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Gaya Pitru Paksha के नौवें दिन 16 वेदियों पर होता है पिंडदान, श्री विष्णु चरण के दर्शन से तर जाते हैं पितर

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 6, 2023, 6:00 AM IST

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Pitru Paksha Mela 2023

आज पितृ पक्ष का नौवां दिन है. पितृपक्ष मेले के नौवें दिन 16 वेदियों पर पिंडदान के बाद श्री विष्णु चरण के दर्शन से पितरों को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.

गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले के नौवें दिन विष्णुपद मंदिर के सोलह वेदी में पिंडदान होता है. आश्विन कृष्ण सप्तमी को यानी पृथ्वी पक्ष मेले के नौवें दिन विष्णुपद मंदिर में स्थित 16 वेदी में 16 स्थान का एक स्थान में पिंडदान कर सभी 16 खंभे पर एक-एक पिंड चिपकाना होता है. इन 16 वेदियों पर पिंडदान के बाद भगवान श्री विष्णु चरण के दर्शन करने चाहिए. इससे पितरों को विष्णु लोक की प्राप्ति हो जाती है.

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जानें नौवें दिन का कर्मकांड : पितृ पक्ष मेले के नौवें दिन यानी कि आश्वनी कृष्ण सप्तमी को विष्णुपद मंदिर स्थित 16 बेदी में पिंडदान करना चाहिए. इन सभी 16 वेदियों पर पितरों के नाम से एक-एक पिंड खंभों पर चिपकाना चाहिए. इससे सात गोत्र माता-पिता, नाना नानी, सास ससुर, गुरु में 121 कुल का का उद्धार हो जाता है.

इन वेदियों पर पिंडदान का है विधान : जिन 16 वेदियों पर पिंडदान का विधान है उनमें कार्तिकपद, दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्याग्निपद, आवहनीयाग्निपद, संध्याग्निपद, आवसंंध्नियाग्निपद, सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, उधीचिपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्रपद, अगास्त्यपद व काश्यपद है. इन सभी सोलह वेदियों पर पिंडदान के बाद श्री हरि विष्णु चरण के दर्शन करने से पितरों को विष्णु लोक की प्राप्ति हो जाती है.

आश्विन कृष्ण सप्तमी को पिंडदान : आश्विन कृष्ण षष्ठी की तरह ही आश्विन कृष्ण सप्तमी को भी विष्णुपद मंदिर के 16 वेदी नामक स्थान पर पिंडदान करना होता है. इन 16 वेदी का एक स्थान पर पिंडदान का कर्मकांड होता है. मान्यता है कि विष्णुपद मंदिर के 16 वेदी नामक स्थान पर पिंडदान से सात गोत्र में 121 कुल का उद्धार हो जाता है.

121 कुल का हो जाता है उद्धार : विष्णुपद मंदिर के 16 वेदी मंडप में पिंडदान का बड़ा ही महत्व है. पितृपक्ष मेले के नौवें दिन आश्विन कृष्ण सप्तमी को यहां पिंडदान किया जाता है. बड़ी मान्यता यहां से जुड़ी हुई है. मान्यता है, कि यहां पिंडदान से 7 गोत्र में 121 कुल का उद्धार होता है. इन सात कुल में माता-पिता,नाना नानी, सास ससुर, गुरु शामिल होते हैं. इस तरह 7 गोत्र में 121 कुल का उद्धार हो जाता है और पितर को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.

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