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गया की 53 लाख आबादी खटारा दमकल गाड़ियों के भरोसे, कोई हादसा हुआ तो क्या होगा ?

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Published : Apr 25, 2022, 2:29 PM IST

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गया जिले में दमकल वाहनों की भारी किल्लत है. कुल जिले की 53 लाख से अधिक आबादी है. जिला मुख्यालय के पास मात्र 28 दमकल वाहन हैं. जिसमें से 15 से अधिक दमकल वाहन जर्जर हालत में हैं. जबकि सभी दमकल वाहन 15 वर्षों से अधिक पुराने हो चुके हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

गया: बिहार के अधिकांश जिले में गर्मी के मौसम में अगलगी की घटनाएं बढ़ी हैं. गया की स्थिति को अगर देखें तो पहाड़ी इलाका होने के कारण बहुत ही ज्यादा तपता है. फिर भी पूरे जिले में आज भी पुराने दमकल वाहनों के भरोसे गया जिला स्थित फायर स्टेशन है. 15 साल पुराने बड़े दमकल वाहन की स्थिति बिल्कुल जर्जर है. फिर भी उन्हीं गाड़ियों के कलपुर्जे बदलकर चलाए जा रहे हैं. इन वाहनों के हालात काफी बदतर स्थिति में पहुंच गई है. इस कारण पूरे जिले में कहें तो त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. इस भीषण गर्मी में कहीं पर अगर बड़ी आगजनी होती है तो अग्निशामक की टीम हाथ पर हाथ धरी बैठी रह जाएगी. क्योंकि इनके पास कोई भी नये संसाधन उपलब्ध नहीं है.


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फायर अधिकारी ने भी माना पुराना व्हीकल एक बड़ा खतरा - फायर बिग्रेड के अधिकारियों के द्वारा बताया गया कि गया जिले में मार्च माह से अगलगी की घटना (Fire Brigade In Bihar) बढ़ी है. उनके अनुसार कच्चे मकान और फसलों में आग लगने की घटना काफी हुई. भयावह तरीके के अगलगी से निपटने के लिए गया फायर स्टेशन के पास कोई भी उपाय नहीं हैं. पूरे जिले को सरकार के द्वारा राम भरोसे रखा गया है, जो काफी भयावह है. किसी तरह सीमित संसाधन के बीच अगलगी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग अपने पसीने बहाते दिखते है. इस समय भी जिले के अधिकांश थानों में अब तक दमकल वाहन उपलब्ध नहीं हुए. जिससे काफी हद तक निर्भरता गया फायर स्टेशन पर ही रहती है.

मिली जानकारी के मुताबिक गया जिले में 53 लाख से अधिक की आबादी है. लेकिन जिला मुख्यालय के पास मात्र 28 दमकल वाहन (Only Twenty Eight Fire Brigade Vehicle In Gaya) है. आधे से अधिक दमकल जर्जर हालत में है. वैसे दमकल वाहनों में बड़े दमकल वाहनों की संख्या 16 है. विभाग के पार दमकल वाहन 15 वर्षों से अधिक पुराने हो चुके है. गया फायर स्टेशन के पास उपलब्ध बड़े दमकल वाहनों की स्थिति दयनीय है. दमकल कर्मियों की भी कमी के कारण सीमित संसाधन में ही फायर स्टेशन को काम करना पड़ता है. वैसे संयोग से हाल के वर्षों में बड़ी अगलगी की घटनाएं नहीं हुई हैं. लेकिन इस तरह की आशंकाए बनी रहती है.




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गया में तीन महीने में 139 आग लगने की घटनाएं- गया फायर स्टेशन के अधिकारी अरविंद कुमार (Fire Brigade officer Arvind Sharma In gaya)ने बताया कि गया जिले में साढ़े तीन माह में 139 अगलगी की घटना हुईं. ऐसे घटना से निपटने के लिए जिला प्रशासन के पास सिर्फ 28 वाहन मौजूद हैं. गया फायर स्टेशन के पास जितने भी उपलब्ध संसाधन हैं उनसे भी कर्मी कहीं पर भी लगे आग से निपटने के लिए तैयार रहते हैं. ग्रामीण इलाकों में खलिहान व मकानों में भी आग लगने की घटनाएं होती हैं, जो गर्मी के मौसम में काफी बढ़ जाती हैं. फायर स्टेशन अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि मार्च के बाद महीनों में अगलगी की घटनाओं में काफी वृद्धि होती है. इस साल करीब साढे 3 महीने के आंकड़ों को देखें तो 139 अगलगी की घटनाएं जिले में हुई. इसमें 40 सिर्फ एक महीने के अंदर ही लगी है. अधिकारी के अनुसार जो भी व्यवस्थाएं जिला मुख्यालय के पास हैं, उसके अनुसार पूरी कोशिश रहती है कि अगलगी की घटना की जानकारी मिलते ही उस पर काबू पाया जाए. अधिकारी ने अपने बयान में यह भी बताया है कि विभाग को भी सूचना दी गई है. जल्द से जल्द पूरे थाने को भी दमकल दे दी जाएगी.

फायर अधिकारी की नई पहल: पंचायतों के प्रतिनिधि को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ चुके हैं, उन सारे लोगों को भी आग से बचने के लिए जागरुक करते हैं. आग से बचाव के लिए जनप्रतिनिधियों को जागरूक करते हैं. अधिकारी के द्वारा बनाये गये इस ग्रुप से फायदा होता है कि अगर जिले में कहीं भी अगलगी की घटनाएं होती हैं, तब संबंधित जनप्रतिनिधि तुरंत फायर स्टेशन को फोन करते हैं. अग्निशामक विभाग की टीम समय पर फायर वाहन लेकर पहुंचती है. उसके बाद आग पर काबू पाया जाता है.

सरकार के इस रवैये को देखकर यहीं लगता है कि अगर जिले में कहीं भीषण आग लगी तो न जाने कितने लोगों की जान जाएगी, कितने लोगों के संपत्ति बर्बाद होगी. कितने घर तबाही के मंजर में फंसे दिखेंगे. उसके बाद सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी. क्योंकि तब जिला प्रशासन संसाधन के अभाव में कुछ भी नहीं कर पाएगा. समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो लोगों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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