गयाः बिहार के गया में एक अनोखा स्कूल है. इस विद्यालय की खासियत यह है कि यहां के बच्चे आर्मी जैसी ड्रेस पहनते हैं. आर्मी जैसी ड्रेस पहनना इन बच्चों का एक खास अंदाज है. आर्मी जैसी पोशाक में बच्चे खुद को काफी गौरवान्वित महसूस करते हैं, ये इस स्कूल के बच्चों का कहना है. वहीं, स्कूल प्रबंधन इन बच्चों को देशभक्ति, प्रेम, भाईचारे और समर्पण की भावना से ओत-प्रोत कराना चाहता है, इसी मकसद को पूरा करने के लिए यहां के छात्र-छात्राओं को इंडियन आर्मी जैसी ड्रेस वीक में दो दिन पहनकर स्कूल आना होता है. जिसे पहनकर ये बच्चे काफी खुश भी नजर आते हैं.
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छात्र-छात्राओं की आर्मी जैसी पोशाकः गया के नक्सल प्रभावित इमामगंज इलाके के लोक कल्याण इंटरनेशनल स्कूल में छात्र-छात्राओं को आर्मी जैसी पोशाक में देखा जा सकता है. कई निजी विद्यालयों में तरह-तरह की ड्रेस पहनी जाते हैं, जो कि अलग-अलग कलरों की होती हैं. लेकिन इमामगंज के इस विद्यालय के छात्र-छात्राएं आर्मी जैसी यूनिफॉर्म पहनते हैं. इस विद्यालय की एक अलग ही पहचान है और यह पहचान यूनिफॉर्म दे रही है. यहां के बच्चों की यूनिफॉर्म सामान्यतः स्कूल के बच्चे से बिल्कुल ही अलग है. संभवत बिहार का पहला ऐसा निजी विद्यालय यह है, जहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म के तौर पर आर्मी जैसी पोशाक पहने हुए देखा जा सकता है.
बच्चों को अच्छी मानसिकता देना है मकसदः इस संबंध में विद्यालय के प्रिंसिपल चिरंजीत सिन्हा बताते हैं, कि वर्ष 2018 से विद्यालय खुला है. इस विद्यालय के बच्चों के लिए ड्रेस कोड के रूप में आर्मी जैसी पोशाक पहनना जरूरी किया गया है. ये पोशाक पहनकर विद्यालय आना सप्ताह में 2 दिन जरूरी होता है. बुधवार और शनिवार को आर्मी जैसी यूनिफॉर्म ही पहनकर विद्यालय में बच्चों को पढ़ाई के लिए आना है. इसके अलावा 4 दिन दूसरी ड्रेस रखी गई है. आर्मी जैसी ड्रेस बच्चों को अलग पहचान देती है. हमारी सोच पूरी तरह से सकारात्मक है, जिसमें बच्चों को देशभक्ति के प्रति जागरूक रखने और उन्हें मजबूत बनाए रखने का लक्ष्य शामिल है.
"हमारा मकसद इन बच्चों में देशभक्ति के जज्बे के प्रति झुकाव दिलाना है. आर्मी जैसी यूनिफॉर्म पहनने का एक मकसद और भी है कि बच्चों को एक सैनिक की तरह मजबूत बनाया जाए. इस विद्यालय में नर्सरी से सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई हो रही है और सभी कक्षा के छात्र-छात्राएं सप्ताह में 2 दिन आर्मी जैसी यूनिफॉर्म पहनकरआते हैं. ताकी आर्मी के बलिदान को भी याद रखा जाए, इसे लेकर भी इस तरह के ड्रेस को विद्यालय में लागू किया गया है. कला-संस्कृति से भी बच्चों को जोड़ा जा रहा है"- चिरंजीत सिन्हा, प्रिंसिपल
बच्चों में होगी देशभक्ति की भावनाः प्रिंसिपल चिरंजीत सिन्हा बताते हैं, कि बच्चों को बचपन से ही कला और संस्कृति से भी जोड़ने का काम विद्यालय में हो रहा है. वहीं, कंप्यूटर की शिक्षा क्लास वन से ही देनी शुरू हो जाती है. बच्चे डांस और गाने के साथ साथ हर तरह के प्रतिभा में माहिर हों, इसका प्रयास विद्यालय प्रबंधन के द्वारा किया जाता है. इस तरह बच्चों में आर्मी जैसी यूनिफॉर्म के माध्यम से गौरवशाली भाव लाया जा रहा है. बच्चों को एक सैनिक की तरह मजबूत बनाने की ड्रेस के माध्यम से कोशिश भी है.
"पिछले 3 सालों से इस विद्यालय में पढ़ने आ रहा हूं. आर्मी जैसी यूनिफॉर्म पहनने के बाद काफी गर्व महसूस होता है. वीक में दो दिन पहनते हैं ये ड्रेस, बहुत अच्छा लगता है"- हिमांशु, छात्र
'खुद को आर्मी जवान समझती हूं': छात्रा अनुराधा सिन्हा बताती हैं कि आर्मी जैसी ड्रेस पहनने पर वह खुद को आर्मी समझती हैं. देश के प्रति जज्बे की ओर झुकाव होता है. आर्मी का रूटीन फॉलो करने की प्रेरणा मिलती है. आर्मी की यूनिफॉर्म पहनकर काफी प्राउड फील होता है. मैं चाहती हूं कि ऐसा ही ड्रेस और भी स्कूलों में लागू की जाए, जिससे इस विद्यालय के बच्चों की तरह भावना अन्य विद्यालयों में भी आएगी.