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दरभंगाः फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग के सचिव ने की ऑनलाइन बैठक

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Published : Apr 16, 2021, 8:40 AM IST

कृषि विभाग के सचिव एन श्रवण कुमार ने बिहार के सभी जिलाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की. बैठक में आदेश तितरमारे ने कहा कि फसल कटनी के लिए जब से कंबाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग बढ़ा है, तब से कृषकों द्वारा फसल अवशेष को खेत में जलाने की प्रवृत्ति विकसित हुई है. जो नुकसानदेह है. उसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं.

ऑनलाइन हुई बैठक
ऑनलाइन हुई बैठक

दरभंगाः फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर कृषि विभाग के सचिव एन श्रवण कुमार ने बिहार के सभी जिलाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की. बैठक में कृषि विभाग के निदेशक आदेश तितरमारे ने बताया कि सरकार द्वारा 10 जून 2019 को प्रत्येक जिले के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय अंतर विभागीय कार्य समूह का गठन किया गया है. जिसके सदस्य सचिव जिला कृषि पदाधिकारी हैं. वर्ष में दो बार खरीफ एवं रबी फसल कटनी के पूर्व इस समूह की बैठक किया जाना है.

ऑनलाइन हुई बैठक
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कंबाइंड हार्वेस्टर चलाने के लिए लेना होगा जिला पास
आदेश तितरमारे ने कहा कि फसल कटनी के लिए जब से कंबाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग बढ़ा है, तब से कृषकों द्वारा फसल अवशेष को खेत में जलाने की प्रवृत्ति विकसित हुई है. जो मिट्टी की उर्वरकता एवं पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है. यह समस्या पहले शाहाबाद क्षेत्र में उत्पन्न हुई और अब धीरे-धीरे पटना, सारण होते हुए राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गयी है. कृषि विभाग ने अब कंबाइड हार्वेस्टर को चलाने के लिए उसके मालिक/ड्राइवर को अपने जिलाधिकारी से पास लेना अनिवार्य कर दिया है. और उन्हें पास इस शर्त के साथ दी जाएगी कि जिन खेतों में वह फसल कटनी करेंगे, उन खेतों में फसल अवशेष (पराली) नहीं जलायी जाएगी.

ऑनलाइन हुई बैठक
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पराली जलाने वाले किसानों को किया जाएगा चिन्हित
बैठक को संबोधित करते हुए कृषि विभाग के सचिव ने कहा कि बिहार में लगभग 2000 कंबाइंड हार्वेस्टर हैं. उन्होंने सभी जिलाधिकारी से वैसे किसानों, प्रखंडों एवं पंचायतों को कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार के माध्यम से चिन्हित करवाने को कहा, जिनके द्वारा और जहां पराली जलाने की घटना पाई गयी हो. साथ ही वैसे किसान सलाहकार या कृषि समन्वयक, जो पराली जलाने की सूचना ससमय उपलब्ध नहीं कराते हैं. उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि कंबाइड हार्वेस्टर के चालक ज्यादातर पंजाब से सीख कर आए हैं. उनके द्वारा यह गलत सुझाव दिया जाता है कि खेत के फसल अवशेष को जलाने से जमीन की उर्वरकता शक्ति बढ़ जाती है.

खेत में पराली जलाने से घटती ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति
उन्होंने कहा कि फसल अवशेष के साथ खेत की जुताई भी की जा सकती है. कृषि विश्व विद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रयोग किया गया है कि फसल अवशेष रहने पर भी अगली खेती की जा सकती है. वहां कुछ खास क्षेत्रों में विगत 10 वर्षों से ऐसी खेती की जा रही है. उनके अनुसार खेती के लिए खेत की जुताई आवश्यक नहीं है. बिना जुताई किये भी खेती की जा सकती है और पैदावार भी अच्छी होती है. उन्होंने सभी जिलाधिकारी को इसके लिए किसानों के बीच जागरुकता लाने के लिए प्रचार-प्रसार कराने का सुझाव दिया.

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