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बक्सर: गंगा नदी में शव मिलने के बाद साइड इफेक्ट, मछली की बिक्री हुई कम

10 मई को बिहार और यूपी की सीमा से सैकड़ों शव बरामद होने के बाद से बक्सर में इसका साइड इफेक्ट दिखने लगा है. जीवन दायिनी गंगा से लोगों ने अब दूरी बना ली है. लोग गंगा नदी में आस्था की डुबकी नहीं लगा रहे हैं. वहीं, शव मिलने के बाद से लोग मछुआरों से मछली खरीदने से भी लोग परहेज करने लगे हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

बक्सर
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Published : May 22, 2021, 9:28 PM IST

बक्सर: गंगा नदी से शव मिलने के बाद मछुआरों से मछली खरीदने से भी लोग परहेज करने लगे हैं. मछुआरों के सामने भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है. मछुआरों का कहना है कि प्रशासन से भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- बिहार में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, कोरोना मरीजों की तरह रखा जाएगा रिकॉर्ड

क्या कहते हैं मछुआरे?
गंगा नदी में मछली पकड़कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मछुआरों के सामने भी अब भोजन जुटाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. गंगा घाट पर मौजूद मछुआरा परशुराम मलाह ने बताया कि गंगा में इतनी गंदगी हो गई कि अब गंगा का पानी छूने से भी डर लग रहा है.

मछली खरीदने से परहेज
मछली खरीदने से परहेज

''पूरे दिन मछली पकड़ने के बाद, जब बाजार में मछली लेकर जा रहे हैं, तो लोग ये कहकर मछली नहीं खरीद रहे हैं कि गंगा नदी की मछली है, इंसानों का शव खाई होगी, जो भी लोग इसे खाएंगे उसे कोरोना हो जाएगा.''- परशुराम मलाह, मछुआरा

वहीं, मछुआरा बल्ली चौधरी ने बताया कि गंगा नदी की मछली देखते ही लोग भागने लगे हैं. आज भी गंगा नदी से 4 लाशें बरामद हुई हैं, जिसे गंगा नदी के तट पर ही दफना दिया गया.

मछली की बिक्री हुई कम
मछली की बिक्री हुई कम

आस्था की डुबकी लगाने से भी परहेज
वहीं, गंगा स्नान को लेकर स्थानीय दिनेश राय ने बताया कि गंगा नदी में जब से सैकड़ों लाशें बरामद हुई हैं. उसके बाद से अब गंगा नदी में स्नान करने से भी लोग डरने लगे हैं. गंगा में इतनी गंदगी है कि स्नान करना तो दूर गंगा का जल छूने लायक भी नहीं रह गया है. वहीं, अरविंद पांडेय ने बताया कि अरबों रुपये गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए खर्च किया गया, उसके बाद भी गंगा स्वच्छ होने के बजाए और गंदी हो गई.

देखिए ये रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- 4 के चक्कर में फंसे चौबे जी! 4 बार उद्घाटन के बाद भी BS-4 मॉडल एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन पर पेंच

बता दें कि 10 मई को जिले के चौसा प्रखंड के अंतर्गत महदेवा घाट से 71 शव जबकि उतर प्रदेश की सीमा से सैकड़ों शव बरामद हुए थे. जिसके बाद से ही गंगा नदी में स्नान करने से लोग परहेज करने लगे हैं. लोग मछुआरों से मछली की खरीददारी नहीं कर रहे हैं, जिससे उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

बक्सर: गंगा नदी से शव मिलने के बाद मछुआरों से मछली खरीदने से भी लोग परहेज करने लगे हैं. मछुआरों के सामने भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है. मछुआरों का कहना है कि प्रशासन से भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.

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क्या कहते हैं मछुआरे?
गंगा नदी में मछली पकड़कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मछुआरों के सामने भी अब भोजन जुटाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. गंगा घाट पर मौजूद मछुआरा परशुराम मलाह ने बताया कि गंगा में इतनी गंदगी हो गई कि अब गंगा का पानी छूने से भी डर लग रहा है.

मछली खरीदने से परहेज
मछली खरीदने से परहेज

''पूरे दिन मछली पकड़ने के बाद, जब बाजार में मछली लेकर जा रहे हैं, तो लोग ये कहकर मछली नहीं खरीद रहे हैं कि गंगा नदी की मछली है, इंसानों का शव खाई होगी, जो भी लोग इसे खाएंगे उसे कोरोना हो जाएगा.''- परशुराम मलाह, मछुआरा

वहीं, मछुआरा बल्ली चौधरी ने बताया कि गंगा नदी की मछली देखते ही लोग भागने लगे हैं. आज भी गंगा नदी से 4 लाशें बरामद हुई हैं, जिसे गंगा नदी के तट पर ही दफना दिया गया.

मछली की बिक्री हुई कम
मछली की बिक्री हुई कम

आस्था की डुबकी लगाने से भी परहेज
वहीं, गंगा स्नान को लेकर स्थानीय दिनेश राय ने बताया कि गंगा नदी में जब से सैकड़ों लाशें बरामद हुई हैं. उसके बाद से अब गंगा नदी में स्नान करने से भी लोग डरने लगे हैं. गंगा में इतनी गंदगी है कि स्नान करना तो दूर गंगा का जल छूने लायक भी नहीं रह गया है. वहीं, अरविंद पांडेय ने बताया कि अरबों रुपये गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए खर्च किया गया, उसके बाद भी गंगा स्वच्छ होने के बजाए और गंदी हो गई.

देखिए ये रिपोर्ट

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बता दें कि 10 मई को जिले के चौसा प्रखंड के अंतर्गत महदेवा घाट से 71 शव जबकि उतर प्रदेश की सीमा से सैकड़ों शव बरामद हुए थे. जिसके बाद से ही गंगा नदी में स्नान करने से लोग परहेज करने लगे हैं. लोग मछुआरों से मछली की खरीददारी नहीं कर रहे हैं, जिससे उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

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