक जाते हैं, और तीर्थयात्री अपने परिवार के साथ आराम की तलाश करते हैं.'

gaya
विदेशों से भी लोग आते हैं पिंडदान करने

विष्णुनगरी में पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना
उन्होंने कहा, 'आश्विन माह के कृष्णपक्ष के पितृपक्ष पखवारे में विष्णुनगरी में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना लिए देश ही नहीं, विदेशों से भी सनातन धर्मावलंबी गया आते हैं. इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग-अलग है.'
उन्होंने बताया, 'श्रद्धालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड करते हैं. कर्मकांड करने आने वाले श्रद्धालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पूर्व से ही इसकी व्यवस्था कर चुके होते हैं. 'गया के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. उन्होंने बताया कि मेला की सुरक्षा में तैनाती के लिए दूसरे जिलों से भी पुलिस बल बुलाया गया है. पुलिसकर्मी रेलवे स्टेशन क्षेत्र से लेकर पिंडवेदियों तक पैनी निगाह रखेंगे.

gaya
पितरों को दी जाती है यहां शांति

इन घाटों पर होती है सबसे अधिक भीड़
पिंडवेदियों में प्रेतशिला, रामशिला, अक्षयवट, देवघाट, सीताकुंड, देवघाट, ब्राह्मणी घाट, पितामहेश्वर घाट काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. उल्लेखनीय है कि गया में पितृपक्ष मेला 28 सितंबर तक चलेगा.

gaya
पूर्वजों को मिलता है यहां मोक्ष
क्या होता है पितृपक्ष.....पितृपक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है पितरों का पखवाड़ा यानि कि पूर्वजों के लिए15 दिन. पितृ पक्ष हर साल अनंत चतुर्दर्शी के बाद भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक पितृपक्ष के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन पंद्रह दिनों के दौरान पूर्वज मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से अपने परिजनों के पास पहुंचते हैं. पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान व श्राद्धकर्म करने से पूर्वजों को पृथ्वी लोक में बार-बार जन्म लेने के चक्र से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस पर्व में अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व उनकी आत्मा के लिए शान्ति देने के लिए श्राद्ध किया जाता है. ज्योतिषों के अनुसार जिस तिथि को माता-पिता, दादा-दादी आदि परिजनों की मृत्यु होती है, उस तिथि पर इन सोलह दिनों में उनका श्राद्ध करना उत्तम रहता है. जब पितरों के पुत्र या पौत्र द्वारा श्राद्ध किया जाता है तो पितृ लोक में भ्रमण करने से मुक्ति मिलकर पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है.
Intro:Body:Conclusion:
Last Updated :Sep 12, 2019, 4:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.